शिल्पा के साथ ट्रेन का सफ़र-4
लेखक : माइक डिसूज़ा
प्यारे दोस्तो, अब तक आपने शिल्पा के साथ ट्रेन में चुदाई के बारे में पढ़ा। आपने यह भी पढ़ा कि कैसे उसनी पहली बार अपने अंकल से अपनी चुदाई और फिर अपने नौकर और उसके दोस्तों के साथ चुदाई के किस्से मुझे सुनाये। अब आगे क्या हुआ मैं आपको ये बताता हूँ।
मुझसे अपनी गांड मरवाने के बाद वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और मेरे लंड से खेलने लगी, मैं भी दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियां दबा रहा था।
मैंने पूछा- फिर क्या हुआ शिल्पा?
वो बोली- बहार के दिन ज्यादा नहीं थे। कुछ दिनों के बाद पापा का वहाँ से दिल्ली तबादला हो गया और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। जाने से पहली रात मैं सुनील के घर बहाने से गई, वहाँ सुनील और उसके दोस्तों से मैंने पूरी रात चुदवाया। उसके बाद हम दिल्ली आ गए।
दिल्ली में हम एक अपार्टमेन्ट में रहने लगे। कई दिनों तक लंड के बिना मैं तड़पने लगी। भड़ास निकालने के लिए कभी इन्टरनेट का सहारा लेती थी कभी भीड़ वाली बस में घुस कर लोंडों से दबवाती थी पर मेरी चूत की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मेरे घर के बगल में एक बाहरवीं कक्षा का लड़का शम्पी रहता था। उसके पापा ने मेरे पापा से विनती की कि मैं उसे अंग्रेजी पढ़ा दूं, नहीं तो फिर से वो फेल हो जाएगा। मुझे कुछ उम्मीद की किरण दिखाई दी।
मैंने उसको कहा कि वो तीन से पाँच बजे के बीच आ सकता है। मैंने जानबूझ कर उसे तब बुलाया जब कोई घर में नहीं होता था।
मैंने देखा कि वो बहुत शर्मीला है। एक दो दिन के बाद मैंने सोचा इसकी शर्म निकालनी होगी। मैंने अब टी-शर्ट के ऊपर बटन खोलकर उसको थोड़े थोड़े अपने मम्मे दिखाने शुरू किये। स्कर्ट भी अब मैं अब घुटनों के ऊपर तक पहनने लगी। उस पर कुछ कुछ यह असर होने लगा था कि उसका लंड मुझे देखकर खडा होने लगा था। वो बहुत शर्मीला था, मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
मैं एक दिन लेट हो गई तो देखा वो फ्लैट के बाहर मेरा इंतज़ार कर रहा है। मैंने उसको अपने कमरे में बैठाया और किताब निकालने को कहा। मुझे तभी एक शरारत सूझी- मैं कमरे में ड्रेसिंग टेबल के सामने गई और उसके सामने ही कपड़े बदलने लगी। मैंने शर्ट उतार दी और अलमारी में से टी-शर्ट ढूँढने लगी। मैंने शीशे में देखा कि वो मुझे ब्रा में देख कर लगातार घूर रहा था। मैंने टी-शर्ट पहनी और अपनी जींस उतार दी और उसे अपनी टांगों के दर्शन कराये।
फिर मैं अपनी मिनी स्कर्ट पहन कर उसके पास आ गई। मैंने देखा कि उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो गया है, मैंने सोचा आज लोहा गरम है, मार देती हूँ हथौडा !
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
वो बोला- नहीं !
“कभी किसी को किस किया है”
“नहीं”
मैंने मन में सोचा- बहनचोद ! तूने ज़िन्दगी में किया क्या है !
फिर मैंने कहा- तुम्हारा किसी लड़की को किस करने का मन नहीं करता?
वो बोला- करता तो है !
“कभी स्कूल में किसी लड़की को गलत जगह पर छुआ है”
“हाँ, एक बार राजीव के उकसाने पर प्रैक्टिकल की क्लास में !”
क्या यहाँ छुआ था? मैंने अपनी छाती को अपनी उंगली से छूकर कहा।
नहीं पीछे छुआ था ! उसने मेरे चूतड़ों की तरफ इशारा करके कहा।
“मज़ा आया था?”
“हाँ”
“तुम अपने आप को खुद संतुष्ट करते हो कभी?”
