मेरी सहेली के बेटे ने परम सुख दिया
मेरा नाम फ़िरदौस है, 36 साल की मैं दिल्ली में एक बड़ी फर्म में ऊंचे ओहदे पर हूँ। मेरा फिगर 36-30-38 है, रंग गोरा है, तो आप समझ गये होंगे कि मैं कैसी दिखती हूँ! मैं देखने में अच्छी हूँ क्योंकि मर्द मुझे ऊपर से नीचे तक अपनी कामवासना भरी नज़रों से घूरते हैं।
मैं अपने खाविन्द के साथ रहती हूँ पर मेरी निजी जिन्दगी में कुछ ख़ास नहीं है क्योंकि मेरा मर्द उम्र में मुझसे काफ़ी बड़ा है और शराबी है, वो अपने बिज़नेस में ही व्यस्त रहता है। मुझे अपने खसम से चुदाई का सुख नहीं के बराबर मिला है, यही कारण है कि मेरे कई बार गैर मर्दों से सेक्स सम्बन्ध बन ही जाते हैं। उन्ही में से एक घटना मैं लिख रही हूँ, यह अभी हाल ही की बात है।
मेरी सहेली भावना जो पहले हमारी ही बिल्डिंग में रहती थी, अब दूसरे शहर में शिफ्ट हो गई है, उसका बेटा प्रथम जो 23 साल का है, वो अपने पुराने दोस्तों से मिलने आया था तो वो मेरे घर भी आया। प्रथम अब काफ़ी हैंडसम दिखने लगा था और उसका बदन भी जानदार, गठीला हो गया था।
उस दिन घर पर कोई नहीं था, सुबह के 10 बज रहे थे और मैं नहा कर निकली ही थी कि तभी प्रथम मिलने आ गया।
मैंने नहा कर अपनी साटिन की मैक्सी पहनी, अंदर कुछ नहीं पहना। मैंने उसको बैठाया, चाय-नाश्ता कराया।
ऐसे ही प्रथम से बातें करने लगी। प्रथम ने बताया कि शाम को वो वापस चला जाएगा।
उसने मुझसे कहा- मौसी, आप अच्छी लग रही हो!
वो मुझे कामुक नज़रों से देखने लगा, वो मेरे वक्ष को घूर रहा था। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी और मैक्सी भी टाइट थी गहरे गले की! शायद इसलिए उसको मेरे उरोज दिख रहे होंगे।
यह सब सोच कर मेरी अन्तर्वासना जागृत होने लगी तो अनायास ही मेरी निगाह उसकी जीन्स के उसके लिंग के उठान पर चली गई। टाइट जीन्स में उसका खड़ा लिंग साफ़ दिख रहा था। मैं समझ गई कि प्रथम क्या चाहता है।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए।
तभी मैं कुछ काम से अन्दर जाने के लिए खड़ी हुई तो प्रथम बोला- मौसी, मैं आपसे गले तो मिला ही नहीं!
और वो मेरे पास आ गया। मैं कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गले पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरी कमर को पीछे से पकड़ लिया और हाथ कसने लगा।
कुछ देर के लिए तो मैं सब भूल गई और उसकी बाहों में खो गई। फिर वो मेरी कमर पर हाथ से सहलाते हुए मेरे कूल्हों पर हाथ ले आया। मैं उससे अलग हुई पर उसने हाथ वहाँ से नहीं हटाए और बोला- मौसी, आप नहीं जानती कि मुझे आपकी कितनी याद आती है। आपका चेहरा हर वक्त मेरी आँखों के सामने घूमता रहता है।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मैंने उससे कहा- तुम यहीं बैठो, मैं अभी आती हूँ!
