प्रेम और पिंकी का प्यार
दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है, मैंने सारी कहानियाँ पढ़ी हैं, वैसे सबके नाम नहीं ले सकता पर सब बहुत बढ़िया हैं। यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद है आपको पसंद आएगी।
मैं अहमदाबाद, गुजरात का रहने वाला हूँ, मेरा गाँव नागपुर में है, मैं वहाँ हर 3-4 साल में जाता रहता हूँ, आखिरी बार मैं फरवरी 2010 में गया था। वहाँ मेरे मामा के घर के साथ में पिंकी नाम की एक लड़की रहती है, वैसे तो वो रिश्ते में मेरी मौसी लगती है, सबके सामने मैं उसे मौसी कहता था।
वो दिखने में बहुत गोरी और सुन्दर है, उसकी पतली कमर और गला !
वैसे तो वो पहले से पसंद थी मुझे, तो फ्रेंच किस करने का मन होता था। पर मैं पहल कैसे करता।
इस बार से पहले मैं सिर्फ दो बार उससे मिला था, उसका बर्ताव काफ़ी खुलापन लिए हुए था जैसे वो मुझे पसंद करती हो।
वो मुझे बताने लगी- मेरी शादी होने वाली है ! ये ! वो !
हम बहुत बातें किया करते ! उसकी माँ भी हमें बातें करने देती थी। पर मुझे तो बहुत मन था कि अगर यह पट जाये तो अच्छा हो !
मैं उससे जब बातें करता तो वो मेरे एकदम पास बैठ कर बातें करती थी।
मैंने ऐसे ही मजाक में एक दिन उसे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, तुम बहुत सुन्दर हो !
उस समय वो चावल साफ़ कर रही थी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- तू कितनी गोरी है पिंकी !
मैं अकेले में उसे पिंकी कहता था।
वो मुझसे सिर्फ 3 साल बड़ी है, उसने भी कोई विरोध नहीं किया कि प्रेम तू ऐसा क्यों बोलता है।
मैंने उसका हाथ थाम कर ही रखा था कि उसकी माँ आ गई।
जब उसकी माँ आई तो उसने दर कर मेरा हाथ छोड़ दिया, मैं समझ गया कि इसके मन में क्या है। क्योंकि अगर उसके मन में कुछ होता नहीं तो वो उसकी माँ को देख कर डरती क्यों?
पिंकी की माँ पूछने लगी- और प्रेम बेटा, क्या हाल-चाल है अहमदाबाद के?
मैंने कहा- सब ठीक है नानी !
उसकी माँ फिर से बाहर चली गई, शायद खेत गई होगी..
उसके बाद मैंने कहा- पिंकी, तू डर क्यों गई?
वो बोली- तुम मेरा हाथ पकड़ रखा था और मेरी माँ देखे तो अच्छा थोड़े ही लगता है।
मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा। उसने गहरे नीले रंग की सलवार-कमीज पहनी थी, उसमें उसका गला बहुत गोरा लग रहा था और उसकी जांघ इतनी नरम थी यार कि क्या बताऊँ।
इतने में मुझे मेरी नानी ने आवाज लगा दी और मुझे जाना पड़ा। पर मुझे लगा कि यह अब अपने लपेटे में आ गई है। जाते जाते मैंने उसे आँख मारी तो वो भी हंस दी और बोली- कल दोपहर को फ्री हूँ, आ जाना, हम बातें करेंगे, बहुत दिनों बाद आये हो। मुझे बहुत अच्छा लगता है तुमसे बातें करके !
मैंने कहा- ठीक है, आऊँगा !
पर मुझे रात को ही मौका मिल गया खाने के बाद, मैं वहाँ चला गया, पर सब आँगन में थे और गाँव में बिजली नहीं थी तो हम ऐसे ही बातचीत कर रहे थे खटिया पर बैठ कर ! हम बात बात पर एक दूसरे के हाथ पर ताली देते और बात करते। अँधेरे में उसकी ताली मेरी जांघ पर लग गई और वो हंसने लगी। मैंने भी दो बार उसके वक्ष पर ताली मारी। चाँद की रोशनी में मस्त लग रहे थे उसके उरोज ! मैं तो इतना उत्तेजित हो गया कि बस सोच लिया कि अब कर ही डालना है कुछ !
