पहले चूचे दिखाए फ़िर चूत चुदाई
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम अभिराज है.. और मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ और अभी चंडीगढ़ में कार्यरत हूँ। मैं अन्तर्वासना को लगभग आठ साल से पढ़ रहा हूँ।
मैंने अन्तर्वासना के लगभग सारी की सारी कहानी पढ़ी हैं, बहुत सी कहानियाँ सच्ची लगीं।
आज मुझे भी दिल किया कि अपनी कहानी आप सभी के सामने रखूँ। उम्मीद रखता हूँ.. आप सबको मेरे कहानी अच्छी लगेगी।
तो मैं अपने कहानी पर आता हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं कॉलेज के प्रथम वर्ष की छुट्टियों में अपनी बुआ के घर गया। मेरे बुआ एक गाँव में रहते हैं और वहाँ उनका बहुत बड़ा घर भी है। उनका फार्म हाउस भी बहुत बड़ा है और गाँव से लगभग तीन किलोमीटर है।
मैं अक्सर अपना सारा समय फार्महाउस पर ही बिताता था। दोस्तो, मैं आपको बता दूँ.. फ़ार्म हाउस में दो कमरे हैं।
उस दिन भी मैं फार्महाउस पर ही था और एक बहुत बड़े नीम के पेड़ के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ था। तभी पड़ोस के मकानों में से किसी एक मकान में रहने वाली एक सुन्दर सी लड़की वहाँ आई। उसका नाम रीना था.. मैं उसी जानता था और हमारी हल्की-फुल्की बात भी होती थी।
वो मुझसे बोली- आप इंजन चला दो.. मुझे कपड़े धोने हैं और इस वक्त लाइट भी नहीं आ रही है.. इसलिए आपके टयूबबेल पर ही कपड़े धोने पड़ेंगे।
मैंने बोला- मुझे तो ये चलाना ही नहीं आता है..
वो बोली- अरे ये तो बिल्कुल आसान है।
फिर जैसे उसने बताया.. मैंने इंजन चला दिया।
वो कपड़े धोने लगी.. फिर कुछ देर बाद उसने कहा- अब इसे बंद कर दो पानी भर गया है।
मैंने इंजन को बंद कर दिया।
फिर मैं लेट कर उसे देखने लगा। देखने में रंग तो उसका सांवला था.. पर गजब का पटाखा थी वो.. उसकी उम्र लगभग 19 वर्ष थी।
क्या गजब के चूचे थे साली के.. और गाण्ड तो लगभग क़यामत ही थी। तभी एकदम से उसने मेरी तरफ देखा.. मैं मग्न होकर उसके चूचों को देख रहा था, उसे भी पता लग गया।
मैं बहुत ही शर्मीले स्वाभाव का था.. तो शर्माने लगा और मेरे नज़रें नीचे हो गईं।
शायद उसके मन में मेरे लिए कुछ था.. तभी तो कोई प्रतिक्रिया नहीं की और हंसने लगी।
थोड़ी देर बाद वो मेरे निकट आई और बोली- इंजन फिर से चला दो.. मुझे नहाना है।
मैं तो उसके बात सुन कर दंग रह गया। मैंने उससे पूछा- यहाँ कहाँ नहाओगी? यहाँ तो कोई बाथरूम भी नहीं है।
वो यह बात सुनकर हंसने लगी.. और कहने लगी- कपड़े पहने ही नहा लूँगी.. बस तुम इन्जन चालू करके उस तरफ चले जाओ।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने इंजन चला दिया। पर अभी मेरे मन में भी कामवासना जागने लगी थी। मुझे लगा वो मुझे लाइन दे रही है.. तो मैं कैसे पीछे रह सकता हूँ।
जब वो नहाने लगी.. तो मैं उसे देखने लगा। उसने भी चोरी-छुपे मुझे देख लिया और वो मुझे अपने चूचे दिखाते हुए उनको बार-बार रगड़ने लगी।
जब वो नहा चुकी.. तो मुझसे बोली- वो कमरा खोल दो.. मुझे कपड़े बदलने हैं।
मैंने खोल दिया.. मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया। जैसे ही वो अन्दर गई.. मैं उसके पीछे अन्दर घुस गया।
वो बोली- बाहर जाओ और मुझे कपड़े बदलने दो।
मैं उससे बोला- जब मेरे सामने नहा सकती हो.. तो कपड़े बदलने में क्या प्रॉब्लम है?