और मैं बेडरूम में चली गई। मैंने सोचा मुझे प्रथम के सामने ऐसे बिना ब्रा-पैंटी के नहीं जाना चाहिए था पर मुझे उसकी बातें सुन कर अच्छा लगा था।
मैंने सोचा कि मुझे ब्रा-पैंटी पहन लेनी चाहिए तो मैं बेडरूम में आई और मैक्सी उतार दी।
इस वक्त मैं मादरजात नंगी खड़ी थी। मैंने पहले ब्रा ली और पहन ली और जैसे ही मैंने पैंटी को अपनी एक टाँग में डाला, प्रथम ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, उसके हाथ मेरे चुच्चों पर थे और वो उनको ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था। अभी मैं समझ ही नहीं पाई थी कि क्या हुआ है कि मुझे प्रथम ने पीछे से गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया।
पैंटी मेरी एक जाँघ में ही रह गई।
प्रथम ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर आ गया और अपने लब मेरे होंठों पर रख कर चूसने लगा।
उसने मेरे हाथ पकड़ लिए जिससे मैं कुछ नहीं कर पाई। मैं अब समझ गई कि वो मुझसे सेक्स करके ही मानेगा।
कुछ देर तो मैंने उसका विरोध करने की कोशिश की पर वो मुझे किस करता रहा। अब मैंने भी उसको चूमना सुरू कर दिया, कहीं ना कहीं मेरा जिस्म भी अपनी प्यास बुझाना चाहता था। अब वो मेरी छाती पर छा गया और उसने दोनों कबूतरों को ब्रा से निकाल लिया और चूमने और दबाने लगा। वो पागलों की तरह मेरे दूध चाटने और चूमने लगा जैसे उस पर शैतान सवार हो! और अपने लबों से मेरे निप्पल दबाने और चूसने लगा। वो एक निप्पल को मुँह से चूसता और फिर जल्दी से दूसरे निप्पल को चूसता और खींचता।
वो मेरे दूधों को अपने हाथों से दबाने में कोई कसर नहीं रहने दे रहा था।
इस तरह कुछ देर में मैं गर्म होने से ढीली पड़ गई। कुछ देर बाद उसने मेरे हाथ छोड़ दिए और अपने हाथ से मेरे दूध दबाते हुए चूसने लगा। फिर मैंने अपने आप उसके मुँह को अपने दूध पर दबा दिया और उससे कहा- और जम के चूस!
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं ऐसा बोल रही हूँ।
फिर उसने कुछ देर बाद मेरे दूध छोड़ दिए और मुझे किस करने लगा और मैं भी उसके बोसे लेने लगी। आज मेरी सेक्स की प्यास मुझसे ये सब करवा रही थी।
उसको चूमते हुए मैंने उसके लंड को उसकी जीन्स के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड जानदार और मोटा मालूम पड़ रहा था।
फिर प्रथम खड़ा हुआ और मैं उसकी शर्ट उतारने लगी, प्रथम ने इस बीच अपनी जीन्स उतार दी। मैंने देखा उसका लंड अंडरवीयर में पूरा तना हुआ था और बाहर निकलने को बेताब था। तो मैंने बेसबरी से उसका अंडरवीयर नीचे सरका दिया।
ऐसा करते ही उसका लंड उछल कर बाहर आ गया। उसका लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था जिसको देख कर मुझे उसको चूसने का मन हुआ तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर बेड के साइड में बैठ गई। मैंने उसकी चमड़ी को पीछे किया और उसका गुलाबी सुपारा चमकने लगा। उसका सुपारा बड़ा और खूबसूरत था स्ट्राबेरी जैसे चूसने के लिए ही बना हो!
मैं उसके सुपारे को हाथ से सहलाने लगी तो प्रथम बोला- मौसी, जल्दी चूसिए!
मैंने उससे कहा- तुझे बहुत जल्दी है ना?
