सास के साथ चरम सुख की प्राप्ति
मैं दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत हूँ. ये मेरी सच्ची कहानी है. यह दो वर्ष पहले की घटना है. मैं दिल्ली में अपनी पत्नी के साथ रहता था.
काफी लम्बे समय से मेरी पत्नी की तबियत ख़राब चल रही थी, जिस कारण से उसे डॉक्टर ने पूरी तरह बेडरेस्ट के लिए सलाह दी थी. मैं दिन भर के लिए ऑफिस चला जाता था और मेरी पत्नी सारा दिन अकेले घर पर रहती थी, जिससे कि उसे पूरा आराम नहीं मिल पाता था. इसलिए उसकी देखभाल के लिए कुछ दिन के लिए मेरी सास मेरे घर आ गईं. उनके आने से हम दोनों ही लोग बहुत खुश थे.
मेरा घर थोड़ा छोटा था, जिसमें सिर्फ एक बेडरूम ही था. रात को मेरी सास मेरी पत्नी के पास बेडरूम में.. और मैं बाहर ड्राइंग रूम में सो जाता था.
मेरी पत्नी के लंबे समय से बीमार होने के कारण मैं काफी समय से यौन सुख से वंचित था, अतः कभी कभार हस्तमैथुन के द्वारा अपनी यौनक्षुधा को शांत कर लेता था.
एक बार सुबह के समय मेरी पत्नी वाशरूम गई हुई थी और मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था. मैं कमरे से अपनी एक फ़ाइल लेने के लिए आगे बढ़ा, मैं अभी हल्का सा दरवाजा खोल ही पाया था कि अन्दर का दृश्य देख कर मैं भौचक्का रह गया. अन्दर मेरी सासू नहाने के बाद कपड़े पहनने जा रही थीं. वो अपने पूरे नंगे शरीर को तौलिये से पौंछ रही थीं. मैं बाहर ही ठिठक गया और चुपचाप झांक कर सब कुछ देखने लगा.
मेरी सास उस वक़्त पूरी तरह नग्न अवस्था में मेरे सामने की तरफ होकर खड़ी थीं और उनके गीले बाल बिखरे हुए थे. धीरे धीरे वो एक एक करके अपने कपड़े पहन रही थीं और मैं सांस रोक कर उनके गोरे बदन को निहार रहा था.
मुझे ऐसा लग रहा था, मानो कोई अप्सरा अभी नहा कर निकली हो. उनके शरीर के अंग अंग से यौवन मानो टपक रहा था. उनकी गदराई नग्न देह, ये बता रही थी कि अभी उनमें कितनी जवानी बाकी है. उनके तने हुए मम्मे मुझे पागल किए दे रहे थे. उनकी उम्र भले ही 48 साल थी, लेकिन अभी सचमुच वो बहुत जवान थीं. उनका गोरा कसा हुआ बदन देख कर मेरी दबी हुई काम वासना हिलोरें मार रही थी.
कुछ पल बाद वो तैयार हो चुकी थीं, इसलिए मैं जल्दी से दरवाजे से दूर हो गया.
जब वो बाहर आईं तो मैं कुर्सी पर बैठ कर अख़बार पढ़ने का नाटक कर रहा था. उन्होंने जल्दी से मेरे लिए नाश्ता लगाया. मैं नाश्ता करते हुए उन्हें निहार रहा था, अब उनको देखने का मेरा नजरिया बिल्कुल बदल चुका था. मैं ऑफिस के लिए निकल गया.
सारा दिन ऑफिस में बैठे हुए मैं सिर्फ उन्हीं के बारे में सोचता रहा. उनका वो मदमस्त यौवन मुझे दीवाना बना रहा था. मेरे मन के भीतर एक भयंकर द्वन्द्व चल रहा था. एक ओर उनके रस भरे यौवन को चखने के लिए मन व्याकुल था, वहीं दूसरी ओर रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल था. कभी मैं सोचता कि आज रात उन्हें अपनी बांहों में भींच लूँ, उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में दबा कर उनका सारा रस पी लूँ, तो तभी ख्याल आता कि ये कैसे हो सकता है, आखिर वो मेरी पत्नी की माँ हैं.
वासना अपनी जगह है और रिश्तों की मर्यादा अपनी जगह जोर मार रही थी. मर्यादा कह रही थी कि मैं वासना में अँधा हो कर रिश्तों को कैसे तार तार कर सकता हूँ, ये गलत है.. और फिर वो एक संभ्रांत महिला हैं, अगर गलती से भी उन्हें मेरे इन विचारों के बारे में पता चल गया, तो उनकी नजरों में मेरी क्या इज्जत रह जाएगी? और कहीं मेरी पत्नी ने ये जान लिया तो फिर क्या होगा? फिर तो मेरा बसा बसाया घर टूट जाएगा.
