मेरी परीक्षा और मेरी चूत चुदाई-2
तभी दरवाजे की घण्टी बजी, शायद मौसी आ गई थी। सौरभ दरवाज़ा खोलने के लिए उठा। मैंने कहा- एक मिनट रुको !
मैंने फट से अपना पारदर्शी टॉप उतार कर सुशील लडकियों वाला एक कपड़ा पहन लिया।
सौरभ ने कहा- यह क्या?
मैंने अपनी चूचियों को हाथ में लेते हुए कहा- ये मेरे मम्मे हैं, सबको नहीं दिखाती ! सिर्फ कुछ ख़ास लोग को दिखाती हूँ जैसे तुम…
वह मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोलने चला गया।
मौसी आ गई थी, मुझे लगा कि मेरा काम अधूरा ही रह गया। वैसे तो मेरा और मौसी का रिश्ता दो सहेलियों की तरह है लेकिन है तो वो मेरी मौसी…
मौसी ने मुझे प्यार से गले लगाते हुए कहा- कैसी हो पूजा बेटी !
फिर मौसी ने भी खाना खा लिया और मुझसे इधर उधर की बात करने लगी।
बात करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई। वहाँ उन्होंने मेरा सारा सामान देखा, उन्होंने मुझे बुलाया और बोली- यह कमरा बहुत छोटा है, तू सौरभ के रूम में शिफ्ट हो जा..
मैंने इस बात पर फट से हामी भर दी आखिर हामी भरती भी क्यों न, आखिर मेरी मन मांगी मुराद मुझे बिना मेहनत के जो मिल गई थी..
मैंने अपना सारा सामान लेकर सौरभ के कमरे में रख दिया, यह देख सौरभ के मन में भी लड्डू फूटने लगे…
उस रात जो हुआ मैंने कभी अपने जीवन में नहीं सोचा था कि मैं सौरभ के साथ यह सब करुँगी…
मैं अपनी चिकन वाली पारदर्शी टॉप पहन कर तैयार हो गई थी वो भी बिना ब्रा के जिसकी वजह से मैं नंगी के समान ही थी। रात के लगभग 12 बज रहे थे, मैं बिस्तर पर बैठ कर पढ़ाई कर रही थी, मेरे बगल मैं सौरभ बैठ कर लैपटॉप में मूवी देख रहा था और तिरछी निगाहों से मेरी चूचियों को निहार रहा था।
मैंने उसे कहा- क्या हुआ? आज कैसे दूसरी मूवी देख रहे हो? उस दिन वाली मूवी नहीं है क्या जो रात में अकेले देख रहे थे…?
उसने बोला- वो अकेले देखने वाली है ना, इसलिए अभी नहीं देख रहा…
मैंने कहा- कभी मुझे भी दिखाना ब्लू फिल्म ! मैं भी देखूँ, ऐसा क्या होता है उसमें…
मेरा निशाना तो सौरभ था, यह सब कुछ तो मैं उस तक पहुँचने के लिए कह रही थी।
सौरभ बोला- कभी क्या, अभी देख लो !
और उसने एक ब्लू फिल्म चला दी… मैं अपनी ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़के के साथ बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही थी… पहले एक लड़की और एक लड़का आए उन्होंने एक दूसरे को खूब चूमा, फिर एक एक कर के सारे कपड़े उतार दिए, फिर लड़का लड़की की चूत चाटने लगा, फिर लड़की ने भी लड़का का हथियार मुँह में लिया और मजे लेकर चूसने लगी.. फिर लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत पर टिकाया और धक्के देने लगा, लड़की भी उसका खूब सहयोग कर रही थी…
सौरभ का लण्ड खड़ा हो चुका था, उसने लैपटॉप अपनी जाँघ पर रखा था, मैंने लैपटॉप सही करने के बहाने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया.. पैंट के तनाव से उसके लण्ड का कड़ापन साफ़ दिख रहा था। मैंने धीरे धीरे उसकी जांघ सहलाना शुरू किया।
कुछ देर तक सहलाने के बाद जब उसकी तरफ से कोई रेस्पोंस नहीं मिला तो मैंने सहलाना बंद कर दिया।
तभी उसनी कहा- प्लीज़ दीदी, रुकिए मत !