और उसके सुपारे में अपने नाखून गड़ा दिए। वो आ…अहह…. करके चिल्लाया तो मैंने उसका सुपारा अपने मुँह में रख लिया और चूसने लगी।
इतना कोमल और मज़बूत लंड आज मुझे सालों बाद मिला था तो मैं उसको चूसती रही।
प्रथम आँखें बन्द करके आहह… कर रहा था, मैं उसके लटके हुए टट्टों को हाथ से सहलाने और दबाने लगी। फिर मैंने टट्टों को भी मुँह में लेकर खूब चूसा।
प्रथम ये सब सह नहीं पा रहा था और आ… आयई… ऊहह… कर रहा था।
अब उसका लंड तैयार हो गया था तो मैंने उससे कहा- चल लेट जा और मेरी फ़ुद्दी चाट!
वो लेट गया और मैं उसके मुँह पर जाकर टट्टी करने की हालत में बैठ गई। उसका चेहरा मेरी जांघों के बीच में दबा हुआ था और वो मेरी चूत को नीचे घुस कर चाट रहा था। मैं उसका लौड़ा चूसने लगी।
वो मेरी भगन के ऊपरी हिस्से को उंगली से रगड़ रहा था जिससे मुझे और मज़ा आने लगा। उसके चाटने से मेरे बदन में एक गज़ब की लहर उठी, मैं खुद को सम्भाल नहीं पाई और उसके लंड को मुँह में लिए हुए अपनी मंजिल पर पहुंच कर ढह गई। मगर ना मैंने प्रथम के लौड़े को मुंह से निकाला ना उसने मेरी फ़ुद्दी को छोड़ा।
उसके कुछ देर बाद मेरा पेशाब निकल गया पर प्रथम ने अपना मुँह नहीं हटाया और चूसता रहा। वो मुझसे बोला- वाओ.. मौसी! आप तो कमाल की हो!
देखते ही देखते मेरा पेशाब कुछ उसके हलक से उतर गया और कुछ ने उसके चेहरे की धुलाई कर दी।
फिर मैं उसके चेहरे से उठ कर बिस्तर पर बैठ गई।
प्रथम मुझसे पूछने लगा- क्या हुआ? आप हट क्यों गई?
पहले तो मैं कुछ नहीं बोली फ़िर मैंने प्रथम से कहा- सॉरी! मेरा पेशाब निकल गया।
उसने कहा- नहीं मौसी, यह तो बहुत मज़ेदार था। आपके जिस्म से निकली हर चीज अमृत है! आई लव यू मौसी!
इतना बोल कर वो बारी बारी मेरे दोनों निप्पल चूसने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
प्रथम मेरे पीछे गया और मेरे चूतड़ दबाते हुए बोला- वाह मौसी, आपके हिप्स कितने बड़े और सॉफ्ट हैं! मैं इनको चूम लूँ?
मैंने कहा- जो तुम चाहो वो करो!
वो बेड पर बैठ गया और मैं उसकी तरफ चूतड़ करके घोड़ी बन कर खड़ी हो गई। उसने मेरे कूल्हों को चूमा और फ़िर चाटने लगा।
वो मेरे चूतड़ों को पूरा दबा रहा था और उन पर थप्पड़ भी मार रहा था जिस से ठप्प्प… जैसी आवाज़ आ रही थी।
वो बहुत देर तक उनके साथ खेलता रहा। बीच बीच में वो मेरी जांघों को भी मसल रहा था।
फिर उसने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से खोला और मेरी गाण्ड के छेद पर अपनी जीभ रख दी और उसको भी चाटने लगा।
मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि कोई उस गाण्ड के छेद को चाट भी सकता है जहाँ से टट्टी निकलती है क्योंकि मैं दसियों मर्दों से चुद चुकी थी, कईयों से गान्ड मरवा चुकी थी, बहुत सारे लण्ड मैं अपने तीनों छेदों में ले चुकी थी, पर किसी ने मेरी गाण्ड को ऐसे नहीं चाटा था।
मैंने अपने बदन को ढील्ल छोड़ दिया जिससे मेरे चूतड़ और चौड़े हो गए और अब उसकी जीभ काफ़ी अन्दर तक जाने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, यह मेरे 17-18 साल के सेक्स जीवन में लाजवाब तजुर्बा था, मज़ा था।
अब मैं घूमी और उसके लंड के ऊपर अपनी चूत ले गई और उसको पकड़ कर अपनी क्लिट पर रगड़ने लगी। कुछ देर बाद मैं उसके लंड पर बैठ गई। जैसे ही उसका लंड मेरी फ़ुद्दी में घुसा, प्रथम ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मैं उसको चूमने लगी और अपने चूतड़ों को हिलाने लगी जिससे प्रथम आहह..माँ.. वाउ.. मौसी जोर से करो! बोलने लगा।
मेरी चूचियाँ उसकी छाती पर दबी हुई थी। कुछ देर तक ऐसा करने से मुझे मज़ा आया।
फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और उसके लंड पर कूदने लगी। मुझे सेक्स में लंड पर कूदा कूदी करने में बहुत मज़ा आता है।
प्रथम बोला- आअहह… मौसी जी, हाँ ऐसे ही करिए!
