सपनों की काम-क्रीड़ा
प्रेषक : जयेश
नमस्कार मित्रों !
मैं आपका जयेश फ़िर से आपकी खिदमत में हाजिर हूँ। मेरी पहली कहानी ‘दोस्त की चाची को चोदा’ को लेकर मुझे आपके कई मेल आये और ज्यादातर मेल के मैंने जवाब भी दिये हैं। लेकिन अगर किसी को उनके मेल का जवाब ना मिला हो तो मैं उनसे क्षमा चाहता हूँ।
दोस्तो, पिछली बार की तरह मैं फिर से आपके लिये एक नई कहानी लेकर आया हूँ। आशा करता हूँ आपको मेरी ये कहानी जरुर पसन्द आयेगी…
चाची को पहली बार चोदने के बाद अब मैं बस चुदाई के बारे में ही सोचने लगा था। हर बार बस चुदाई के ही ख्यालों में रहने लगा था।
इसी तरह एक दिन पूरे दिन के काम-काज के बाद घर लौटा और खाना वगैरह खाने के बाद सोने चला गया। पूरे दिन की थकान की वजह से मुझे बिस्तर पर लेटते ही नींद लग गई। मैं गहरी नींद में सो गया। जब मैं गहरी नींद में सो रहा था, तभी मुझे कुछ दिखने लगा। पहले तो सब धुंधला होने के कारण मुझे कुछ समझ नहीं आया। लेकिन जब सब कुछ साफ़ होने लगा।
मैंने देखा कि मैं एक कमरे में हूँ। वो कमरा बहुत ही बड़ा और आलीशान था। पूरे कमरे में साफ़ सफ़ाई की हुई थी। कहीं पर भी कूड़े का नाम तक नहीं था। कमरे के एक तरफ़ सोफ़ा। एक तरफ़ कबर्ड, टी-वी, और बहुत सी ऐशो-आराम की चीजें थीं। कुल मिलाकर वो कमरा किसी फाइव स्टार होटल का कमरा दिख रहा था।
मैं उस कमरे को देख ही रहा था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी। मैं बहुत ही आश्चर्यचकित होकर दरवाजे की ओर बढ़ा और मैंने दरवाजा खोला। मैं देखते ही रह गया।
दरवाजे पर एक लड़की खड़ी थी। बहुत ही गोरी। दिखने में तो बहुत भोली लग रही थी। उसने सफ़ेद रंग की सलवार-कमीज पहनी हुई थी। वो उसके शरीर के मुताबिक बहुत ही फ़िट थी।
मैं उसे ऊपर से नीचे देख ही रहा था कि उसने कहा- सुनिये। क्या आप जयेश हैं?
मैं और भी आश्चर्यचकित हो गया कि इस लड़की को मेरा नाम कैसे पता है? पर फिर भी मैंने उसे हाँ मैं जवाब दिया। मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम ‘कनिका’ बताया, इतना कहते ही वो सीधा मेरे कमरे आ गई और मुझे दरवाजा बंद करने के लिये बोल दिया।
अंदर आते ही उसने अपनी चुन्नी गले से अलग की और मुझे ए सी चालू करने के लिये बोला।
मैंने उससे पूछा- मैं तो आपको नहीं जानता हूँ?