सारा दिन इसी कशमकश में बीत गया. बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को समझाया और मैं शाम को घर आ गया. लेकिन घर पर आकर, जैसे ही मेरी सासू ने दरवाजा खोला और मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा, बस मैं फिर से विचलित हो गया. वो सुबह का दृश्य फिर से मेरी नजरों के सामने घूमने लगा.
मैं कुछ ही देर बाद अपनी पत्नी के पास बैठ कर बात करते हुए, खाना खाते हुए में चोरी चोरी अपनी सासू को ध्यान से देखने का प्रयास करता रहा. मेरी नजर उनके शरीर के एक एक उभार पर थी, इसलिए मैं उनसे निगाह भी नहीं मिला पा रहा था.
रात में कमरे के बाहर लेटे हुए मैं उन्हीं के बारे में सोच रहा था, हस्तमैथुन करते हुए उनकी गदराई हुई नंगी देह मेरी आँखों में घूम रही थी.
अब तो बस दिन रात सिर्फ इसी उधेड़बुन में लगा रहता था कि कैसे उन्हें हासिल करूँ, ऐसी क्या तरकीब लगाऊं, जिससे उन्हें बिस्तर तक अपने लंड के नीचे ला सकूँ. रात में जब वो टॉयलेट के लिए ड्राइंग रूम से हो कर गुज़रतीं, तो मन करता कि बस उन्हें अभी पकड़ के भींच लूँ, लेकिन मन मार कर रह जाता.
एक बार रात में मुझे एक तरकीब सूझी, जब वो टॉयलेट के लिए कमरे से निकलीं, तो मैं सोने की एक्टिंग करते हुए आँखें बन्द किए लेटा था. मैं जोर जोर से सांसें ले रहा था और अपने दोनों हाथों से अपने बदन को सहला रहा था.
जब बाथरूम से निकलने पर उनकी निगाह मुझ पर पड़ी, तो उन्हें लगा कि मुझे कोई परेशानी है, इसलिए वो मेरे पास आकर बैठ गईं. मैं भी यही चाहता था कि कैसे भी वो एक बार रात में मेरे पास आ जाएं. अंततः मैं अपनों तरकीब के पहले चरण में सफल हो गया था. मुझे परेशान समझ कर वो मेरे पास बैठ कर अपने हाथों से मेरे माथे को और मेरे चेहरे को सहलाने लगीं और मैं गहरी नींद में होने का नाटक करते हुए धीरे धीरे बड़बड़ाने लगा.
मैं बार बार ‘जानू जानू..’ कह कर बड़बड़ा रहा था. तभी मैंने नींद में होने का ड्रामा करते हुए उनका हाथ पकड़ लिया और एक हाथ से उनके चेहरे को सहलाने लगा.
मैं जानू जानू कह रहा था और वो बार बार कह रही थीं- बेटा क्या हुआ, अरे बेटा, मैं हूँ.
मुझे तो पता था वही हैं, मैंने उनका हाथ पकड़ के जोर से अपने तरफ खींचा और अपनी बांहों में जकड़ लिया और जल्दी से उनके होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा. उन्होंने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मैंने उन्हें जोर से जकड़ रखा था. मैं जल्दी जल्दी उनके होंठों को चूस रहा था और चूसते चूसते, मैंने करवट लेकर उन्हें अपने नीचे दबा लिया. वो बराबर अपने हाथों से विरोध कर रही थीं, लेकिन मेरी पकड़ मजबूत थी.
धीरे धीरे मैं अपने शरीर को उनके शरीर से रगड़ रहा था. लगभग 5 मिनट तक उनके होंठ चूसने के बाद मैं उनके गालों को चूमने लगा और बराबर जानू जानू कह कर बड़बड़ाता रहा ताकि उन्हें यही लगे कि मैं नींद में हूँ.
लेकिन तभी उन्होंने जोर से धक्का देकर मुझे अपने ऊपर से हटा दिया और बिस्तर से नीचे उतर गईं.
एक पल के लिए तो में बुरी तरह डर गया कि कहीं मेरा प्लान फेल तो नहीं हो गया. अब वो कहीं मेरी पत्नी को बता न दें, लेकिन मैं फिर भी गहरी नींद में होने का नाटक करता रहा और वो मुझे दूर खड़े हो कर कुछ देर घूरती रहीं. फिर वापस कमरे में जाकर लेट गईं.
