बॉस के दोस्त ने मुझे अपने फ्लैट में चोदा

बॉस के दोस्त ने मुझे अपने फ्लैट में चोदा

मेरा नाम माया है मैं मैनपुरी की रहने वाली हूं, मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं और मेरे माता पिता बहुत ही खुले विचारों के हैं परंतु मेरे चाचा चाची बिल्कुल ही खुले विचारों के नहीं हैं, वह हमेशा ही मेरे माता-पिता को कुछ ना कुछ कहते रहते हैं। मैं घर में इकलौती हूं इसलिए वह हमेशा ही मेरे माता-पिता को कहते है कि यदि आप माया को कहीं बाहर भेजोगे तो यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा, आजकल का माहौल बहुत खराब है और कोई ऊंच-नीच हो गई तो आपको ही जवाब देना पड़ेगा लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी भी इन चीजों पर ध्यान बिल्कुल भी नहीं दिया और वह मुझे हमेशा ही स्पोर्ट करते थे, वह कहते थे कि हमें तुम पर पूरा भरोसा है।

मेरे चाचा के जो बच्चे हैं वह बहुत ही बिगड़े हुए हैं, हम लोग जॉइंट फैमिली में रहते हैं लेकिन वह लोग हमेशा ही घर में शोर शराबा करते हैं, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता, मैं कई बार उन लोगों को डांट देती हूं क्योंकि वह लोग मुझसे छोटे हैं इसी वजह से मैं उन्हें डांटती हूं परंतु उसके बावजूद भी उन लोगों पर कुछ भी फर्क नहीं पड़ता। मेरे चाचा के बच्चों की हमेशा ही स्कूल से शिकायते आती हैं। चाची लोगों को स्कूल में हमेशा ही बुलाया जाता है। वह लोग ना ही पढ़ने में अच्छे हैं और ना ही किसी भी चीज में आगे हैं। वह सिर्फ घर में शोर शराबा करते हैं और हमारे मोहल्ले में सब लोगों को तंग किया करते हैं। मैं अपने घर पर ही थी और सोच रही थी कि क्यों ना मैं कहीं जॉब के लिए अप्लाई कर दूं, मैंने अपने पिताजी से इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगे कि तुम्हें जैसा उचित लगता है तुम कर लो क्योंकि मैंने एक अच्छे कॉलेज से पढ़ाई की है और उसके बाद से मैं घर पर ही हूं। मैंने अब अपनी नौकरी के लिए अप्लाई कर दिया और मुझे दिल्ली से एक जॉब का ऑफर आया, वह लोग कहने लगे कि आप दिल्ली आ जाइए और इंटरव्यू दे दीजिए, आपका सिलेक्शन हो जाएगा तो उसके कुछ समय बाद यहां जॉइनिंग कर लीजिएगा।

मैंने इस बारे में अपने माता-पिता से बात की वह लोग कहने लगे यदि तुम दिल्ली जाना चाहती हो तो ठीक है, मेरे पिताजी मुझे कहने लगे कि तुम मेरे साथ ही दिल्ली चलना और हम लोग कुछ दिन वहीं पर रुकेंगे, यदि तुम्हारा सिलेक्शन हो जाएगा तो तुम वही जॉब कर लेना। मेरे पिताजी को किसी भी चीज से आपत्ति नहीं थी लेकिन जब यह बात मेरी चाची को पता चली तो वह मेरी मां को कहने लगे कि आप माया को दिल्ली मत भेजिए, वहां माया के लिए ठीक नही है और वह मेरी मां को बहुत सारी चीज कह रही थी। मेरी मां ने भी उनकी बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया, मेरी मां कहने लगी कि अभी तो वह सिर्फ इंटरव्यू देने जा रही है जब इंटरव्यू में सेलेक्ट हो जाएगी उसके बाद ही वह वहां पर रहेगी लेकिन मेरा चाचा चाचा दोनों ही मेरे माता-पिता को इस बारे में मना कर रहे थे परंतु मेरे पिताजी ने ट्रेन का रिजर्वेशन करवा दिया और हम लोग दिल्ली चले गए। जब हम लोग दिल्ली गए तो मेरे पिताजी ने एक होटल में कमरा ले लिया और उसके बाद हम लोग होटल में ही रुके हुए थे। जब मैं इंटरव्यू देने गई तो मेरा फर्स्ट राउंड क्लियर हो गया था, तीन राउंड और होने थे। कुछ देर बाद मेरे दो राउंड क्लियर हो चुके थे और एक राउंड दो दिन बाद था इसीलिए हमें दो दिन तक दिल्ली में ही रुकना पड़ा। मेरे पिताजी भी मेरे साथ ही थे और इन दो दिनों में हम लोग दिल्ली घूमने लगे। दिल्ली में मेरे पिताजी के कोउ परिचित थे, हम लोग उनके घर भी उनसे मिलने गए। दो दिन बाद जब मैं ऑफिस गई तो वहां पर मेरा लास्ट राउंड भी क्लियर हो गया और वह लोग कहने लगे कि आप 10 दिन के अंदर ऑफिस जॉइन कर लीजिए। जब मेरे पिताजी ने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारा सिलेक्शन हो चुका है, मैंने उन्हें बताया कि हां मेरा सिलेक्शन हो चुका है और वह लोग कह रहे हैं की तुम 10 दिन के अंदर ऑफिस जॉइन कर लेना। मेरे पिताजी बहुत खुश हुए और वह कहने लगे कि ठीक है तुम 10 दिनों बाद ऑफिस जॉइन कर लेना, मैं तुम्हारे लिए यहां रहने की व्यवस्था करवा देता हूं।