“समझा नहीं ?”
मैंने उसके लंड की तरफ इशारा करके कहा- इसे रगड़कर मज़ा लेते हो?
“हाँ”
“दिन में कितनी बार?”
“2-3 बार”
“किसके बारे में सोचते हो जब उसे रगड़ते हो?”
“क्लास की लड़कियों के बारे में !”
“मेरे बारे में सोचकर रगड़ा है कभी?”
वो थोड़ा हिचकिचाकर बोला- नहीं !
मैंने मुस्कुराकर कहा- झूट बोल रहे हो !
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करके कहा- कभी किसी के देखे हैं?
“नहीं”
“मेरे देखोगे?”
“पर आप तो मेरी दीदी हैं !”
मैंने कहा- वो सब भूल जाओ ! बस यह बताओ कि देखने हैं या नहीं !
“हाँ”
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर वो भी उतार दी और उसको अपने गोरे मम्मे दिखाए।
मैंने पूछा- छूकर देखेगा?
“हाँ”
मैंने उसका हाथ अपने मम्मे पर रख दिया वो उसे धीरे धीरे मसलने लगा।
मैंने कहा- मज़ा आ रहा है?
“हाँ”
मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और कहा- तेरा तो खड़ा हो गया है, तू अपनी दीदी को नहीं दिखायेगा? देखें तो तेरा कितना बड़ा है !
वो खड़ा हो गया और अपनी पैंट खोलकर अपना अंडरवियर नीचे कर दिया। मैं उसका लौड़ा देख कर मस्त हो गई। कितने दिनों से मेरी चूत एक लंड के लिए प्यासी थी। मैंने नीचे बैठ कर उसे चाटना शुरू कर दिया।
वो बोला- दीदी यह क्या कर रही हो?
मैंने कहा- तू चुपचाप बैठ जा और मज़े ले !
उसको बैठाकर मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया। वो मस्त होने लगा और जल्दी ही झड़ गया।
मैंने कहा- बहनचोद, थोड़ी देर तो रुक जाता !
वो मेरे मुँह से गाली सुनकर घबरा गया। फिर मैंने उसके लंड का सब पानी चूस लिया और उसे चाटकर साफ़ कर दिया। उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और भाग गया। मेरी चूत फिर तड़पती रह गई।
अगले दिन मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी। वो आया तो मैंने पूछा- क्या हुआ ? कल मज़ा आया था?
उसने कुछ जवाब नहीं दिया। मैंने उसको अपने बगल में बिस्तर पर बैठा लिया और उसके दोनों हाथ पकड़कर अपने मम्मों पर ले गई और दबवाने लगी। फिर उसने खुद मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए। मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट उतार दी। वो मेरे मम्मों को हाथ में लेकर बारी बारी से मेरी दोनों चूचियों को चूसने लगा। मैं मस्त होने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- अपनी दीदी की चूत देखेगा?
वो बोला- हां ! देखूंगा !
मैंने बिस्तर पर खड़े होकर अपनी स्कर्ट उतार दी और उसको अपनी चिकनी चूत के दर्शन कराए। मैं बिस्तर पर लेट गई और टाँगे फैला दी। फिर उससे कहा- ले चाट मेरी चूत को !
वो नीचे जाकर मेरी चूत चाटने लगा। मुझे मज़ा आने लगा था और आआह….. आह…. की आवाजें निकालने लगी। थोड़ी देर में मैं झड़ गई।
फिर मैंने उसकी पैंट और अंडरवियर को उतारकर उसका लंड चूसना शुरू किया। इससे पहले कि वो झड़ जाये मैं रुक गई और उससे बोली- चोदेगा अपनी दीदी को?
वो बोला- हाँ ! चोदूंगा !
मैंने फिर लेटकर अपनी टाँगें फैला दीं। उसने मेरे ऊपर आकर अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया, मेरी आह निकल गई, मैं बोली- हाय, आज कितने दिनों के बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है ! बहनचोद आज अपनी दीदी की फाड़ के रख दे !
वो मुझे जोर जोर से धक्के मारने लगा।
मैं बोली- भोंसडी वाले मुझे गाली दे दे के चोद !
पर वो चुपचाप ही मुझे चोदता रहा और थोड़ी देर में झड़ गया।
अगले दिन मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रही थी। साढ़े तीन बजे तक जब वो नहीं आया तो मैंने उसके घर फ़ोन किया, उसने फ़ोन उठाया तो मैंने पूछा- क्या हुआ? इतनी देर क्यों लगा दी?