वो बोली- तुम तो बहुत बेशर्म हो.. बाहर जाओ.. नहीं तो तुम्हारी बुआ को बता दूँगी।
मैंने कहा- कोई प्रॉब्लम नहीं.. बता देना.. पर कमरे से बाहर जाने के बाद बताना।
फिर मैंने उसे पकड़ कर पास में पलंग पर डाल दिया। पहले तो वो मना करने लगी.. पर फिर मान गई।
वो अपने कपड़े बदलने लगी.. उसने अपना कुरता खोल दिया.. हाय.. क्या क़यामत लग रही थी।
वो कहने लगी- मुझे शर्म आ रही है।
मैंने कहा- यार आग दोनों तरफ लगी है। मैं पक्का तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूँगा।
जैसे ही उसने अपना कुरता उतारा.. उसके दोनों चूचे बाहर निकल आए। एकदम मस्त थे लगभग 32 इंच के सख्त संतरे थे।
वो शर्माने लगी.. मैंने उसे पकड़ा और किस करने लगा.. वो पहले तो मना करने लगी.. पर धीरे-धीरे वो भी गरम होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और अब वो केवल पैंटी और ब्रा में थी।
एकदम हुस्न की परी लग रही थी.. मानो काम की देवी हो। मेरा लण्ड भी तम्बू के बम्बू की तरह खड़ा हो गया था। आग दोनों तरफ लगी थी.. पर उसे बहुत डर लग रहा था कि कोई आ न जाए।
वो बार-बार यही कह रही थी कि कोई आ गया तो क्या होगा?
मैंने उसे आश्वासन दिया- तुम डरो मत.. कोई नहीं आने वाला।
धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के साथ देने लगे और फ़ोरप्ले करने लगे। उसे अब भी कुछ ज्यादा ही डर लग रहा था.. पर उसका बदन बहुत गरम हो चुका था। एकदम भट्टी के तरह तप रहा था।
मैंने सोचा सही मौका है… लोहा गरम है चोट मारने देना चाहिए।
मैंने उसे छोड़ा और कहा- अगर तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा हो.. तो तुम जा सकती हो.. मैं जबरदस्ती कुछ नहीं करूँगा।
उसमें चुदास की आग बहुत लगी थी और शायद वो भी मजे लेना चाहती थी। वो कहने लगी- ऐसा कुछ भी नहीं है.. पर डर लग रहा है।
फिर हम दोनों शुरू हो गए और एक-दूसरे को चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी जीन्स और टीशर्ट भी उतार दी। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। अब हम दोनों मजे लेने लगे। वो मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी। धीरे-धीरे मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी.. अपना अंडरवियर भी निकाल दिया।
अब हम दोनों एकदम नंगे थे और एक-दूसरे को गरम कर रहे थे।
मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा.. वो बहुत गरम हो चुकी थी और ‘आह.. अहा..’ की आवाज निकालने लगी।
हमारे पास समय भी कम था.. कोई न कोई आ भी सकता था तो मैंने देरी न करते हुए.. उसे पलंग पर डाल दिया। यह मेरा और उसका दोनों का पहला मौका था, मुझे उससे ही इस बात का पता चला था।
वो मेरे नीचे लेट गई और मैं उसकी चुदाई करने के लिए तैयार हो गया था, अपने 7 इंच के लण्ड को मैं उसकी चूत में डालने लगा।
काफी मशक्कत करने के बाद भी लण्ड अन्दर नहीं गया.. हर बार इधर-उधर फिसल जाता रहा।
आखिर जल्दी भी थी.. तो मैंने चूत में जोर से धक्का मारा और मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
वो बहुत जोर से चिल्लाई और मुझे भी धक्का मारने लगी।