वो बोली- जान जाओगे जयेश थोड़ा इन्तजार तो करो। आप वहाँ बेड पर बैठ जाओ। मैं आपको सब बताती हूँ।
मैं बेड पर जाकर बैठ गया, वो मेरे पास आई और मेरी जाँघों पर बैठ गई। मुझे यह सब अजीब लग रहा था। पर फ़िर भी मैं चुप था। फ़िर उसने अपना मुँह मेरे मुँह के पास लिया और मेरे लबों पर उसके लबों को रखने लगी।
मैंने थोड़ा विराध किया पर फ़िर मेरे अन्दर भी वासना जगने लगी। और मैं भी उसका साथ देने लगा। उसके गुलाबी मखमली होंठ मेरे होंठों को चूम रहे थे और उसके बाल मेरे चेहरे के चारों ओर बिखरे पड़े थे।
अब मैंने भी उसका साथ देना शुरु कर दिया और धीरे से अपने हाथ उसकी पीठ पर सहलाना शुरु किया। अब हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूम रहे थे। कभी उसके होंठ मेरे मुँह में होते तो कभी मेरे उसके मुँह में। साथ ही कभी मेरी जीभ उसके मुँह में तो कभी उसकी मेरे मुँह में। इसी के साथ में कभी उसके गालों को चूमता, कभी होंठों को, तो कभी उसके कानों को हल्के से काट लिया करता था। इस बात से वो और भी कामुक हो रही थी।
उसी वक्त मैं उसकी कमीज को धीरे-धीरे अलग करने लगा। और कुछ ही मिनटों में उसकी कमीज को उसके शरीर से निकाल फेंका। अब वो मेरे सामने केवल ब्रा में बैठी थी।
क्या बताऊँ यारों, उसके स्तन कितने मस्त लग रहे थे। गोरे-गोरे दूध और उनके ऊपर गुलाबी निप्पल क्या मस्त लग रहे थे। उसके चूचे लगभग 36″ के होगे। मैं तो उन्हें देख कर मदहोश हो गया।
मैं उसे चूमते हुए उसके स्तनों तक आया और उसके स्तनों को चाटने लगा। और थोड़ी ही देर में मैंने उसके स्तनों को भी आजाद कर दिया। अब उसके बड़े बड़े स्तन मेरे सामने नंगे थे।
इतना देख कर मेरा खुद पर काबू नहीं रहा और मैं उसके स्तनों पर टूट पड़ा और उसके निप्पलों को काटने लगा।
उसकी चीख निकल पड़ी … इइ… आआ…!!! और वो कहने लगी ‘यह क्या कर रहे हो जयेश। जरा आराम से करो मुझे दर्द हो रहा है !”
अब मैं उसके स्तनों को दबाते हुए अपने हाथ नीचे की ओर ले गया और उसके सलवार को भी उसके तन से अलग कर दिया। मैंने एक बार और उसके पूरे तन को चूमा। उसकी पेंटी को भी उसके शरीर से अलग कर दिया… अब वो पूरी नंगी मेरे सामने थी।
वो तो जैसे कोई परी लग रही थी। मैंने धीरे से उसकी चूत पर अपना हाथ घुमाया तो उसकी आवाज निकल पड़ी। मैं अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गया और अपनी जीभ उसकी चूत पर रखते हुए धीरे से अंदर डाली और उसकी चूत को चाटने लगा।
मैं कभी उसकी चूत को चाटता तो कभी उंगलियों से उसे चोदता, साथ ही मैं उसके गाण्ड में भी ऊँगली कर रहा था। इन सब से वो और भी ज्यादा कामुक और मदहोश हो रही थी।
5-10 मिनट तक मैं ऐसा ही करते रहा। उसके बाद अचानक वो मेरे सिर को जोर से अपने चूत पर दबाने लगी और इसी के साथ उसका शरीर भी अकड़ने लगा। मैं समझ गया था कि वह अब झड़ने वाली है।
और ऐसा ही हुआ वो झड़ गई, इसी के साथ उसका सारा माल मेरे मुँह पर आने लगा। मैंने भी उसका सारा रस पी लिया। बड़ा स्वादिष्ट था और थोड़ा नमकीन भी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
इतना होते ही उसने मुझे पीछे की और धक्का मारा और जोर से मेरी पेंट खीच कर निकाल फेंकी। मेरा लंड भी अब तक तन कर काफ़ी बड़ा और सख्त हो गया था।
उसने जैसे ही मेरा लंड देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गई, उसने मेरे लंड को सहलाना शुरु कर दिया। वो मेरे लंड को सहलाने के साथ ही अपने मुँह में लेने लगी। वो मेरे लंड को जोर-जोर से मुँह में लेकर चूसे जा रही थी मानो वो कई दिनों से प्यासी हो। उसका एक हाथ मेरे लंड पर था। इसी के साथ वो अपने मुँह से मेरे लंड को लगातार चूस रही थी। कभी अपनी जीभ नीचे लाकर मेरी गोटियों से खेलती और उन्हें हल्के से काट भी लिया करती थी।
इसी के जवाब में मैं भी उसके चूतड़ों पर थप्पड़ लगाये जा रहा था। मेरे थप्पड़ों का दर्द उसके मुँह से निकली मादक सिसकारियों से स्पष्ट हो रहा था। ऐसा उसने करीब 10 मिनट तक किया।
और फ़िर वो मुझसे कहने लगी- अब बस बहुत हो गया जयेश, अब मत तड़पाओ बस चोद डालो मुझे ! प्लीज़ जयेश चोद डाल अपनी इस राण्ड को प्लीज़ !