उसके बाद हमने ऐसे ही हंसते हुए ताली दी पर हाथ नहीं हटाया, अँधेरे में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बैठे रहे, मैं उसकी उंगलियाँ सहलाने लगा था, पर क्या करते रात तो काटनी ही थी।
उसी वक्त मैंने निश्चय कर लिया कि परसों-नरसों मुझे जाना है पर मैं इसको बाहों में तो लूंगा ही और चुम्बन भी करूँगा। बस कल दोपहर का इंतज़ार था।
मैंने एक शरारत की, मुँह में उंगली डाल कर गीली की और उसके हाथ पर रखी उसने वो गीली उंगली पकड़ ली और दांत में कुछ फंस गया है, ऐसे एक्टिंग करते हुए अपने होंठों से लगा ली। मैं समझ गया कि बस पिंकी अब पट गई है।
पर जल्दी कुछ कर !
क्या करूँ?
पर कुछ न कर सका बस फिर जाकर लंड थाम कर सो गया। सुबह उठा तो टॉइलेट जाना था, गाँव में तो मैदान ही जाना पड़ता था, तो चार बजे गए, टॉयलेट जाकर फ्रेश हुए, हाथ-मुँह नदी में धोकर आ रहा था, तो वो दिखी, पानी भर रही थी।
उसने सुबह सुबह इतनी प्यार मुस्कान दी कि यार बस दिन अच्छा जाएगा। इतनी सुन्दर लग रही थी, वो भीगे-भीगे बाल, और वैसी ही नीली पोशाक !
बस मैं तो फ़िदा हो गया यार !
मैं नहाया और चाय पीकर उसके घर चला गया। उसकी माँ खेत जाने की तैयारी कर रही थी, उसने मुझे भी चाय दी तो मैंने पिंकी का हाथ पकड़ लिया, उसने सेक्सी मुस्कान दी और हाथ छुड़ा कर भाग गई। बस अब तो इंतज़ार था कि कब इसके साथ कुछ करूँ।
उसकी माँ चली गई, अब मैं और वो बस हम दो थे घर में !
उसने एक घंटा लगाया घर के काम करने में, सब झाड़ू-पोचा करके वो आकर बैठ गई मेरे साथ।
मैंने उसे कहा- तुम्हें तो मेरी फिकर ही नहीं है, कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ।
वो बोली- अगर काम नहीं करती तो माँ बहुत बोलती, इसलिए फटाफट कर लिया।
फिर बोली- अब फ्री बस ! अब जो तुम कहो ! सारा दिन हम बातें करेंगे !
मैंने बोला- बस बातें ही क्या?
वो शरमा कर हंस दी और बोली- जाओ न यहाँ से ! बड़े आये !
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और दबा दिया, वो बोली- प्रेम, बस रहने दो, तुम तो बहुत मस्तीखोर हो !
मैंने कहा- तुम ही तो कब से फ्लर्ट कर रही थी।
वो बोली- कहाँ बस ! वो तो ऐसे ही तुम बहुत अच्छे हो तो मुझे अच्छा लगता है तुमसे बातें करना।
बस मैंने देर नहीं की और उसके कंधे पर हाथ रख दिया, वो चुप रही और बोली- कोई आ जायेगा।
मैंने कहा- दरवाजा लगा दो !
उसने लगा दिया और आकर मेरे पास बैठ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूम लिया वो ‘बस कर’ बोल तो रही थी पर हाथ नहीं हटाया और कुछ विरोध नहीं किया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने उसको हौले-हौले अपनी बाहों में लिया, उसने आँखें बंद कर ली।
मैंने मन में सोचा कि बस अब हो गया काम मेरा।
मैंने उसके गाल को चूमा, होंठों को चूमा और गले को धीरे धीरे चूमा। उसकी सांसें तेज हो रही थी, वो बोल रही थी- प्रेम बस रहने दो न ! हो गया !
पर सिसकारियाँ भर रही थी और कोई विरोध नहीं कर रही थी।
मैंने उसको वहीं पलंग पर लिटा दिया और उसका दुपट्टा फेंक दिया और उसका गला और छाती चूमने लगा और वो उम्म उम्म ! प्रेम हम्म प्रेम ! कर रही थी और मेरे बालो में हाथ फेर रही थी।
मैंने अपनी शर्ट उतारी, वो देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। मैंने ऊपर से सब उतार दिया और उसके ऊपर लेट गया।
वो अब पीठ पर हाथ फेर रही थी, बोल रही थी- ओह प्रेम ह्म्म हा ! प्रेम कोई आ गया तो? प्रेम बस ! न हम्म ! मजे भी ले रही थी और बोल भी रही थी और इतने प्यार से मेरी पीठ और बालों में हाथ फेर रही थी।
ह्म्म्मम्म प्रेम प्रेम ओह्ह प्रेम सस्सस प्रेम्म्म हम्म बस !
