मर्द तलाशती फ़िरती हूँ
हाय, मैं हूँ महक! क्या मैं आपको याद हूँ? मैं वही लड़की हूँ जो रेस्तरां में आपके सामने बैठी थी और अपनी टांगें फ़ैलाते हुए गलती से अपनी चूत दिखा बैठी थी क्योंकि मैंने तब पैंटी नहीं पहनी थी।
मैं गहनों की दुकान पर काम करती हूँ, उस दिन ब्रा पहनना भूल गई थी और जब मैं वो हीरे दिखाने के लिए झुकी तो आपको मेरे सख्त चुचूकों की एक झलक मिल गई थी।
मैं वही हूँ जिसका हाथ उस दिन क्लब में आपके बराबर से निकलते हुए आपकी पैंट के उभार से रगड़ा गया था।
मैं इतनी शरारती हूँ कि पूछो मत!
लेकिन यह मैं आपको बताना चाहती हूँ कि मैं इतनी शरारती, इतनी गर्म कैसे हो गई!
जब मैं पहली बार अपने पड़ोसी से चुदी तो मुझे इतना मजा आया कि अब मैं हर वक्त यही चाहती हूँ कि आप मेरे अन्दर-बाहर करते रहें!
जब मैं पहली बार चुदी थी तो मैं कॉलेज़ में थी। मेरे पड़ोसी के घर में उनका लड़का था मनीष। मनीष का गारमेंट्स का बिज़्नेस था वैसे तो वो शादीशुदा था, उसकी बीवी अलीशा भी मेरे साथ घुलमिल गई थी। हम दोनों अकेले होकर गप्पें लड़ाते!
गर्मियों की एक दोपहर की बात है हमारा फ्रिज़ खराब हो गया था। मम्मी ने मुझे कहा- उनकी फ्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे लेकर आना!
हम पड़ोसियों में बहुत प्यार था और घुलमिल के रहते थे।
मैंने सोचा- अलीशा अकेली होगी, ज्यादातर वो घर पर रहती थी नई नई शादी जो हुई थी। मैं सीधा अंदर गई फ़्रिज़ से बर्फ़ की ट्रे निकाली और अलीशा को हेलो बोलने उसके कमरे में चली गई।
वहाँ पर मनीष टीवी पर ब्लू फिल्म देखने में मस्त था। उसको नहीं पता था कि मैं दरवाज़े पर आई हूँ। उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ रखा था और मूठ मार रहा था।
उसको देख मेरे मुँह से आह निकल गई और उसने मुझे देख लिया।
मैं शरमा के, हंस के वहाँ से निकल आई, थोड़ी देर बाद मम्मी बाज़ार चली गई।
तभी फोन बजा, मैं अकेली थी, फ़ोन उठाया- मनीष था! बोला- तुम आई और देख कर मुड़ क्यूँ गई? वो भी हंस के?
मैं घबरा सी गई। वैसे मैंने कभी चुदाई का मजा पहले नहीं लिया था। लेकिन अपने बॉयफ़्रेन्ड के साथ चूमा-चाटी का खेल, टॉप उतार कर अपने चूचुक चुसवाना, मुखमैथुन यह सब मैंने किया था, यहाँ तक कि गाण्ड भी मरवाई थी।
किसी भी बॉयफ़्रेन्ड को मैंने चूत नहीं दी थी, मैंने लण्ड भी कई चूसे।
मनीष का लण्ड मुझे अब तक देखे लण्डों के मुक़ाबले बड़ा लगा था।
मैंने फोन पर कहा- मम्मी घर पर नहीं है मनीष जी, बाद में कॉल करना! मैं बता दूँगी अगर कोई काम है तो।
वो बोलने लगा, मैंने फोन काट दिया।
तभी फिर फोन आया और उसने कहा- अलीशा नहीं है प्लीज़! मेरे लिए खाना बना दो, सब्ज़ी बना ली है, बस रोटी सेक के दे जाओ।
मैं गई, किचन में तवा चढ़ाया ही था कि पीछे से मनीष ने मुझे पकड़ लिया और कहा- जानेमन! कितने साल से मैं तुझे चाहता था! कह नहीं पाया था।
उसने मेरे कमीज़ में हाथ डाल कर मेरे चूचे दबाने शुरू कर दिए।
मैंने कहा- अलीशा से मजा नहीं आता इसीलिए मुठ मार रहे थे?
बोला- ब्लू फिल्म देख रहा था, मारनी ही पड़ी।
उसने गैस बंद की और मुझे बाहों में उठा लिया।
मैंने कहा- मनीष! यहाँ ठीक नहीं! अगर कोई आ गया तो मुझे से पीछे वाली दीवार नहीं कूदी जाएगी। तुम छत से मेरे घर आ जाओ ताकि कोई आए तो तुम आसानी से निकल जाओ।
मैंने बाहर का गेट बन्द कर दिया, वो ऊपर से अंदर घुस आया और मुझे जंगलीपने से प्यार करने लगा। उसने जल्दी से मेरा नाड़ा खोल कर सलवार उतार दी। बोला- क्या पट्ट(जांघें) हैं? मक्खन जैसे!
