रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
दोस्तो, मेरा नाम मेहताब है. मेरी उम्र 19 साल है. मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ. मुम्बई में हमारा एक छोटा सा परिवार है, जिसमें मैं, मेरी मां और पिताजी रहते हैं.
यह कहानी एक महीने पहले की है, जब हमारा पूरा परिवार गांव में एक शादी में शामिल होने के लिए गया था. वहां पर मेरी खाला (मां की बहन) के परिवार के लोग भी आए हुए थे. उनके साथ में उनकी लड़की जोकि मेरी ही उम्र की है, वो भी आयी थी. उसका नाम शबनम (बदला हुआ) था.
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था.
जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी.
तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई.
उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं.
हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था.
उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था.
इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी.
शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा.
देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया.
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई.
थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी?
उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था.
शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न!
मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं.
शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो?
मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं.
शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर?
मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में..
शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को?
मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं.
शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे.
मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो.
शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई.
वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है?
मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना.
शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है.
मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ.
शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है.
मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा.
शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो?
मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या?
शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे.
मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना.
वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई.
कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.
मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या?
शबनम- नहीं शादी में सब काफी थक चुके थे, तो सब सो गए हैं.
मैं- तो देर किस बात की है … शुरू करें?
मेरे इतना कहते ही शबनम मेरे गले से लग गई और मुझे चूमने लगी. उसके पतले होंठ मुझे बहुत ही मुलायम लग रहे थे. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराने लगा.
असल में मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. उसकी गांड पर हाथ लगाते ही वो मुझसे दूर हो गई और मेरी आंख में देख कर मुस्कुरा दी. मैंने उसे आंख मारी तो वो मुझे फिर से चूमने लगी. मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी.
उसने लहंगा चोली पहनी थी. मैंने भी धीरे से उसकी चोली की डोरी खोल दी और उसे अपने नीचे लिटा कर उसका ब्लाउज उतार दिया. चोली हटते ही उसकी ब्रा में कैद उसके दोनों मम्मे मेरी निगाहों से खेलने लगे. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी.
उसके उभरे हुआ स्तनों को देख कर मेरे तो होश उड़ गए. इतने सख्त और गोल थे कि मानो दूध से भरे हुए हों. उसके मम्मों के ऊपर डार्क काले कड़क निप्पल उन पर चार चांद लगा रहे थे. मैंने कड़क निप्पल देखते ही एक को अपने मुँह में भर लिया और दूसरा निप्पल मय चूचे के हाथ से मसलने लगा.
मुँह से निप्पल लगाते ही उसके मुँह से एक लंबी ‘अहह’ निकल गई. दो मिनट निप्पल चूसने के बाद मैं उठा और सीधा उसके लहंगे का नाड़ा खोल कर खींचते हुए निकाल दिया. उसकी चिकनी टांगों के बीच में त्रिभुज जैसे छोटी सी पैंटी के अन्दर उसकी फूली सी चुत छिपी थी.
मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, तो उसने अपनी कमर उठा दी और गर्दन टेड़ी करके एक और आह. … भरी और उसकी सांसें तेज होने लगीं. उसकी ये हालत देख कर में मैंने उसकी बुर से हाथ हटा लिया.
चुत से हाथ हटाते ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे तो नंगी कर दिया … अब अपने भी कपड़े उतारो न.
मैंने हंसते हुए उसकी चूची को मसला और कहा- साफ़ क्यों नहीं कहती मेरी जान कि लंड दिखाओ.
वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी और हंसते हुए उसने हामी भर दी.
मैंने- हामी भरने से काम नहीं चलेगा. मुँह से कहना पड़ेगा.
उसने कहा हां देखना है.
मैंने कहा- क्या देखना है.
वो मुँह ढकते हुए बोली- लंड देखना है.
मैं एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ चड्डी में उसके सामने बैठ गया.
उसने कहा- ये क्या? अपनी चड्डी तो उतारो?
मैंने कहा- तुम्हीं उतार दो.
इतना सुनना था कि उसने मेरी चड्डी पर हाथ रख कर कहा- हाय … आज तो मेरी चूत फटने वाली लगती है.