फिर मैंने उसके गले को इतना चूसा, इतना चाटा, तीन-चार जगह काटा, वो सिसकारी ले रही थी और इतनी गरम हो गई कि मेरे कूल्हों
और पीठ पर हाथ फेर रही थी- प्रेम ह्म्म् हा प्रेम्म ह्म्म जल्दी प्रेम !
वो शर्मीली थी, उसका भी पहली बार था और मेरा भी पर मैं अन्तर्वासना पढ़ पढ़ कर एक्सपर्ट हो चुका था कि कैसे करना है।
फिर मैंने उसका कुरता ऊपर उठाया और उसकी नाभि में जीभ डाल दी और पूरी जीभ घुमा कर चूसने लगा।
“ओह प्रेम ! अहह धीरे प्रेम ! अह्ह काटते हो तो कुछ होता है प्रेम ! हाँ प्रेम ओह्ह !”
मैंने कहा- पिंकी, अच्छा लग रहा है?
वो बहुत गर्म हो चुकी थी, बोली- हाम्म् प्रेम करो न ! प्रेम अह्ह और थोड़ा करो न वहाँ पर हमम्म अह्ह काटो मत ! नाम्म प्रेम !
मैं चूसता ही जा रहा था, मैंने पेट पर काटा भी और पूरा पेट चूस चूस कर गीला कर दिया। फिर धीरे से उसका नाड़ा खींचा और उसकी सलवार खुल गई, मैंने नीचे की, उसने काली पेंटी पहन रखी थी, मैंने जैसे ही उसकी फुद्दी पर हाथ रखा, उसके बदन पर कम्पकंपी छा गई- ओह… ओह… ओह… प्रेम… अह्ह्ह… ओह…
मैंने फिर उसकी जांघों को चूसना शुरू किया, वो इतनी अतिशय गर्म हो चुकी थी कि बस अब चोद दो, पर मैंने बहुत तड़पाया उसको और बहुत देर दोनों जांघों पर काटा भी और चूस कर लाल कर दी।
वो बोली- प्रेम, ह्म्म जल्दी प्रेम ! जल्दी आओ न प्रेम ! प्यार करो न प्रेम ! जल्दी प्यार करो न मुझे।
अब मैंने उसकी पूरी कुर्ती ऊपर कर दी तो मुझे उसके चूचे दिखे ! वाह ! क्या निप्पल थे यार ! मस्त गहरे भूरे और गोल-गोल, मोटे-मोटे !
मैंने उन्हें मुँह में लिया तो ! कितने नर्म थे ! मैंने बहुत जोर जोर से चूसना शुरू किया।
“हम्म प्रेम ! अह अह अह प्रेम ! धीरे प्रेम ! हाँ प्रेम ! धीरे हाँ प्रेम ! हाँ करो न प्रेम ! करो, प्यार करो न मुझे..”
वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी पर मुझे संतोष नहीं था, मैंने इतने काट-काट कर उसके वक्ष चूसे कि वो लाल हो गए और उन पर निशान भी बन गये। अब मुझसे नहीं रहा गया, मैं पैंट उतार कर नंगा हो गया। वो तो थी ही गर्म, मेरे पेट पर हाथ फेरने लगी, उसने पहली बार लंड देखा था तो बहुत गर्म हो गई। मैंने उसका हाथ लंड पर रखा तो बस कुछ नहीं कहा उसके पकड़ कर रखा उसने।
मैंने कहा- ज़रा इसे हिला दो ना !
तो उसने कहा- ऐसे?
और हिलाने लगी।
मैंने कहा- हाँ आअ !
उसने कहा- प्रेम, प्यार करने में मज़ा आ रहा है ना?
मैंने कहा- हाँ पिंकी ! अह अह ! पिंकी और कर !
“हाँ प्रेम लो और लो ! ”
और वो तेजी से हिलाने लगी, मुझे लगा कि अब मैं छुट जाऊँगा, तो मैंने कहा- बस पिंकी ! अब मुझे प्यार करना है।
मैंने उसकी कमीज उतार दी और सलवार भी, पूरा नंगा कर दिया और वाह यार ! क्या लग रही थी वो ! गोरी गोरी पतली कमर और वो नाभि ! मैं तो पागल हो गया था। बस अब जल्दी से चोदना था।
वो बोल रही थी- प्रेम, मैं पहली बार तुमसे सिर्फ तुमसे प्यार कर रही हूँ। मेरे साथ वो कर डालो ! जल्दी प्यार करो न प्रेम !