अगले दिन सुबह उनका चेहरा उतरा हुआ था और वो मुझसे निगाह नहीं मिला रही थीं. पहले तो मैं थोड़ा डरा, लेकिन फिर मैं अनजान बनते हुए, एकदम सामान्य व्यवहार करने लगा. घर से निकलने के बाद दिन भर ऑफिस में मुझे ये डर लगा रहा कि कहीं वो रात वाली बात अपनी बेटी को ना बता दें. हालाँकि ऐसा कुछ नहीं हुआ.
घर जा कर रात में खाना खाकर हम सब लोग अपनी अपनी जगह लेट गए. मैं लेटे लेटे कल वाली बात याद करके सोच रहा था कि मेरी तरकीब बेकार चली गई. तभी वो टॉयलेट के लिए फिर निकलीं. मैं धीरे से एक आँख खोल कर देख रहा था, वो मेरी तरफ देखते हुए निकल गईं.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं बार बार करवटें बदल रहा था. तभी वो फिर से निकलीं और फिर मुझे ही देखते हुए गईं, इस तरह करीब दो तीन बार ऐसा हुआ. मैं समझ गया कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही हैं. इसलिए मैं अगली बार उनके निकलते का इंतज़ार करने लगा. जैसे ही मुझे उनके उठने की आहट हुई, मैं फिर से वैसे ही धीरे धीरे जानू जानू बड़बड़ाने लगा और अपने दोनों हाथों से अपने शरीर को सहलाने लगा. आज मैंने अपने अंडरवियर में से लंड को पेशाब करने वाली जगह से बाहर निकाल लिया था और इस वक्त मेरा लंड एकदम तन्नाया हुआ हिल रहा था.
मैंने देखा कि वो चुपचाप दूर खड़ी मुझे और मेरे फुंफकारते हुए लंड को देख रही थीं. थोड़ी देर देखने के बाद वो मेरे पास आकर बैठ गईं और अपने हाथ से मेरे माथे को सहलाने लगीं.
मैंने भी बिना देर किये तुरंत उनका हाथ पकड़ कर खींच कर अपनी बांहों में उन्हें भर लिया और उनके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया. उन्होंने अपने हाथों से विरोध तो जताया, लेकिन आज उस विरोध में वो बात नहीं थी. आज उनका विरोध बनावटी था.
मैंने भी मौके को भांप कर जल्दी से उन्हें अपने नीचे कर लिया और जोर जोर से उनके होंठों को चूसने लगा. बनावटी विरोध में उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कन्धे पर टिका रखे थे.. लेकिन धीरे धीरे उनकी सांसें भी गर्म होती गईं और उनके हाथ कंधे से हट कर मेरी पीठ पर आ चुके थे.
मैंने फिर उनके होंठों को छोड़ कर जोर जोर से उनके गालों को चूमना शुरू कर दिया और अपने बदन को उनके बदन पर रगड़ना शुरू कर दिया. धीरे धीरे उन पर मदहोशी छा रही थी. कपड़ों के ऊपर से मेरा खड़ा लिंग उनकी योनि पर रगड़ रहा था और मैं अपने होंठ उनके गालों पर फिरा रहा था.
तभी मैंने धीरे से एक हाथ से उनके स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया. अब तो वो और मदहोश हो चुकी थीं. इसके बाद मैंने उनकी मैक्सी को ऊपर करते हुए उनकी गोरी गोरी टांगों को सहलाना शुरू कर दिया. उनके मादक और चुदास भरे शरीर को सहलाते सहलाते मेरा हाथ उनकी योनि पर आ चुका था. मैंने एक उंगली उनकी योनि में डाल दी. खुद की चूत में उंगली अन्दर जाते ही वो चिंहुक उठीं. अब मैं धीरे धीरे अपनी उंगली से उनकी योनि को सहला रहा था और उनके होंठों को होंठों में दबा कर उनका रस चूस रहा था.
थोड़ी देर में मैंने उन्हें थोड़ा सा ऊपर उठा कर उनकी मैक्सी उनके शरीर से अलग कर दी, इसकी बाद वो पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं. उन पर लंड लेने की मदहोशी पूरी तरह छाई हुई थी. उनके स्तन एकदम कसे हुए और चेहरा गुलाबी हो चुका था. इसके बाद उन्होंने अपने हाथों से मेरी बनियान निकाल दी और मेरे ऊपर लेट कर वो मुझसे लिपट गईं, मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में जकड़ लिया.