वो बोला- बहन की लौड़ी, रंडी साली ! तुझे बड़ी जल्दी है चुदवाने की, अभी आता हूँ साली ! आज तेरी फाड़ के रख दूंगा।
यह कहकर उसने फ़ोन रख दिया। मैं सन्न रह गई और उसका बेसब्री से इंतज़ार करने लगी। वो जैसे ही घर में घुसा तो मुझे उठा लिया और मेरे बिस्तर पर पटक दिया। फिर अपनी पैंट खोलकर अंडरवियर उतारा और लंड बाहर निकालकर कहा- आजा रांड ! चूस इसे !
मैंने उसकी बात मान ली और उसका लंड चूसने लगी। वो फिर मेरा सर पकड़कर मेरे मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने कहा- कुतिया, चल अब जल्दी से नंगी हो जा, अभी तेरी चूत फाड़ता हूँ।
मैं अपने कपड़े उतारकर नंगी होकर लेट गई।
उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से चोदने लगा और गालियाँ देने लगा। उस दिन मुझे चुदने में बहुत मज़ा आया। फिर वो रोज़ रोज़ आकर मुझे गालियाँ दे दे कर चोदने लगा। मैं उससे रोज़ चुदवाने लगी, वह भी मज़े ले लेकर अपनी दीदी को रोज़ चोदने लगा।
थोड़े ही दिन बाद मुझे एक दूसरे लंड की चाह होने लगी। मैंने उसके दोस्त राजीव के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो कई लड़कियों को चोद चुका है।
मैंने कहा- मुझे भी उससे चुदवाओ न !
वो बोला- कैसे ?
मैंने कहा- तुम उससे कहो कि तुम्हारे बगल के घर में एक बहुत मस्त माल रहता है और तुम उसे चोदना चाहते हो उसमें तुम्हें उसकी मदद चाहिए। उससे बोलो कि तुम मेरे घर में आकर मुझे बेहोशी की दवाई देकर चोदना चाहते हो और उसमें उसकी मदद चाहिए।
मैंने जैसा समझाया था उसने वैसा ही किया। वो राजीव को लेकर मेरे घर आ गया और बोला दीदी आज से यह भी मेरे साथ पढ़ने आएगा। मेरी मस्त जवानी देखकर राजीव की आँखें खुली रह गई। उन दोनों को मैंने अपने कमरे मैं बैठाया।
शम्पी कहने लगा- दीदी, एक कप चाय पिलाओ !
मैंने तीनों के लिए चाय बनाई। फिर उसने चुपचाप से एक नकली बेहोशी की दवाई मेरी चाय में मिला दी। थोडी देर में मैं चक्कर आने की एक्टिंग करने लगी।
उन दोनों ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।
शम्पी बोला- अब क्या करें?
राजीव ने कहा- करना क्या है, अब तुम्हारी दीदी को चोदेंगे !
यह कह कर वो मेरे मुँह को चूमने लगा और मेरे मम्मे दबाने लगा। फिर मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मे चूमने लगा। फिर दोनों ने मिलकर मुझे थोड़ा सा पलटकर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और ऊपर उठा दी।
राजीव बोला- बहनचोद, क्या मम्मे है साली के ! बहुत मस्त माल फँसाया है !
फिर शम्पी ने मेरी स्कर्ट नीचे कर दी और मेरी टाँगें देख कर राजीव बोला- आज तूने दिल खुश कर दिया शम्पी ! ऐसा माल तो मैंने कभी नहीं चोदा ! बहुत मज़ा आएगा !
मैं अंदर से बहुत उत्तेजित हो रही थी और इंतज़ार कर रही थी कि कब राजीव का लंड मेरी चूत की शोभा बढ़ाएगा।
फिर राजीव ने मेरी पैंटी उतार के मेरी चिकनी चूत के दर्शन किये। वो मेरी चूत देखकर बोला- साली कईयों से चुद चुकी है !
शम्पी बोला- तुझे कैसे पता?
राजीव बोला- बहुत चूतें देखी हैं मैंने ! एक नज़र में बता सकता हूँ !