मैंने देर नहीं की और उसकी चूत पर मुँह रख दिया।
वो बोली- स…स…हम्म ! प्रेम क्या कर रहे हो? यीई…ईईए… अह्ह… अह प्रेम ! और… और… और प्रेम !
और मैं चूसता ही गया, चूसता जी गया, चूत में पूरी जीभ डाल कर चूसता गया, मस्त मुलायम और लाल लाल चूत थी।
और मैं उमम्म्च… अलम्म्च ह्मम कर के चूस रहा था। अब मुझे उसकी चूत में बहुत खारा खारा स्वाद लगा।
मैंने मन में कहा कि बस अब मुझे इसको चोदना है।
मैं उसके ऊपर आ गया, अपने पूरे शरीर का भार डाल कर, मेरी छाती से उसके मम्मे दब रहे थे। मैं बहुत जोर जोर से उसके होंट चूसने लगा, हम दोनों नंगे थे, एक दूसरे के ऊपर ! अहह क्या अहसास था यार ! मैंने देर नहीं की और बस लंड उसकी चूत पर रख कर धीरे धीरे अन्दर करने लगा।
वो बोल रही थी- अह अह अह ! आआ प्रेम और और ! अह्ह्ह प्रेम ! दुःख रहा है ! ना प्रेम ! अह आहा अह्ह्ह !
मैंने उसको इतना गर्म किया था कि उसको चूत में दर्द न हो !
मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पुचच्च कर के अन्दर चला गया, मुझे अन्तर्वासना पढ़ पढ़ कर पता था कि यह चिल्लाएगी, मैंने पहले ही उसके मुँह में मुँह डाल दिया और चूसने लगा, वो ह्म्म्मम्म्म्मम्�� �म कर के चिल्लाई।
पर मेरे मुँह में दब गई वो चीख !
उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे पर मैंने उसके हाथ जोर से दबा कर पकड़ रखे थे, दोनों हाथ से और मैंने तब तक उसका मुँह चूसा जब तक उसे मज़ा न आने लग जाये।
मैं नीचे से अन्दर-बाहर धक्के लगाने लगा।
अह अह अह आहा उम्म्म्मच…ओम्म्म�� �च…आओ ऊमम्म पचच्च !
मैं उसके होंट और मम्मे चूसता जा रहा था और नीचे से उसे चोद रहा था- अह अह हा पिंकी ! आई लव यू मेरी जान ! मुझे बहुत
मज़ा आ रहा है।
“हा हा हा अह अह प्रेम ! हाँ प्रेम मुझे भी ! और प्यार करो न मुझे ! और और करो न ! स्स्स्स्स स्स्स अह हम्म प्रेम ! और करो जोर से करो न प्रेम ! हाआ आ प्रेम ऐसे ही करो ना ! मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे प्रेम ! तुम बहुत प्यारे हो ! अह्हह्ह प्रेम ! करो और प्रेम ! हा मेरे प्रेम ! तुम जब यहाँ नहीं होते तो मैं बहुत मिस करती हूँ तुम्हें ! आज बहुत प्यार करो ! जी भर के करो प्रेम ! करो और और ”
“हाँ मेरी रानी ! मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे ! अहह अह आहा लो लो और लो ! पिंकी अह अह आहा हआ !”
“प्रेम, बहुत अच्छे हो तुम ! बहुत प्यार करते हो न मुझसे?”
“हाँ पिंकू बहुत चाहता हूँ तुम्हें मैं ! चाहे दुनिया के लिए चाहे तुम मेरी मौसी हो पर तुम मेरी प्यारी दुल्हन हो ! अह्ह पिन्कय् !”
“हाँ प्रेम करो न प्रेम ! मैं तुमसे शादी करना चाहती थी, पर क्या करूँ ! चाहे कुछ भी हो, हम प्यार तो जरुर करेंगे !”
मैं बहुत देर तक ऐसे ही बोल बोल कर उसको चोदता रहा। फिर जब मेरा पानी आने वाला था तो मैंने कहा- मैं तो गया पिंकी !
वो बोली- बस मेरे अन्दर ही रहो न प्रेम ! मुझे मत छोड़ कर जाओ !
मैंने उसकी चूत में ही अपना लंड डाले हुए पूरा पानी छोड़ दिया, 6-7 पिचकारी में पूरा पानी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। हम संतुष्ट हो गए थे, मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके मम्मे चूसता रहा, और वो हांफती रही- ह्म्म्म ! प्रेम अच्छा लगा न जानू?