वो बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी.. तो मैं भी एकदम से डर गया और मैंने अपना लण्ड निकाल लिया।
वो रोने लगी.. बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है।
मैंने उसे समझाया- ठीक हो जाएगा.. पहली बार है.. इसलिए दर्द हुआ.. अब करेंगे तो नहीं होगा।
उसने बिल्कुल मना कर दिया। इस बार मैंने थोड़ी जबरदस्ती की.. और फिर अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया… पर इस बार अनाड़ी की तरह पूरा का पूरा नहीं.. बल्कि आधा ही डाला और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
वो तो बस दर्द के मारे रो रही थी। पांच मिनट के बाद उसे थोड़ा-थोड़ा मजा आने लगा.. और वो ‘आह.. आहह..’ आवाज करने लगी।
अब मुझे भी पता चल गया कि रीना को भी मजा आने लगा।
धीरे-धीरे मेरे धक्के थोड़े तेज हो गए और उसके आवाज भी।
थोड़ी ही देर में रीना ने मेरी कमर में अपने नाखून गड़ा दिए और उसकी चूत के अन्दर से मानो लावा फूटा हो।
उसे इतना मजा आया कि उसने नाखूनों से मेरी कमर में खून निकाल दिया।
अब वो धीरे-धीरे शांत हो गई और बोली- बस अब छोड़ दो।
मैं तो झड़ नहीं पाया था.. उसे मैंने कहा- बस थोड़ी देर और.. फिर धीरे-धीरे करने लगा। लगभग दो मिनट के बाद फिर उसे मजा आने लगा और फिर वो ‘आह.. आह..’ भरने लगी।
अब मुझे भी लगा कि मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया हूँ और मेरे झटके भी बहुत तेज हो गए थे। बस अब तो मेरा रस निकलने वाला ही था।
उससे पहले फिर एक लावा उसकी चूत में से फूटा और वो फिर से ‘आह.. आह्ह..’ करने बहने लगी.. इसी के साथ मैं भी झड़ने लगा।
हम दोनों ने एक-दूसरे ही को बहुत जोर से कस लिया और दोनों की साँसें इतनी तेज हो गई थीं कि मानो अभी 10 किलोमीटर के रेस भाग कर आए हों।
कुछ मिनट बाद हम दोनों उठे.. और वो जाने की जल्दी करने लगी। मुझे भी लगा कि अब इसको जाने देना चाहिए… पर मैंने पहले उससे वादा लिया कि आज रात फार्महाउस पर जरूर आओगी।
तो उसने मना कर दिया- आज नहीं.. कल मिलेंगे।
जैसे ही वो खड़ी हुई.. उसने चादर को देखा।
उस पर लगे खून को देख कर उसको चक्कर आने लगे.. मैंने उसे बैठाया और कहा- घबराने की कोई बात नहीं है। ऐसा पहली बार में सबके साथ होता है।
मैंने उसे अपना लण्ड भी दिखाया जो कि बुरी तरह छिल चुका था और उससे वादा किया कि शाम को उसे दर्द की दवा भी लाकर दूँगा।
फिर मैंने उसे पानी पिलाया और जाने दिया। उसने अपने कपड़े पहने और जो धुले हुए गीले कपड़े थे.. उसे उठाकर बाहर जाने लगी।
वो घर जाने लगी.. मैंने उसे रोका और किस कर दिया, हम दोनों शाम को मिलने का वादा किया।
फिर वो मुस्कुराते-मुस्कराते हुए अपने घर चली गई।
तो बताओ दोस्तो.. कैसी लगी मेरी कहानी.. मैं कोई लेखक तो हूँ नहीं इसलिए मेरी इस आपबीती में काफी गलती भी होंगी। कृपया गलतियों के लिए मुझे माफ़ करें और अपने जबाव मुझे मेल करें कि आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी।
मुझे आप लोगों के ईमेल का इंतजार रहेगा।
अगर आप लोगों को मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो मैं इसके आगे की कहानी जरूर लिखूँगा.. जो कि बहुत रोचक होने वाली है।
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