उसने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी और मैं कसमसाने लगी।
वो बोला- देख बहन की लौड़ी बहोशी में भी कसमसा रही है, इसकी चूत लंड के लिए कितनी बेताब है।
फिर वो दोनों नंगे हो गए। राजीव ने मेरी टाँगें फैला दी और अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। ऊपर शम्पी मेरे मम्मे चूसने में मस्त था। रजीव जोर जोर से धक्के मार कर मुझे चोदने लगा। मैं भी चुदाई का मज़ा लेने लगी। उसके झड़ने के बाद शम्पी मेरे ऊपर चढ़ गया और रोज़ की तरह अपनी दीदी को चोदने लगा।
राजीव बोला- साली बेहोश है ! नहीं तो इससे लंड चुसवाने में भी बहुत मज़ा आता !
थोड़ी देर बाद वो मुझे कपड़े पहना कर घर से चले गए।
अगले दिन वे दोनों फिर घर आये, मैंने उनसे पूछा- कल क्या हुआ था?
शम्पी बोला- कुछ नहीं दीदी, आपको चक्कर आ गया था और हम आपको बिस्तर पर लिटा कर चले गए थे।
मैं बोली- झूठ मत बोलो ! तुम लोगों ने कल मेरे साथ गलत काम किया है !
राजीव बोला- हाँ किया है ! तू चीज़ ही ऐसी है कि तुम्हें देखकर किसी का भी मन मचल सकता है !
मैंने कहा- तुम लोगों ने मेरे साथ अच्छा नहीं किया !
राजीव बोला- तू तो ऐसे बात कर रही है कि इससे पहले तूने किसी से चुदवाई नहीं है !
मैंने कहा- पर तुम लोगों ने मेरी मजबूरी का फायदा उठाया है।
राजीव बोला- हाँ हमने तुम्हें चोदा है और आगे भी चोदेंगे !
मैंने कहा- मैं तुम्हें अब हाथ भी नहीं लगाने दूँगी।
राजीव ने फिर एक नया पैतरा फेंका, वो बोला- देखो, हमने कल तुम्हारी चुदाई का एक वीडियो बनाया है, अगर हमसे चुदवाओगी नहीं तो वो पूरे मोहल्ले को दिखा देंगे।
मैं बोली- प्लीज़, ऐसा मत करना ! जो बोलोगे मैं करूंगी !
वो बोला- ठीक है, पहले तो मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड निकाल और उसे चूस !
मैंने उसकी पैंट खोलकर पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दिए और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। शम्पी ने मेरी शर्ट और ब्रा खोल दी और मेरे मम्मे दबाने लगा। फिर मेरी ब्रा और शर्ट उसने उतार दिए। मैंने राजीव का लंड चूसना जारी रखा।
राजीव बोला- देख साली को कितना मज़ा आ रहा है ! चल शिल्पा आज तुझे हम दोनों मिल के और मज़ा देंगे ! चल बिस्तर पर जाकर कुतिया बन जा ! आज तुझे पीछे से चोदेंगे।
मैं अपनी जींस और पैंटी उतार कर बिस्तर पर कुतिया बन गई, राजीव मेरे पीछे से आया और कुतिया की तरह मुझे चोदने लगा। शम्पी ने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड लेकर मेरे मुँह के पास आ गया और मैंने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में राजीव झड़ गया और बिना बोले ही मैं सीधी हो कर लेट गई और अपनी टांगें फैला कर शम्पी से कहा- आजा बहनचोद अपनी दीदी की चूत फाड़ दे !
शम्पी मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे गलियाँ दे दे कर चोदने लगा। राजीव यह देखकर हैरान रह गया। बाद में हमने राजीव को सब सच सच बताया और हँसने लगे।
इस तरह शिल्पा ने अपनी चुदाई का किस्सा ख़त्म किया।
मैंने उससे कहा- तू साली रंडी नहीं कुतिया है जो हरेक कुत्ते के सामने अपनी चूत खोल के खड़ी हो जाती है ! चल इस बार तुझे कुतिया की तरह चोदता हूँ ! चल नीचे जाकर कुतिया बन जा !
वो नीचे जाकर कुतिया बन गई और मेरा इंतज़ार करने लगी। मैं उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। थोड़ी देर में हम दोनों फिर झड़ गए। उसने मेरा लंड चाट के साफ़ किया और सीट पर लेट गई।
इसके बाद की कहानी मैं आपको आगे बताऊँगा।
आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे बताएं, इ मेल करें !
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