आगे-पीछे की एक साथ शानदार चुदाई-1
प्रेषक : श्रेयस पटेल
मेरा नाम अमृता है, उम्र 24 साल की है, मेरी शादी को लगभग 4 साल हो चुके हैं। मेरा कद 5’6″ है और मेरा रंग थोड़ा साँवला है। मैं देखने मैं काफ़ी सेक्सी हूँ। मेरा बदन 34-30-36 है। मेरी पिछाड़ी का साइज़ काफ़ी बड़ा है।
मैं आप लोगों को आज अपनी कहानी सुनने जा रही हूँ। मैं जो बात बताने जा रही हूँ, वो मेरे और मेरे पति के एक दोस्त के बीच बने सम्बन्ध की कहानी है। मेरे पति एक कॉलेज में लेक्चरर हैं, उनका एक दोस्त है नीलेश, वो मेरे घर के पीछे बने कमरे में रहता है, उसकी शादी नहीं हुई है।
नीलेश की उमर 24-25 साल की होगी लेकिन वो अच्छे परिवार से है तो उसका शरीर बहुत अच्छा है। मैं जब उससे पहली बार मिली तो मेरे पति ने मुझे उससे अपना किरायेदार की तरह से मिलवाया था।
वो मुझसे भाभीजी-भाभीजी कह कर मिलने लगा कभी पानी लेने आ जाता, कभी कुछ खाना माँगने के बहाने आने लगा। वो बहुत शरारत करता था। पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगा, पर फिर मुझे लगा कि वो दिल से बुरा नहीं है।
फिर थोड़े ही दिनों में मैंने एक आकर्षण उसकी ओर महसूस किया था लेकिन नीलेश मुझे एक दोस्त की तरह कई बार छेड़ चुका था।
एक बार होली के त्योहार पर नीलेश किसी काम के कारण घर नहीं जा पाया था, तो मेरे पति विक्रम ने उसे अपने घर हमारे साथ होली मनाने को बुला लिया था।
होली खेलते-खेलते मेरी नज़र उस पर पड़ी, वो मुझे देख रहा था। मैं रंग में भीगी हुई थी, मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे लिबास के ऊपर से तनी हुई दिख रही थीं जिनको देख कर कोई भी लण्ड मुझे चोदना चाहे मगर मैं सिर्फ़ लोगों को रंग लगाने मैं व्यस्त थी।
तभी मुझे लगा कि किसी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो नीलेश था, उसने मेरी चूचियों को कस कर पकड़ के दबा दिया था। मैं घबरा गई कि किसी ने देख लिया तो !?
मैं उससे अलग होना चाहती थी मगर उसने मुझे अलग नहीं होने दिया और धीरे से बोला- अरे भाभीजी, आज तुमको रंगों मैं रंग दूँगा।
यह कह कर उसने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और पानी के रंगों की टंकी जो हमने होली खेलने के लिए रखी थी, उसमें मुझे फेंक दिया। उसमे फेंकने से मेरे सारे कपड़े भीग गये और मेरी चूचियाँ कपड़े से चिपक गईं, जिससे वो पूरी साफ-साफ दिखाई देने लगी थी।
मैं शरमा रही थी मगर उसकी शरारती आँखें मुझे घूर रही थीं, यह देख कर मेरी जान ही निकलने लगी थी।
मैं करूँ तो क्या ! यह सोच कर परेशान हो रही थी कि तभी उसका एक हाथ मैंने अपनी एक चूचियों पर महसूस किया। उसने मेरी चूची को कस कर दबा दिया था और मेरे उभरे हुए चूचुक को कस कर नोच लिया था।
मैं चीख से उठी- उईईई, इस्स… आहह… क्या करते हो !
“अरे भाभी, आज तो तुम कमाल लग रही हो !” उसने मेरे कान में धीरे से कहा।
मैं शरमा गई फिर वो मेरे करीब आ कर बोला- भाभी, आज तुमको चोदने का मन कर रहा है।
मैंने गुस्से से एक थप्पड़ उसके गाल पर मार दिया। वो देखता रह गया। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया था। उसने यह बात कही कैसे ! मैं यह सोच कर हैरान थी।
इसके बाद मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गई। यह सब कुछ शायद किसी ने नहीं देखा था। मैं सोच रही थी कि कोई कुछ पूछेगा तो मैं क्या जवाब दूँगी ! लेकिन भगवान का शुक्र है कि किसी ने नहीं देखा था। मैं सोच रही थी कि क्या मुझे अपने पति के अलावा किसी और की भी जरूरत पड़ सकती है जिससे मैं अपने पति की अनुपस्थिति में तन का सुख लूट सकूँ। शायद मेरे विचार बदल रहे थे।
होली के दूसरे दिन ही मेरा घर खाली हो गया। मेरे पति कॉलेज चले गये थे। मैं घर पर अकेली थी। नीलेश ने घंटी बजाई, मैं दरवाजे पर गई, वो सामने खड़ा था।
वो आज काफ़ी अच्छा लग रहा था। काले रंग की टी-शर्ट और ब्लू-कलर का लोवर पहने था। मैं खामोशी से दरवाजे खोल कर अंदर चली आई।
“भाभीजी ! क्या अम्मा घर पर हैं?”
