साधना की चूत साधना
दोस्तो, यह कहानी साधना की चुदाई है। वो पतली.. गोरी.. पर साधारण नैन-नक्श वाली एक कामुक औरत थी। हालांकि मैं कुल मिलाकर 10 में से उसको 6.5 नंबर देना चाहूँगा। वो आज तीन बच्चों की माँ है।
उसकी बड़ी लड़की 25 साल की है.. आप उसकी उम्र अंदाज लगा सकते हैं.. वो लगभग 45 वर्ष की होगी.. जबकि मैं 27 साल का हूँ।
आज मैं अपने लंड का भूगोल लिख रहा हूँ। मेरे लौड़े की वास्तविक लंबाई 17CM.. लंड का व्यास 3.70CM.. लंड की त्रिज्या 1.85CM.. लंड की परिधि 11.63 CM की है।
अब मुख्य कहानी पर आता हूँ।
जब वो गेहूँ.. चावल.. बीनने बैठती तो अपने पेटीकोट को जाँघों तक समेट कर बैठती.. मैं ये देखकर पागल हो जाता।
मैं अपनी छत से खिड़की के छेद से उसे स्नान करते देखता।
एक बार वो बाथरूम का दरवाजा खोलकर दोपहर में नहा रही थी.. उस समय कोई रहता नहीं था.. तो वो अपना पूरा पेटीकोट कमर तक समेट कर बैठ गई। उसकी बुर साफ़ दिखाई देने लगी.. मेरा हाथ कब मेरे लंड पर चला गया.. मुझे अहसास ही नहीं हुआ।
उसने मग से पानी अपनी बुर पर मारा.. फिर हाथ से रगड़ने लगी। उसके बाद साबुन लगाकर चूत को रगड़ते हुए अपनी ऊँगली बुर में अन्दर-बाहर करने लगी।
इसी के साथ मेरा हाथ भी लंड पर तेजी से चलने लगा और कुछ ही पलों में मेरा वीर्य दीवार पर गिरा।
अक्सर वो इसी तरह नहाती और मैं आँखें सेंकता.. और मुठ मारता रहता।
जब भी मैं साधना से मिलता.. तो उसे आंखों से चोद देता.. पर कभी ना तो उसने पहल की.. और ना मेरी हिम्मत हुई। जबकि मुझे यह लगता था कि ये सब जानबूझ कर मुझे चूत दिखाती है।
एक बार मैं गर्मी में दोपहर में उसके पास गया.. मैंने देखा कि वो कूलर की तरफ टाँगें करके सो रही थी और उसका पेटीकोट हवा से उड़ गया था, उसकी बुर साफ-साफ दिख रही थी। उसकी झाँटों को देखकर लग रहा था कि एक हफ्ते पहले ही बनाई थी।
चूत को देखा तो मेरा गला तेजी से सूखने लगा। मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया.. मुझे लगा मेरा वीर्य पैंट में ही निकल जाएगा।
मैंने भागकर बाथरूम में पैंट खोलकर लंड को पकड़ा ही था कि तुरंत वीर्य छूट गया।
मैं वापस आया देखा तो उसकी टाँगें मुड़ी हुई थीं और उसकी बुर और भी उभर कर दिखाई दे रही थी।
मैं कुछ करता.. तभी गली में मोटरसाइकिल की आवाज सुनाई पड़ी.. तो मैं जल्दी से वहाँ से निकल गया और अपने घर में घुस गया।
मैं उसकी बुर अक्सर देखता रहता था। एक दिन रात दो बजे पेशाब करने उठा तो देखा वो बुर फैलाकर मूत रही थी.. मेरे ऊपर काम-वासना चढ़ कर चरम पर पहुँच गई।
तभी उसने मेरी ओर देखा और कातिल नजरों से मुस्कुराई.. मैंने तेजी से उसके पास जाकर अपना हाथ उसकी बुर के छेद पर रख दिया.. उसने एकदम से उठना चाहा.. पर मैंने धक्का देकर उसे गिरा दिया।
उसकी गर्म पेशाब से मेरा हाथ भीग गया।
वो फुसफुसाई- क्या कर रहे हो.. कोई देख लेगा।
मैंने कहा- अगर कोई ना देखे तो..
उसके अधरों पर शरारत भरी मुस्कान तैर उठी।
वो बोली- छत पर पानी की टंकी के पीछे चलो।
मैंने उससे पूछा- तुम इतनी बार बुर दिखाकर मेरा ईमान खराब करवाती रही।
साधना बोली- मैं तो यह सोचती थी कि पता नहीं तुम जैसा नौजवान.. मुझ जैसी उम्रदराज को चोदेगा भी या नहीं..
मैंने कहा- सूख से भल.. पतोहू जूठ.. मैं यहाँ सड़का मार-मार कर परेशान हूँ और तुम उमर की बात कर रही हो।
वो मेरे सीने से झूल गई।
मैंने उसको लंड को चूसने को कहा तो उसने कहा- नहीं.. मुझे घिन आती है।
फिर मैंने उसको जोर नहीं दिया, मुझे भी उसकी बुर चाटने का मन नहीं हुआ।
मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा.. पर मुझे ज्यादा मजा नहीं आया। मैंने उसके पूरे कपड़े ना उतार कर.. सिर्फ पेटीकोट और साड़ी को ऊपर कर दिया, उसकी गीली बुर पर लंड को हाथ से इतना घुसेड़ा कि शिश्नमुंड अन्दर हो गया।
फिर थोड़ा सा कमर पीछे करके धक्का मारा.. तो पूरा लंड ‘घप्प’ की धीमी आवाज के साथ अन्दर हो गया।
अब मैं हुमक-हुमक कर चोदने लगा, उसकी बुर से ‘पुच.. पुच..’ की आवाज निकलने लगी।
वो झड़ गई और दस मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
मैंने पूछा- तुम्हारे पति का लंड ठीक नहीं है क्या.?
साधना बोली- नहीं.. उनके लंड की मोटाई-लंबाई तो ठीक है.. पर उनके मोटापे के कारण और बड़ी तोंद के कारण.. वो मुझे अच्छे से चोद नहीं पाते हैं।
उस समय तक मेरी शादी नहीं हुई थी, मैं साधना आंटी की चूत की साधना करता रहा।
शादी के बाद उन्होंने चोदने को बोला.. तो मैंने कहा- आंटी.. अब ये ठीक नहीं है।
फिर मैंने उनको औरत के ऊपर वाले आसन की चुदाई की वीडियो दिखाई और उन्हें अंकल से चुदवाने का तरीका समझाया। फिर वो अपने पति के साथ वैसे ही मजा लेने लगी।
आपके विचार आमंत्रित हैं।
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