मैंने कहा- हाँ पिंकू !
वो बोली- पता है प्रेम, मुझे तुम बहुत पसंद हो, मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे ! तुमसे इतना प्यार करना चाहती हूँ कि मेरा कभी दिल ही न भरे प्यार कर कर के ! और लो प्रेम ! सब तुम्हारा है ! कह कर उसने अपनी चूची मेरे मुँह में दी और अब वो नीचे से हिलने लगी। मैंने उसका मम्मा चूस चूस कर लाल कर दिया, वो फिर से गर्म हो गई, मैं भी तैयार हो गया, वो नीचे से गांड हिलाने लगी, मैं उसकी चूत में धक्के मारने लगा, मैंने कहा- जान, मैं बहुत प्यार करना चाहता हूँ तुम्हें।
वो बोली- हाँ प्रेम ! फिर मौका मिले न मिले, आज जितना चाहे प्यार कर लो मेरे जानू ! मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ ! अह अह अह अह प्रेम शैतान कहीं के ! धीरे न बाबा ! तुम्हारी ही तो हूँ !”
मैं जोर से चोदने लगा वो झड़ गई, मेरा भी काम होने को आया था पर मैंने निकाल लिया फट से लंड और उसकी गांड पर टिका दिया।
पिंकी- अह्ह प्रेम, यह क्या अह्ह्ह दुःख रहा है प्रेम ! कोई बात नहीं प्रेम, तुम्हारी हूँ, जो चाहे करो पर थोड़ा धीरे !
मैं- हाँ जानू, बस आज पूरा मजा लेने दो न ! आआ आह्ह्ह मेरी शोनी पिंकू !
पिंकी- हाँ प्रेम, मैं तुम्हें बहुत प्यार दूंगी। अह प्रेम, दुखता है !
मैं- अह पिंकू, तुम्हारी तो बहुत मुलायम है।
पिंकी- प्रेम मेरा पहली बार है, बस तुम्हारे लिए है, करो प्रेम, पूरा मज़ा लो और मुझसे प्यार करो।
मैं उसकी गांड मार रहा था, उसे भी मजा आने लगा था तो वो भी प्यार से मरवा रही थी।
मैं- ओह पिंकी, मैं बस आने वाला हूँ ! अह अह !
उसने अपने गले पर मेरा चेहरा थोड़ा दबाया और मैं उसके गले को चूसने-काटने लगा और गांड मारता रहा।
पिंकी- हाँ प्रेम आ जाओ न मेरा अन्दर !
और मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया उसकी गांड में !
क्या सुकून वाला एहसास था पहली चुदाई ! गांड और चूत दोनों चोदने के बाद हमने बहुत लम्बा चुम्बन किया, उसने मेरे होंठों को बहुत चूसा और मैंने भी !
पिंकी- प्रेम, आज अच्छा तो लगा न मेरे जानू?
मैं- मेरी जानू, बहुत मज़ा आया ! तुम मेरा पहला प्यार हो पिंकी ! आई लव यू सो मच !
पिंकी- आई लव यू टू मेरे प्रेम ! बस लव यू जानू।
हमारे पास शब्द नहीं थे, बस एक दूसरे को चूमते हुए मस्त चुदाई की और प्यार से चूसते हुए एक दूसरे को जकड़े पड़े थे बेड पर। मैं- पिंकी, तुमने मुझे बहुत प्यार दिया। मुझे तुमसे और प्यार चाहिए, मुझे दोगी ना?
पिंकी- प्रेम में तो सिर्फ तुम्हारी हूँ अब जो चाहे कर लो और तुम जो बोलोगे, मैं करुँगी डार्लिंग !
मैं- पिंकी, मैं बहुत चाहता हूँ तुम्हें, बस मुझे यह डर है कि तुम कहीं नाराज न हो जाओ, तुम्हारे साथ मैं जबरदस्ती न करूँ।
पिंकी- अरे मेरे दिल में रहने वाले पगले राजा, बोलो न क्या बात है?
उम्म्मम्म्च ! मेरे माथे पे चूमा।
मैं- पिंकी, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिंग पर वो करो जो मैं तुम्हारे दुदू पर करता हूँ।
पिंकी- मतलब मैं उसे मुँह में लेकर चूसूँ?
मैं- हाँ, क्या हुआ डार्लिंग? बुरा लगा?
