इस्मत की किस्मत में चुदाई
हाय, मेरा नाम सलमान ख़ान है, मैं दिल्ली में जामिया-नगर में रहता हूँ। मेरी पहली कहानी ‘उसने आँख मार कर चुदवा लिया’ आप सभी ने पढ़ी और मुझे आप सभी के बहुत मेल मिले जिसके लिए आप सभी का बहुत शुक्रिया।
अब आता हूँ अपनी दूसरी कहानी ‘इस्मत की किस्मत’ पर, यह अभी कुछ ही समय पहले की बात है। शाम का वक़्त था, बहुत हसीन मौसम था।
मैं अपने आफ़िस से आ रहा था, मैंने देखा रिंग रोड के पास एक लड़की खड़ी है देखने में बहुत खूबसूरत थी, उसने मुझे हाथ देकर रोका मैंने अपनी बाईक रोक दी।
उसने मुझसे पूछा- आप कहाँ तक जाएँगे?
मैंने कहा- आपको कहाँ तक जाना है?
उसने कहा- साउथ-एक्स. तक !
मैंने कहा- ठीक है, बैठिए मैं भी वहीं जा रहा हूँ।
उसने ‘थैंक्स’ कहा और वो पीछे बैठ गई, मैं जानबूझ कर बार-बार ब्रेक लगा रहा था, उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
उसने अपना नाम इस्मत (बदला हुआ नाम) बताया।
उससे अधिक बात करने पर पता चला कि वो लखनऊ से आई है और दिल्ली में इंजीनियरिंग कर रही है और साउथ एक्स. में एक पीजी में रहती है।
मैंने उसे बताया कि मैं भी लखनऊ का हूँ तो उसने कहा- बहुत दिन के बाद कोई अपने शहर का मिला है।
मैंने उसको उसके घर के नीचे छोड़ दिया तो उसने कॉफी पीने के लिए कहा।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं अन्दर गया, बहुत शानदार घर था।
उसने बताया- घर में कोई नहीं है, सब बाहर गए हैं, रात तक आएँगे।
फिर वो कॉफी बनाने चली गई, मैं ड्राइंग-रूम में बैठ कर टीवी देखने लगा।
वो कॉफी बना कर लाई, हम लोग बैठ कर बातें करने लगे।
उसने मुझसे बातों ही बातों में पूछा- आपकी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं।
फिर मैंने मज़ाक में कहा- अब तुम मिल गई हो, तो जल्दी ही गर्ल-फ्रेंड भी बन जाओगी।
वो हँसने लगी, उसने कहा- यहाँ मैं बहुत नई हूँ, किसी को जानती नहीं हूँ। नए लोग, नया शहर… सिर्फ़ कॉलेज से घर और घर से कॉलेज… यही ज़िंदगी है। मेरी ज़िंदगी में कोई एन्जॉयमेंट नहीं है।
मैंने पूछा- तुम्हें कैसा एन्जॉयमेंट चाहिए?
तो उसने कहा- ज़िंदगी की सारी खुशियाँ।
मैंने ऐसे ही मज़ाक में कहा- वो मैं दे दूँगा।
वो मुझे एकटक देखने लगी और फिर उसने कहा- क्या ये सच है?
मैंने कहा- हाँ, अगर तुम चाहो..
वो चुप रही। फिर हम लोग टीवी देखने लगे, मैं उसे तिरछी नज़रों से देख रहा था, वो शायद ये बात नोटिस कर रही थी।
वो भी यही चाहती थी, जो मैं चाहता था। लेकिन दिक्कत ये थी कि शुरुआत कौन करे।
मैंने उससे कहा- तुम बहुत ही हसीन हो।
तो उसने कहा- सिर्फ़ बोलते ही रहोगे।
मैं मतलब समझ गया, मैंने तुरन्त उसके हाथ पर हाथ रख दिया।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और ज़ोर-ज़ोर से उसे चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी, एक हाथ से मैं उसके दूध को दबा रहा था और उसके होंठों को भी चूस रहा था।
वो बहुत गर्म हो गई थी, फिर उसने मेरे कपड़े हटाने शुरू कर दिए, जैसे ही उसने मेरे लिंग को देखा तो बहुत खुश हो गई।
उसने कहा- मुझे लॉलीपॉप चूसना है।
उसने अपना मुँह बढ़ाया, मैंने तुरंत अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया।
वो उसे ज़ोर से बहुत मज़े से चूस रही थी। मैंने उसको लिटा दिया और उसके दूध को चूसने लगा।
वो पूरा साथ दे रही थी, उसने कहा- मैं अभी तक कुँवारी हूँ।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए, उसके मस्त जिस्म को देख कर मेरे होश उड़ गए। सफेद दूध जैसे मम्मे, उन पर लाल-गुलाबी के रंग के चूचुक, तराशा हुआ जिस्म, एकदम लाल रंग की उसकी चूत।
मैंने तुरंत उसको बेड पर लिटा दिया और उसके दोनों पैरों को फैला कर उसकी चूत को चूसने लगा।
वो बहुत तेज़-तेज़ सिसकारियाँ लेने लगी।
वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।
मैं भी बहुत मज़े से उसकी चूत का रस पी रहा था।
उसने कहा- अब मत तड़पाओ… डाल दो अपने लिंग को मेरी चूत के अन्दर।
मैंने तुरंत उसके घुटनों को मोड़ दिया और उसको फैला दिया।
अब उसकी चूत पर अपने लिंग को रखा और हल्का सा धक्का मारा, वो तड़पने लगी।
मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और एक हाथ से उसके दूध को मसलने लगा।
मैंने थोड़ा और तेज़ धक्का मारा उसकी आँखों से आँसू आ गए। मैं उसके होंठ को चूस रहा था, फिर मैंने उसके पैरों को और अधिक फैलाया और उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया।
अब उसकी उभरी हुई चूत में मैंने अपना पूरा लिंग अन्दर कर दिया।
वो तड़प गई, मैंने धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया।
अब उसे और मज़ा आने लगा, वो अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। इतनी देर में उसका दो बार पानी निकल चुका था।
मैं अब तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है, मैंने उससे कहा- मैं जाने वाला हूँ… कहाँ निकालूँ?
तो उसने कहा- अन्दर ही निकाल दो।
मैंने अपना सारा रस उसके अन्दर ही निकाल दिया और उसी के ऊपर कुछ देर लेटा रहा। मैंने देखा उसकी चूत से खून निकला था, मेरे लिंग पर भी खून लगा हुआ था।
उसने मुझसे कहा- आज तुमने मुझे सारी खुशियाँ दे दी।
हमने उस दिन 4 बार अलग-अलग आसनों में सम्भोग किया।
अब जब भी हमारा मन होता है, वो मेरे फ्लैट पर आती है और हम लोग खूब एंजाय करते हैं।
यह थी मेरी कहानी, आपको कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी, बताईएगा ज़रूर। मुझे मेल कीजिए।
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