और मुझे चूमने लगा…
हम दोनों एक दूसरे को भूखे शेर की तरह चूमने लगे, उस समय हम दोनों के बदन एक दूसरे से ऐसे जुड़े थे कि बीच में से हवा भी नहीं गुजर सकती थी।
फिर सौरभ ने मुझे गर्दन के नीचे चूमना शुरू किया, कुछ ही देर मैं उसने मेरा टॉप उतारा और मेरी चूचियों को दबाने लगा और उन्हें पीने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने मेरा लोअर उतारा और फिर पैंटी ! अब मैं सौरभ के सामने नंगी लेटी हुई थी… और वह मेरे ऊपर लेट कर मेरे सारे बदन को चूमे जा रहा था…
मेरे बदन को चूमते चूमते उसका मुँह मेरी बुर पर चला गया और फिर उसने मेरी बुर चूमना-चूसना शुरू कर दिया। मेरे पूरे शरीर में मानो एक तरंग सी दौड़ गई हो, आखिर हो भी क्यूँ न ! आज ज़िन्दगी में पहली बार एक मर्द मिला था…
हम दोनों की सांसें तेज़ हो चुकी थी, मैंने कहा- सौरभ, अब मुझसे और नहीं रुका जा रहा…
उसने इतना ही सुनते फ़ौरन अपनी पैंट उतार दी और उसका खड़ा लण्ड मेरे सामने था, एक 6′ का मोटा तगड़ा लण्ड !
उसका लण्ड देख कर मेरे दिल में एक प्यास सी जाग गई… मैंने अपने आप अपनी दोनों टाँगें फैला दी।
सौरभ मेरे ऊपर आया और अपना लण्ड मेरी चूत में डालने लगा। चूत काफी संकरी थी और लण्ड काफी मोटा ! जा नहीं पाया।
उसने दूसरा प्रयास किया लेकिन फिर लण्ड चटक गया… और मैं थोड़ी हंस सी पड़ी !
सौरभ मेरा मुँह देखने लगा और उठ कर तेल की शीशी ले आया.. उसने थोड़ा तेल मेरी चूत पर डाला और अपनी उंगली से उसे भीतर तक अच्छे से लगाने लगा। उसकी उंगली अंदर जाते ही मुझे मानो जन्नत सी मिल गई हो, मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर उसने थोड़ा तेल अपने लण्ड पर लगाया उसका लण्ड एकदम चमकने लगा और भी अच्छा दिखने लगा…
फिर से उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का लगाया और उसका आधा लण्ड मेरी चूत में था। मेरी सांसें मानो अटक सी गई, पैर अकड़ने लगे और आँखों से आँसू छलक आए।
उसने पहले झटके के तुरंत बाद दूसरा झटका लगाया और मेरी चूत में से खून की धार फूट गई और दर्द से मैं कराह उठी…
और सौरभ धक्के पे धक्का लगाता गया, मुझे चक्कर सा आने लगा, मेरी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया और मैं बेहोश होने लगी। मेरी हालत देख सौरभ रुक गया, उसने अपना लण्ड बाहर निकाला जो मेरी चूत के खून से सन कर एकदम लाल हो गया था। उसने मुझे पानी दिया, मैंने पानी पिया तो थोड़ा होश आया।
मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो लड़खड़ा गई। सौरभ मुझे बाथरूम तक ले गया, मैंने अपनी खून से सनी योनि पर पानी डाला और साफ़ किया। बहुत दर्द हो रहा था, चिरमिराहट सी लग रही थी अभी तक !