पिंकी- नहीं जानू, बस पहली बार है तो थोड़ा गन्दा लगेगा ! पर कोई बात नहीं, बस मैं तुम्हें, मुझसे जितना हो सके, उससे भी ज्यादा प्यार दूंगी।
मैं तो खुश हो गया और बोला- तो लो न जल्दी !
हम बेड पर लेटे थे करवट लेकर, वो थोड़ा नीचे सरकी और उसने मेरा लण्ड अपनी ब्रा से पोंछा और जीभ से चाटा और चुम्मी ली।
पिंकी- प्रेम, आई लव यू, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ मैं !
और उसने आँखें बंद की और पूरा मुँह में लेकर धीरे धीरे चूसने लगी।
मुझे बहुत जोश छाने लगा, मैंने कहा- अह अह अह पिंकी बेबी और चूसो ! और और और अह अह !
और मैं झटके मारने लगा- अह अह !
पिंकी भी मुझे देख कर खुश हो रही थी, उसे लग रहा था कि वो मुझे प्यार दे पा रही है, इस लिए फिर उसे भी मजा आने लगा और वो जोरों से चूसने लगी।
करीब दस मिनट बाद मैंने कहा- मैं आ रहा हूँ !
उसने चूसते हुए कहा- ह्म्म्मम्म ह्म्म्मम्म च हम्म्म्म्म
बहुत देर चूसाने के बाद मैंने पूरा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया, उसे पता चला भी या नहीं, पता नहीं पर वो लार और थूक समझ कर शायद सब गटक गई और चूसती ही रही, मेरा पानी निकलने पर मैंने उसे अलग किया और बस मुझे उस पर इतना प्यार आया कि मैंने बहुत देर उसके होंठों का रसपान किया।
मैं उसका प्यार पहचान गया पर हम दोनों जानते थे कि हमारी शादी नहीं हो सकती।
बस उस दिन पहला और आखिरी मौका था तो कर लिया। फिर उसकी माँ के आने का वक्त हुआ। हमने लगभग ३ घंटे चुदाई-कार्यक्रम चलाया।
उसने फिर मेरे माथे पर, गाल, गला सब चूमा और चाटा और बोली- प्रेम, बस आज तक असा कभी नहीं लगा जो आज लग रहा है, आज अलग सी ख़ुशी हो रही है।
मैं- हाँ पिंकी, तुम हो ही इतनी सुन्दर, बस तुम परी हो।
पिंकी ने मुझे स्नेह से गले लगा लिया और आँखों में आँसू थे !
मैंने उसे फिर से चूम लिया।
चादर पर मैंने देखा तो खून और मेरा वीर्य पड़ा था, पिंकी अक्षतयौवना थी और मैं भी ! हमें पहली बार बहुत मज़ा आया और हमने अपने हाथों से एक दूसरे को कपड़े पहनाये। मैं बहुत देर उसकी गोद में सर रख कर बातें करता रहा। उसकी माँ के आने का समय हो गया, उसने जल्दी से चादर धो डाली और निचोड़ कर प्रेस करके सुखा दी और वही चादर बेड पर डाल दी ताकि किसी को शक न हो।
बस फिर उसकी माँ आ गई आँगन में,पिंकी जल्दी से आई मुझे गाल पर चुम्मी दी और अपनी जीभ से गीला करके चली गई। मैंने उसे आँख मारी और वो हंसने लगी।
फिर मैं उसके घर से उसकी माँ से थोड़ी बातचीत करके निकला।
दूसरे दिन मेरी अहमदाबाद की ट्रेन थी तो वो बहुत उदास थी। जाते जाते मैं उसके घर में घुस गया, उसकी माँ के पैर छूने के बहाने गया, माँ बाथरूम में थी, मैंने उसको लम्बा चुम्बन किया, बाहों में जकड़ा और कहा- जानू, जा रहा हूँ पर आई लव यू फोर एवर !
उसने भी कहा- हाँ प्रेम, मैं भी मरते दम तक यह प्यार नहीं भूलूंगी, आई लव यू टू !
बस फिर मैं चला आया, सारे रास्ते ट्रेन में उसके बारे में सोचता रहा और घर आकर आज तक उसे भुला नहीं पाया हूँ।
पिछले महीने में ही उसकी शादी हुई है, हमारा कोई सम्पर्क नहीं है। यहाँ इस दिवाली के बाद अहमदाबाद में
एक रिश्तेदार की शादी है दुआ है कि वो ज़रूर आये !
बस यह थी मेरी सच्ची कहानी प्यार और सेक्स की।
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