मेरे पिताजी के ही एक परिचित थे जिनके घर हम मिलने भी गए थे, मेरे पिता जी ने उन्हें फोन कर के कहा कि माया अब यही रहेगी यदि आपकी नजर में कोई घर हो जहां पर वह रह सके तो आप हमें बता दीजियेगा। वह कहने लगे कि हमारे परिचित में एक लड़की है यदि माया उसके साथ रह सकती है तो हम लोग उससे बात कर लेते हैं। मेरे पिताजी ने उन्हें कहा ठीक है आप उन लोगों से बात कर लीजिए। जब उन्होंने घर के सिलसिले में बात कर ली थी तो मैं उस लड़की से मिलने गई, वह भी एक अच्छी कंपनी में नौकरी करती है और वह मुझे भी अच्छी लगी, उसका व्यवहार भी अच्छा था। उसने अपने पास सारा सामान रखा हुआ था और वह भी अपने साथ रहने के लिए एक पार्टनर ढूंढ रही थी। मेरे पिताजी ने उसे कह दिया ठीक है माया तुम्हारे साथ ही रहेगी और उसके बाद हम लोग मैनपुरी वापस लौट गए। जब मैनपुरी हम लोग वापस लौटे तो मेरे चाचा और चाची का मुंह पूरा उतरा हुआ था क्योंकि मेरी मां ने उन्हें बता दिया था कि माया अब दिल्ली में ही नौकरी करने वाली है मेरी चाची को यह बात बिल्कुल भी हजम नहीं हो रही थी और वह मेरे पास आकर पूछने लगी क्या तुम्हारा सिलेक्शन हो चुका है, मैंने उन्हें बताया कि हां मेरा सिलेक्शन हो चुका है।