ये कहते हुए उसने मेरी चड्डी उतार दी. मेरा 7 इंच लंबा … और 2 इंच मोटा लंड देख कर बोली- मां कसम … यार इतना बड़ा … मुझे लगा था कि 5 इंच होगा … पर तुम्हारा तो बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- हां ये मेरा ही लंड है किसी घोड़े का नहीं है. अब जल्दी से चूस कर इसे टाईट कर दो.
उसने झट से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. लंड चूसने से मैं तो मानो जन्नत में था. मुझे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने उससे कहा- अब सीधी लेट जा, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मुझे चूत चोदने दे.
वो भी गर्म थी … झट से सीधी लेट गई और टांगें चौड़ी करते हुए बोली- प्लीज़ भाई धीरे करना … वरना दर्द बहुत होगा.
मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसकी पेंटी उतार दी.
मैंने जब उसकी चूत देखी, तो वो बहुत ही काली थी और उस पर काफी बाल थे.
मैंने इस सबसे दिमाग लगाना छोड़ा और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसकी चूत पर सुपारा रख दिया. उसने सुपारे की गर्मी को महसूस किया, तो एक मादक सिसकारी भरी.
मैंने एक पल के लिए उसके चेहरे की ओर देखा, तो वो आंख बंद किए हुए बस लंड का इंतज़ार कर रही थी.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतरता चला गया. उसकी आंखों में दर्द से आंसू निकल आए, वो चीखना चाहती थी. मगर मैंने होंठ दबा रखे थे, इस वजह से वो चिल्ला ही नहीं पाई. लेकिन उसकी कसमसाहट इतनी अधिक थी कि यदि मैं उसको जकड़े हुए न होता, तो वो मुझसे छूट जाती.
मैंने अपना आधा लंड कुछ मिनट तक उसकी चूत में रोके रखा. उसके बाद देखा कि वो कोई तरह की प्रक्रिया नहीं कर रही है … तो मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.
उसने फिर से एक आह भरी.
मैं रुक गया और दुबारा से एक धक्का दे मारा. मेरा 6 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया था. उसने गूं गूं करते हुए इशारे से कहा- बस … और इससे ज्यादा नहीं वरना मर जाउंगी.
मैंने कुछ नहीं कहा … बस लंड अन्दर बाहर करने लगा. इस बीच मेरे होंठ उसके मुँह से हट गए थे और उसकी दर्द भरी कराहें निकलना शुरू हो गई थीं.
वो मुझसे धीरे करने की कहे जा रही थी. मगर मैं अपनी मस्ती में उसकी कुंवारी बुर फाड़ने में लगा हुआ था.
पांच मिनट बाद उसने गांड उठाते हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया. अब उसने कहा- आह … थोड़ा जोर से करो. मजा आ रहा है.
मैंने धक्के तेज कर दिए.
अगले आठ दस मिनट तक उसकी टाइट चूट मारते मारते मैंने उससे कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
उसने अपना सर हां में हिला दिया. मैंने बिना लंड निकाले, उसे अपने ऊपर लिया और अब वो मेरे ऊपर आ गई थी. वो मेरे लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी. मैं उसके दूध चूसता हुआ अपनी गांड उठा उठा कर उसकी बुर को भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था. ऐसे ही हम लोगों में कोई बीस मिनट तक चुदाई चलती रही.
मैं जब झड़ने को हुआ, तो मैंने उससे बोला- मेरा निकलने वाला है.
उसने कहा- मेरे अन्दर ही निकाल दो.
इतना सुनते ही मेरा रस निकल गया और वो भी साथ ही में झड़ गई.
चुदाई के बाद 10 मिनट तक हम लोग शांत रहे और चिपक कर लेटे रहे.
मैंने उससे पूछा- मैंने तुम्हारे अन्दर अपना रस गिरा दिया है, कहीं तुम पेट से हो गई तो?
उसने कहा कि तुम फ़िक्र मत करो … मैं आईपिल ले लूंगी.
मैंने उससे पूछा- तुमने तो कभी सेक्स किया नहीं था … फिर तुम्हें ये सब कैसे पता?
उसने कहा कि मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी हिंदी सेक्स कहानी पढ़ी हैं और पोर्न भी देखी है … तो मुझे पता है.
मैंने कुछ नहीं कहा. दस मिनट बाद हमने फिर से एक बार सेक्स किया और सो गए.
अगले दिन उसने मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और अपने घर चली गई.
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी बहन की चुदाई की कहानी … मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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