“नहीं अम्मा घर पर नहीं हैं।”
वो चारों तरफ नज़र दौड़ाता हुआ बोला- क्या कोई भी घर पर नहीं है?
मैंने कहा- हाँ, कोई भी घर पर नहीं है।
“भाभीजी मैं तुमसे कल के लिए माफी माँगता हूँ, मुझे माफ़ कर दो।”
मैंने देखा कि वो सच मे काफ़ी गंभीर लग रहा था। मैं बिना कुछ बोले दरवाजे बंद कर के अपने कमरे में आ गई।
वो मेरे पीछे-पीछे कमरे में आ गया। मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया।
वो बोला- यह क्या कर रही हो भाभीजी?
“तुम कल क्या कह रहे थे? क्या वो करना नहीं चाहोगे?”
यह सुन कर वो हैरान रह गया था। मैंने उस समय घर की नाईटी पहनी हुई थी, मैंने वो नाईटी उतार दी। मैं अब सिर्फ़ काली ब्रा और काली प्रिंट की पैन्टी में थी। मेरा गोरा बदन देख कर नीलेश का लण्ड खड़ा हो गया था। मैं उसे उसके लोवर के ऊपर से महसूस कर सकती थी।
मैं अपने बेड पर जाकर लेट गई और इशारे से नीलेश को बुलाया। वो आगे बढ़ा और मेरे पास बेड पर आ गया। मैंने उसे शरमा कर देखा, वो मुझे घूर रहा था। मैं शायद कहीं ना कहीं उससे पसंद करने लगी थी। नीलेश ने मौका अच्छा जान कर मेरे पास आने का कदम उठा लिया।
वो मेरे करीब आ गया और अपने कपड़े उतार के मेरे बिल्कुल पास आ गया। वो बिस्तर पर मुझ पर झुकता चला गया। वो मुझे छूकर कुछ महसूस करना चाह रहा था। मैंने उसका स्वागत मुस्कुरा कर किया। वो मेरे होंठों को चूमना चाह रहा था। मैंने उसको अपने होंठों को चूमने का मौका दिया। वो झुक कर मेरे चेहरे पर चुम्बन करने लगा और तभी उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखा, उसकी गरमा-गर्म साँसें मुझे छू रही थीं।
मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी, मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और मैं भी उसे चुम्बन करने लगी। मेरे हाथ उसके बालों में घूमने लगे थे।
तब उसने मेरी गर्दन और गालों पर चुम्बन किया और मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरे ऊपर टूट पड़ा था। मैं उसकी बांहों में पिघलने सी लगी थी, वो मुझे खुशी से चूमने लगा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उसके अहसास को आज तक भूल नहीं पाई हूँ। वो मुझे मेरे पति से अच्छा प्यार कर रहा था। मैं तड़प रही थी, तभी वो थोड़ा नीचे सरक गया और मेरी चूचियों को अपने हाथों में लेकर मुझे देखने लगा।
मैं बेचैन हो रही थी क्योंकि बहुत दिनों से मेरे पति ने मुझे नहीं चोदा था। मैं आज उससे जम कर चुदवाना चाह रही थी, मैंने उसके सिर पर हाथ रख कर अपनी चूचियों के करीब कर दिया। यह एक संकेत था कि मैं उसे यह बताना चाह रही थी कि मेरे इन रसीले आमों को चूसो।
वो मेरा इशारा समझ गया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। मेरा मन मचलने लगा वो दबा कर मेरी चूचियों को चूसने लगा था। मेरे चूचुक कठोर से होने लगे थे। वो उनको ऐसे पी रहा था जैसे एक बच्चा अपनी माँ के दूध को पीता है।
वो मेरी चूचियों को कस-कस कर मसल रहा था। मेरे स्तन दुखने लगे थीं। मेरी चूचियाँ लाल हो गई थीं। मैं उसको खूब प्यार करना चाह रही थी, तभी वो मेरी नाभि को चूमता हुआ मेरी योनि यानि चूत के पास पहुँच गया और मेरी चिकनी चूत को देख कर वो मस्त हो गया क्योंकि मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी और मैंने कुछ दिनों पहले ही बाल बनाए थे, सो मेरी चूत काफ़ी चिकनी नज़र आ रही थी।
उसने मुझे देखा, मैं मुस्कुराई और उसके सिर पर हाथ रख कर अपनी चूत पर दबा दिया। वो जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। मेरी चूत को वो पूरी तरह से चाट रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत में घुस कर मेरी चूत के अंदर आग लगा रही थी। तभी ना जाने कब उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरी चूत को फैला कर चाटने-चूसने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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