फिर मैं नहाई और कपड़े पहन कर वापस आ गई। सौरभ वैसे ही नंगा बैठा हुआ था, उसने मुझसे पूछा- दीदी, आप ठीक तो हैं?
मैंने हंसते हुए कहा- हाँ यार… पर अभी और नहीं करेंगे ! दुख रही है !
और फ़िर सौरभ भी नहा लिया। उसके बाद हम दोनों सोने चले गए।
दूसरे दिन सुबह जब मेरी आँख खुली तो दस बज रहे थे, मौसी ऑफिस जा चुकी थी, तभी सौरभ चाय लेकर कमरे में आया और मुझे चाय दी… उसने कहा- दीदी, मैं तो कल डर ही गया था कि आप को क्या हो गया…
मैंने कहा- तुम्हें थोड़ा आराम से करना चाहिए था, तो ऐसा नहीं होता.. हम लोगों को सेक्स प्यार से मजे लेकर करना चाहिए, कोई मशीनी काम की तरह नहीं करना चाहिए कि लण्ड चूत में घुसा और एकदम हच-हचा-हच ! बेचारी लड़की तो मर ही जाएगी…
सौरभ एकदम चुप हो गया।
मैंने कहा- क्या हुआ? आज नहीं करोगे क्या…?
उसने कहा- क्यों नहीं !
और वो मेरे ऊपर चढ़ आया, थोड़ी चूमाचाटी की और दोनों नंगे हो गए ! उसने इस बार अपना लण्ड धीरे से अन्दर घुसाया और झटका मारा, मैं चीख पड़ी।
सौरभ रुक गया, फिर उसने धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया। मुझे दर्द हो रहा था पर कुछ ही देर में मेरा सारा दर्द मजे में बदल गया, मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी और मैं भी अपने चूतड़ और कमर उछाल उछाल कर उसका साथ देने लगी और कुछ ही देर में मैं झड़ गई और उसके तुरंत बाद सौरभ भी झड़ गया, उसने अपना सारा वीर्य मेरे पेट पर गिरा दिया और फिर मेरे ऊपर लेट गया।
और इसी तरह हम रोज नियम से अपना चुदाई खेल खलते रहे…
एक दिन रात में सेक्स करते समय सौरभ ने मुझसे गांड मरवाने के लिए कहा लेकिन मैंने पहले से सोच रखा था कि गाण्ड नहीं मरवाऊँगी, चाहे जो हो जाए क्योंकि मैंने सुना था कि गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है।
हमने कई तरह से सेक्स किया, हम लोग रोज नेट पे सेक्स करने के नए नए पोज़ देखते और उन्हें करते, कभी टांग उठा के, कभी लेट के तो कभी खड़े होकर, कभी कंडोम लगा के, तो कभी तेल लगा कर, तो कभी विगोरा खाकर…
लेकिन मैंने कभी गाण्ड नहीं मरवाई और कुछ दिन के बाद मुझे घर वापस आना का हुआ तो उस दिन सौरभ ने मुझे छः बार चोदा और इतने दिन से सेक्स करते करते मुझे एक सम्पूर्ण औरत होना का अहसास होने लगा, मेरा शरीर काफी उभर आया था, जो नई ब्रा खरीदी थी, वो छोटी पड़ने लगी थी।
कूल्हे भी पीछे को उभर आए थे और बुर का तो भोंसड़ा बन गया था… मैं एक औरत बन कर अपनी बड़ी चूचियाँ, फटी चूत और एक अनोखा एहसास लिए घर को वापस चली आई…
अरे रुकिए !
आप कहाँ जा रहे हैं?
अभी तो आगे की कहानी बची है !
उसके बाद मैं तैयारी करने के लिए कोटा गई, वहाँ मैं गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी… अब वहाँ मैंने क्या क्या गुल खिलाए, यह जानने के लिए आपको मुझे मेल करना पड़ेगा।
बाय बाय ! विव लोटस ऑफ़ लव
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