वो मुझे जोर जोर से चूमने लगीं. मेरे गालों को चूमते हुए वो कन्धों तक आ गई और फिर मेरे सीने को चूमने लगीं. उन्होंने इसी प्यार के दौरान धीरे से मेरे सीने पर मेरी घुंडी को काट लिया.. मैं गनगना उठा. फिर वो अपनी जीभ को मेरे स्तनों पर फिराने लगीं और धीरे चूसने लगीं. इससे मुझे चरम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी. मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहलाने लगा.
फिर धीरे से उन्होंने अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाल दिया और मेरे खड़े लिंग को सहलाने लगीं. फिर जल्दी से उन्होंने मेरी पैन्ट और अंडरवियर निकाल दिया. फिर धीरे धीरे मेरे लिंग को चाटते हुए अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहला रहा था, मुझे चरम सुख की प्राप्ति हो रही थी.
इसके बाद वो मुझसे लिपट गईं, मैंने उन्हें चूमते हुए करवट लेकर अपने नीचे कर लिया और फिर उनके स्तनों को मसलते हुए उनके गालों को चूमने लगा.
थोड़ी देर तक मैं एक एक करके उनके दोनों स्तनों को मुँह में लेकर देर तक चूसता रहा. इसके बाद मैं उनके पूरे शरीर को चूमते हुए उनकी नाभि को चूमने लगा. फिर धीरे से उनकी टाँगें ऊपर उठा कर मैंने अपनी जीभ उनकी योनि में डाल दी और उनकी योनि का रस पीने लगा.
अपनी चूत चुसाई से मेरी सास बुरी तरह मदहोश होकर सिसकारियां लेने लगीं.. और उन्होंने मेरे बालों को जोर से पकड़ लिया.
उनकी चूत का रस लेने के बाद मैं उनके ऊपर आ गया और उन्हें चूमते हुए अपना लिंग उनकी योनि से रगड़ने लगा. इससे वो और अधिक बेचैन हो गईं और मुझसे लंड अन्दर डालने को कहने लगीं.
लेकिन मुझे उन्हें तड़पाने में बहुत मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर तक यूं ही मजे लेनें के बाद मैंने एक झटके में अपना लिंग उनकी योनि में डाल दिया, अन्दर डालते ही उनके मुँह से जोर से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज निकली. मैं धीरे धीरे उनकी योनि में झटके लगा रहा था और साथ ही उनके होंठों को चूस रहा था.
उन्होंने मुझे जोर से जकड़ लिया और जोर जोर से सिस्कारियां लेने लगीं. थोड़ी देर इसी पोजीशन में रहने के बाद मैंने उन्हें अपनी गोदी में बैठा लिया और अपनी बांहों में जकड़ कर उनकी योनि में जोर से झटके देने लगा.
वो जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं और उनके मुँह से आवाजें निकल रहीं थीं- उँह उंह आह आह.. हाय दईया.. हाय दईया.. आह मज़ा आ गया.. और.. और करो.. आह.. बहुत मोटा है.. आह..
गोद में बैठा कर अपनी सास की चुदाई करने के बाद मैंने सीधे लेट कर उन्हें अपने ऊपर ले लिया. अब वो मेरे ऊपर आ गई थीं.. उनके मस्त हिलते दूध दबा दबा कर चूसते हुए मैंने नीचे से अपनी गांड उठा कर उनकी चूत चुदाई करने लगा.
फिर हमने डॉगी पोज का भी आनन्द लिया और उसके बाद वो फिर से मेरे नीचे आ गईं. अब मैंने उनकी दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और अपना लिंग अन्दर डाल कर जोर जोर से झटके देना शुरू कर दिया.
धकापेल 5 से 7 मिनट तक जोरदार झटके देने के बाद मेरा सारा रस उनकी योनि में ही निकल गया और साथ में ही उनकी योनि से भी रस की धार निकल पड़ी. हम दोनों एक साथ स्खलित होने के बाद निढाल हो गए थे. हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और फिर से अपने होंठों को एक दूसरे के होंठों में फंसा कर जोरदार किस किया.
फिर मैंने उनसे उनका अनुभव पूछा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें बहुत अच्छा लगा और साथ ही उन्होंने बताया कि आज 7 साल के लंबे अंतराल के बाद उनकी जलती जवानी पर पानी पड़ा है.
यह सुन कर मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन रात का 2.30 बज रहा था इसलिए ज्यादा विस्तार में पूछे बिना हमने कपड़े पहने और अपने अपने बिस्तर पर लेट गए.
आगे की कहानी फिर कभी. इस सेक्स स्टोरी पर आपके क्या विचार हैं, कमेंट्स कीजिएगा.
कहानी का अगला भाग: सास के साथ चरम सुख की प्राप्ति-2
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