अब तक मैं भी पूरी तरह से पसीने में भीग गया था। तो मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके पैर चौड़े करके उनके बीच में बैठ गया। मैंने धीरे से अपना लौड़ा उसकी चूत पर सैट किया और धीरे से उसे अंदर की तरफ़ धक्का मारा।
इसी के साथ उसकी हल्की सी कामुक चीख निकल पड़ी।
“अह आअह्हह… ह्ह्ह्म्म्म्म्म… डालो जयेश फाड़ दो मेरी इस निगोड़ी चूत को डालो…अह अअइइ…।”
अब मैं भी पूरे जोश में था और मैंने भी उसे जोर से चोदना शुरु कर दिया। मैं पूरे वेग से उसे चोद रहा था। इसी के साथ उसके मम्मे भी दबाए जा रहा था। दस मिनट ऐसा करने के बाद मैं उसके ऊपर से हट कर बिस्तर पर सीधा लेट गया और उसे ऊपर आने को कहा।
वो मेरे ऊपर आई और मेरे हथियार पर अपनी चूत को सैट करके जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगी। साथ ही वो अपने स्तनों को भी दबा रही थी और चोदम-चोदी के खेल का पूरा आनन्द ले रही थी।
इसी बीच वो बोली जा रही थी, “आअह्ह्ह्ह… डालो जयेश और जोर से आह आह्ह्ह्ह। चोदो मुझे मैं कब से तड़प रही हूँ… आज तो बड़े दिनों बाद इतना मजा आ रहा हैं और जोर से…”
अब हमारे कमरे में बस हमारी सांसें और चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। कमरे में केवल एक ही आवाज ज्यादा सुनाई दे रही थी “फ़च्च फ़्च्च फ़्च्च… आह आआह्ह… इइह्ह्ह्ह्म्म्म…”
फ़िर 15 मिनट बाद जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसे उठा कर बेड के नीचे बिठाया और खुद बेड पर बैठ कर अपना लिंग उसके मुँह पर रख दिया।
अब मैं अपना लिंग उसके मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था। मैंने उसके बाल भी पकड़ रखे थे और जोर से उसके मुँह को अपने लिंग की ओर खींच रहा था। तभी मैं झड़ गया और इसी के साथ मेरा पूरा माल उसके मुँह में और शरीर पर गिर गया। उसने मेरा पूरा माल अपने हाथों से साफ़ कर के पी लिया।
फ़िर हम दोनों ने एक साथ शावर लिया और बाहर आ कर कपड़े पहन लिये। इसी के साथ उसने मुझे गालों पर एक प्यारी सी पप्पी दी और वो जाने लगी।
तभी मेरी नींद खुल गई और मेरा सपना टूट गया पर आज भी मैं अपने सपने को हकीकत में बदलने की चाह में हूँ।
तो दोस्तो, यह थी मेरे ‘सपनों की कामक्रीड़ा’ आपको कैसी लगी मुझे जरुर बताइयेगा।
और मैं जल्द ही मेरी नई कहानी लेकर आऊँगा, तब तक के लिये अलविदा।
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