माशूका को मुश्किल से मनाया चूत चुदाई के लिए
दोस्तो, मैं सेटी खान अलवर के एक छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ रहता हूँ।
मेरी उम्र 19 साल है.. मेरा कद 5 फीट 5 इंच है, रंग गोरा, देखने में आकर्षक लगता हूँ। मेरे लिंग की लंबाई 6 इंच है।
मैं पिछले 3 साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक रहा हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है.. जो मैं आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ।
बात 2 साल पहले की है.. जब मैंने 12वीं की परीक्षा दी थी और उसके बाद 2 माह की छुट्टी थी। मैं घर वालों के साथ ही छुट्टियों का आनन्द ले रहा था।
हमारे पड़ोस में एक लड़की रहती थी जिसका नाम था निगार (बदला हुआ नाम) वो अपने दादा-दादी के साथ रहती थी।
देखने में वो बहुत ही खूबसूरत थी, उसका फिगर भी बड़ा ही मस्त था। रंग गोरा और उभरे हुए चूचे और गाण्ड एक अलग ही लुक देते थे।
गली के काफ़ी लड़के उसके पीछे लगे हुए थे.. लेकिन वो किसी को भी भाव नहीं देती थी।
मैं भी उन्हीं लड़कों की लिस्ट में था, मेरा मन भी उसके कामुक जिस्म को देखकर उसे चोदने को करता था।
लेकिन डर लगता था कि कहीं इसने अगर घर वालों को बोल दिया तो वाट लग जाएगी।
एक दिन हिम्मत करके मैंने उसकी तरफ़ देखकर आंख मार दी।
इससे उसने मुझे गुस्से से घूरा और चली गई।
मैं उससे बात करने की कोशिश करता तो जवाब हमेशा उलटा ही मिलता। पूरा एक महीना गुजर गया लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी।
एक दिन में खाना ख़ाकर आराम कर रहा था।
अचानक मुझे वो गेट पर खड़ी हुई दिखी.. उसने मुझसे बोला- तेरी आपी कहाँ पर है.. मुझे उससे एक ज़रूरी काम है?
मैंने कहा- अन्दर है.. चली जाओ।
वो अन्दर चली गई.. लेकिन मेरा मन नहीं लगा तो मैं भी अन्दर पहुँच गया।
मेरे जाते ही उन दोनों ने अपनी बातें बंद कर दीं।
अचानक उसने मुझसे कहा- तुम्हारे घर पर आई हूँ और तुमने चाय तक का नाम भी नहीं लिया।
मैंने कहा- आपी इनके लिए चाय बना दो।
फिर आपी हँसते हुए उठ कर चाय बनाने चली गईं।
मैंने उसे नज़र उठाकर देखा तो उसने मुस्करा कर नज़रें नीचे कर लीं।
मैंने सोचा चलो कुछ तो लाइन पर आई।
फिर अगले दिन वो फिर आपी के पास आई।
इस तरह वो रोज़ हमारे घर आने लगी।
धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी और मैंने उसका मोबाइल नंबर ले लिया।
अब मैं उससे रोज़ फोन पर बातें करने लगा।
एक दिन मैंने उससे कहा- कहीं पर मिलते हैं.. जहाँ पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं हो।
उसने मना कर दिया, वह बोली- मुझे पता है.. तुम मुझे क्यों बुला रहे हो.. मैं यह नहीं करने वाली।
मैं उससे पूरी रात बात करता था.. लेकिन वो मिलने का नाम ही नहीं लेती।
इसी तरह 3 महीने निकल गए लेकिन मेरी बात नहीं बनी।
मैंने सोचा कुछ तो करना ही पड़ेगा।
फिर मैंने एक दिन उससे पूछा- तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड कौन है?