वो उनके चूमने लगा और फ़िर उसने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरी छातियाँ मसलने लगा, चूचुक ऊँगलियों के साथ मसलने लगा।
मैं आहें भर-भर कर बार-बार उसके सर को पकड़ उसको और चूसने के लिए कह रही थी।
तभी मैंने उसका लण्ड कच्छे से निकाल हाथ में लिया और सहलाते सहलाते पता नहीं कब चूसने लगी।
फिर मेरे बस में कुछ नहीं था, मैं नहीं रोक पाई आज! आख़िर मेरी चूत चुदने ही वाली थी।
क्या मर्द था! कभी ऐसा आनंद नहीं लिया था मैंने!
वो मुझे 69 में करके मेरी चूत चाटने लगा, मेरे दाने को चबाने लगा।
मैं पागलों जैसे उसका लण्ड चूसने में मस्त थी। वो जब अपनी ज़ुबान तेज़ करता तो मैं भी लण्ड उतनी तेज़ी से चुसती।
उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और मेरी टांगों के बीच में बैठ अपना लण्ड मेरे दाने पर रगड़ने लगा।
मुझसे जवानी की आग सही नहीं गई, मेरे मुंह से निकल गया- अंदर डालोगे या बाहर ही छुटने का इरादा है!
उसने झटका मारा, आधा लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मेरी चीखें निकल गई। उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ कर अपने होंठों से मेरे होंठ दबा लिए।
मैं चीखती रही- मर गई! अहह! निकाल कमीने! फट गई मां री ईईई! मैं चुद गई!
फ़िर लण्ड अंदर-बाहर आसानी से होने लगा, मानो मैं स्वर्ग में पहुँच गई।
चोद मनीष! चोद दे आज मुझे! तेरी रखैल बन जाऊँगी! कायल हो गई तेरी मर्दानगी पर! कभी किस से चूत नहीं मरवाई मेरे दिलबर! आज़ फाड़ दे! करता जा! ज़ोर ज़ोर से! हाए दैया रे! दैया मसल डाल मुझे! फाड़ डाल मेरी! अपना बीज आज मेरे अंदर बो दे!
उसने लण्ड निकाल लिया और मुझे कहा- कुतिया! कमीनी! हरामजादी! चल हो जा घुटनों पर! बन जा कुत्ती! और वो पीछे से आकर मेरी चूत मारने लगा, घोड़ी बना के लेने लगा, साथ साथ में उसने अपनी ऊँगली मेरी पोली पोली गाण्ड के छेद में डाल दी। मुझे दोहरा मजा दिया उसने!
एकदम से चूत से उसने लण्ड खींचा और मेरी गाण्ड में पेल दिया।
हाए साले यह क्या किया? इसको तो बहुत चुदवाया है! तू चूत मार मेरी, प्यास बुझा मेरी!
थोड़ी देर मारने दे कमीनी!
फिर उसने निकाल लिया अपना लण्ड मेरी गाण्ड से, मुझे खड़ा करके कहा- अपने हाथ दीवार से लगा ले और उसने पीछे से चूत मारी।
हाए! गई! गई!
वो बोला- आह! मैं झड़ने वाला हूँ!
मैंने कहा- ले चल बिस्तर पर! मेरे उपर लेट जा! ताकि जब झड़ जायें तो तुझे अपनी बाहों में भींच लूँगी।
उसने मुझे सीधा लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
ओईईई माआआअ क्या नज़ारा है! हाए सईयाँ दीवाने! मैं झड़ने वाली हूँ! आह!
वो बोला- हाँ ले साली ले!
मैं झड़ गई और आधे मिनट बाद उसके लण्ड ने शावर की तरह अपना सा माल मेरे पेट में डाल दिया, जब उसका पानी निकलने लगा तब इतना मजा आया चुदाई से भी ज्यादा!
मैंने आँखें बंद कर के उसको जकड़ लिया- निकाल दे सारा माल!
एक एक बूंद उसने निकाल लिया और मेरे मुंह में अपना लण्ड डाल कर बोला- साफ कर दे अपने होंठों से! ज़ुबान से!
दोपहर के दो बजे से शाम के चार बजे तक नंगा नाच ऐसे ही चलता रहा।
मुझे चूत मरवाने का ऐसा चस्का लगा कि अब एक मर्द से बंध कर वो मजा नहीं मिलता जो हर मर्द की बाहों में झूलकर मिलता है!
अब तो मैं हर जगह अपने लिए मर्द तलाशती फ़िरती हूँ, अपना बदन दिखाती फ़िरती हूँ, अक्सर सड़क पर चलते-चलते मैं मर्दों की पैन्ट का उभार सहला देती हूँ, कहीं बैठती हूँ तो टांगें फ़ैला कर! ताकि लोग मेरी चूत के दर्शन कर सकें!
अगर मैंने स्कर्ट पहनी हो तो कहने ही क्या! तब तो मैं बिना पैन्टी के ही घर से बाहर निकलती हूँ।
और अगर जींस पहनी हो तो मेरी जींस का चूत वाला हिस्सा तो गीला दिखता ही है।
अब आप मुझे बताओ कि कितनी बार मूठ मारते हो और कितनी बार चूत?
मुझे पता नहीं कि आप मेरे बारे में क्या सोचते हैं, लेकिन आपके बारे में सोच कर मेरी चूत बहने लगती है।
अगर आपको लगता है कि आपने मुझे कहीं देखा है तो मुझे फोन करें!
मुझे कॉल करने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये, मेरा फ़ोन नम्बर यहाँ है।
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