मेरी चाची बहुत ही मीठी तरीके से बात करती है और वह मुझसे कहने लगी कि तुम वहां अकेले कैसे रहोगी, दिल्ली तो एक बहुत बड़ा शहर है। मैंने उन्हें कहा कि मैं अकेले रह लूंगी, मुझे किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी और हम लोगों ने वहां पर रहने का भी प्रबंध कर लिया है। मेरी चाची को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी कि मैं कहीं बाहर रहूं मेरे चाचा और चाची कभी भी मेरा भला नहीं चाहते, यह बात मेरे माता-पिता को अच्छे से पता है। मेरे पिताजी उन्हें कुछ नहीं कहते थे और मैंने भी अपना सामान रखना शुरू कर दिया और मेरी मां ने भी मेरे साथ समान रखने में मदद की। उसके बाद मैं कुछ दिनों बाद दिल्ली चली गई। जब मैं दिल्ली गई तो मैं उसी लड़की के साथ रहने लगी और मैंने अपना ऑफिस भी ज्वाइन कर लिया था। मेरा ऑफिस बहुत अच्छे से चल रहा था। सुबह के वक्त मैं ऑफिस जाती और शाम को मैं घर लौट कर आती थी। मेरे माता-पिता मुझे हमेशा ही फोन करते थे और मेरे बारे में पूछते थे कि तुम ठीक तो हो। मैं हमेशा ही उन्हें कहती कि मैं अच्छे से हूं, आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए। मेरे ऑफिस में जो बॉस है वह भी बहुत अच्छे हैं और उनका व्यवहार बहुत ही अच्छा है। वह बहुत ही अच्छे तरीके से सबसे ऑफिस में बात करते हैं। ऑफिस में उन्हीं के एक मित्र अक्सर आया करते थे, उनका नाम रंजीत है। रंजीत भी हमेशा मुझसे बात किया करते थे और मैंने उन्हें अपने बारे में बता दिया था कि मैं मैनपुरी की रहने वाली हूं। रंजीत की उम्र भी 35 वर्ष के आसपास की है लेकिन उन्होंने अभी तक शादी नहीं की। एक दिन वह मेरे साथ बैठे हुए थे तो मैंने उनसे पूछा आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की। वह कहने लगे कभी भी ऐसा कोई मौका मुझे मिला नहीं कि मैं शादी के बारे में विचार कर पाता, मैं अपने काम में बहुत व्यस्त था और अब मैंने अपना काम अच्छे से सेटल कर लिया है तो मैं शादी का विचार बना रहा हूं परंतु मुझे कोई भी अच्छी लड़की नहीं मिल रही। मुझे रंजीत के साथ बात करना अच्छा लगता था और एक दिन उन्होंने मुझे कहा कि जब तुम ऑफिस से फ्री हो जाओ तो क्या तुम कुछ देर मेरे साथ बैठ सकती हो, मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं आपके साथ ऑफिस से फ्री होने के बाद कुछ देर के लिए आ जाऊंगी। जब मैं ऑफिस से फ्री हुई तो मैं रंजीत से मिलने के लिए चली गई। हम दोनों पास के सीसीडी में बैठे हुए थे और बात कर रहे थे।

मुझे रंजीत से बात करना बहुत अच्छा लग रहा था वह जिस प्रकार से मुझसे बात कर रहे थे मैं उनकी तरफ आकर्षित हो रही थी और उनसे बहुत अच्छे से बात करती। रंजीत मुझसे कहने लगे क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो। मैंने उन्हें कुछ भी जवाब नहीं दिया लेकिन मेरा मन बहुत था उनके साथ सेक्स करने का। उन्होंने मुझे कहा कि मेरा तुम्हें चोदने का बहुत मन है। वह मुझे अपने साथ अपने फ्लैट में ले गए जब हम लोग उनके फ्लैट में पहुंच गए तो उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपनी बाहों में समा लिया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उनकी बाहों में थी। जब उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे हिलाना शुरू कर दिया और हिलाते हिलाते अपने मुंह में ले लिया। मैंने उनके लंड को अपने मुंह में लिया तो उन्हें बहुत अच्छा लगने लगा वह मेरे गले तक अपने लंड को डाल रहे थे। उन्होंने अपने लंड को मेरे मुंह से निकालते हुए मेरे पूरे शरीर को चाटना शुरू कर दिया और जब उन्होंने मेरी योनि पर अपनी जीभ लगाई तो मेरी योनि से पानी बाहर की तरफ आने लगा और मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। जब उन्होंने मेरी योनि पर अपने लंड को लगाया तो मुझे बहुत गर्म महसूस होने लगा। जैसे ही उन्होंने अपने लंड को मेरी योनि में डाला तो मैं चिल्लाने लगी और मेरी योनि से खून भी निकलने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगता जब वह मुझे झटके मार रहे थे और उन्होंने मेरे दोनों पैर को कसकर पकड़ लिया और मुझे बहुत देर तक चोदा। जैसे ही उनका माल गिरा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ उन्होंने अपने वीर्य को मेरी योनि से साफ करते हुए मुझे अपने ऊपर लेटा दिया। उन्होंने अपने लंड को मेरी योनि में डाल दिया जैसे ही उनका लंड मेरी योनि में घुसा तो मुझे अच्छा महसूस होने लगा। उन्होंने बड़ी तेजी से मुझे चोदा कुछ देर बाद मैने भी अपनी चूतडो को हिलाना शुरू कर दिया और बहुत अच्छे से मैं अपनी चूतडो को हिला रही थी। काफी समय तक ऐसा करने के बाद जैसे ही उनका वीर्य गिरा तो मुझे अच्छा महसूस हुआ।

 

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