उसने मुझे बताया- एक लड़की मेरे साथ ही पढ़ती है.. वो मेरी बेस्ट फ्रेंड है।
मैंने कहा- यार उससे भी किसी दिन बात तो करा न।
उसने कहा- ठीक है कल कराऊँगी।
दूसरे दिन स्कूल से लौटते वक्त एक लड़की साथ थी। दोनों ने घर पर जाकर मुझे फोन किया।
मैंने उसकी फ्रेंड से बात की और उसका पर्सनल नम्बर ले लिया।
दो-तीन दिन बात करने के बाद वह मुझसे पूरी तरह से खुल गई, अब मैं उससे खूब सेक्सी बातें किया करता था।
एक दिन मैंने उससे कहा- तुम अपनी फ्रेंड को समझाओ ना यार.. वो मेरे साथ सेक्स के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं होती।
उसने मुझसे कहा- मैं कल बात करूँगी।
उसने उसे जैसे-तैसे तैयार किया। जैसे उसने ‘हाँ’ भरी.. मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसकी फ्रेंड ने पूरा प्लान तैयार कर लिया और बोला- रात को 11 बजे इसको लेने घर पर आ जाना.. ये तुमको घर के बाहर ही मिलेगी।
अब मैं रात के 11 बजने का इंतज़ार करने लगा। वो वक़्त मैंने कैसे गुज़ारा मैं शब्दों में नहीं बता सकता। एक-एक मिनट भी निकलना भारी हो रहा था।
आख़िर 11 बज ही गए.. मैं उसके घर पर गया.. वो मुझे घर के बाहर खड़ी मिली।
मैंने उसे जैसे ही देखा.. तो क्या लग रही थी। उसने वाइट कलर का सलवार सूट पहना हुआ था.. जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
मैंने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा.. वह एकदम से पीछे हट गई।
क्या मुलायम हाथ थे यार।
हम दोनों मेरे घर पर आ गए। मम्मी-पापा सब अन्दर वाले कमरे में सो रहे थे। हम दोनों गेस्ट रूम में थे। हमारा घर काफ़ी बड़ा है.. इसलिए मम्मी-पापा को पता लगने का कोई चांस ही नहीं था।
जैसे ही हम दोनों कमरे में घुसे.. मैंने उसे कसके पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। कुछ देर तो उसे अज़ीब लगा.. लेकिन 5 मिनट बाद वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। रात के अंधेरे में उसका जिस्म चाँदनी की तरह चमक रहा था। अब मैंने अपने भी सारे कपड़े निकाल दिए।
हम दोनों पूरी तरह नंगे बिस्तर पर थे।
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फिर मैं उसके मम्मों को मसलने लगा.. उसके निप्पलों को चूसने लगा।
वो हल्का विरोध कर रही थी.. लेकिन मेरा साथ दे रही थी।
हम दोनों कई मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे को चूमते रहे।
अब वो पूरी तरह गर्म हो गई.. उसकी चूत गीली हो गई थी।
मैंने बिना देरी किए उसके दोनों टांगों को ऊपर उठा कर जैसे ही अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रखा.. वो एकदम सिमट सी गई।
मैंने हल्का सा धक्का दिया.. मेरा लंड एक इंच उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और एक ज़ोर से धक्का लगाया।
मेरा आधा लंड अन्दर घुस गया और वो एकदम से छटपटाने लगी.. मेरी पकड़ से निकलने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने अपनी पकड़ ढीली किए बिना, एक और धक्का लगाया और पूरा लंड अन्दर घुसेड़ दिया।
वो और ज़ोर से छटपटाने लगी और बिस्तर को अपने हाथों से ज़ोर से जकड़ने लगी।
मैं कुछ देर ऐसे ही रुका रहा। उसके बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ और उसने मुझे इशारा दिया तो मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए।
कुछ मिनट की चुदाई के बाद वो भी मेरी पीठ सहलाकर मेरा साथ देने लगी।
धकापेल चुदाई के बाद उसने मुझे ज़ोर से जकड़ लिया।
मैं समझ गया कि वह झड़ चुकी है।
उसकी चूत का गर्म-गर्म पानी मुझे महसूस हो रहा था।
अब मेरे धक्के सटासट लग रहे थे, चूत एकदम चिकनी हो गई थी।
कुछ जोरदार शॉट मारने के बाद मेरा भी माल निकल गया, मैंने सारा वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया।
हम दोनों ही शिथिल हो चुके थे, मैं उसके पास में ही लेट गया।
उस रात मैंने उसकी कई बार अलग-अलग तरीके से चुदाई की और सुबह करीब 4 बजे में उसे घर तक छोड़ आया।
जाते वक़्त उसने मेरे गाल पर एक किस दिया।
उसके बाद हम दोनों हर 2-3 दिन में चुदाई करते थे।
कुछ दिनों बाद वो अपने मम्मी-पापा के पास चली गई, उससे कभी मुलाकात करने का मौका ही नहीं मिला।
सच में आज भी मैं उसको बहुत मिस करता हूँ।
प्रिय पाठको.. अब मुठ मारना और चूत में उंगली करना बंद करो, जल्दी से मुझे लिखो कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।
मुझ ईमेल ज़रूर कीजिएगा, मुझे आपके जवाब का इंतजार रहेगा।
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