मेरे बड़े बड़े चुच्चे हवा में झूल रहे थे और प्रथम आँखें बन्द करके आहह… अह … कर रहा था।
फिर मैं थक गई तो उसके ऊपर लेट गई। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी फ़ुद्दी में नीचे से धक्के मारन चालू कर दिए। उसका लंड बहुत तेज़ी से अंदर-बाहर होने लगा, वो मेरी चूत में इतनी तेज़ लंड चला रहा था कि मेरे दोनों कूल्हे हिलने लगे।
वो बहुत अच्छी चुदाई कर रहा था मेरी जिससे मुझे पूरा मज़ा मिल रहा था।
कुछ देर तक ऐसे चोदने के बाद उसने मुझे घुमा दिया और मेरे ऊपर आ गया जिससे हम मिशनरी पोज़िशन में आ गये। वो मेरी चूत में धक्के मारता रहा, साथ साथ वो मेरे दूधों को भी चूस रहा था। मेरीइ चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी तो लण्ड फ़िसल फ़िसल कर चूत में अन्दर बाहर आ जा रहा था, उससे चुदाई में और भी मज़ा आने लगा।
मैं अपना एक हाथ अपनी भगनासा पर ले गई तो प्रथम के झटकों से मेरे दाने पर अपने आप ही रगड़ा लगने लगा, जिससे मुझे और ज़्यादा मज़ा आने लगा।
फिर मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर क्रॉस करके कस ली और कुछ देर तक हम ऐसा ही करते रहे। फ़िर प्रथम की स्पीड कम होने लगी और वो धीमे हो गया तो मैंने उसका लंड अपनी चूत से निकाला। उसके लंड पर काफ़ी झाग़ जैसा लगा था, मैंने उसे पकड़ कर खींचा, उसके लंड को अपने मुँह में रख लिया और चूसने लगी। उसका लंड काफ़ी गर्म हो गया था।
कुछ देर चूसने के बाद उसने मैंने उसका लंड छोड़ा तो उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैंने वैसा ही किया और उसने झुक कर मेरी चूत में पीछे से मुँह लगा दिया और मेरी गीली पानी छोड़ रही फ़ुद्दी को पीछे से चाटने लगा, मेरी चूत में जो भी रस था वो उसको चाट रहा था, उसकी जीभ मेरी चूत में गुदगुदी कर रही थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरे मुँह से हल्की आहह….उउफ..फफ्फ़…. करते रहो…. आहह.. की आवाज़ें निकल रही थी।
प्रथम मुझसे कह रहा था- आहह…. मौसी, आप कमाल की हो।
10 मिनट तक चाटने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत में बड़े आराम से डाल दिया और बड़े आराम से मेरे कूल्हों को हाथों से सहलाते हुए अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।
उसने लगातार एक जैसी स्पीड से काफ़ी देर धक्के लगाए जिससे मैं परम आनन्द की तरफ बढ़ने लगी और कुछ ही देर में मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया और मैं ज़ोर से आहह…. करते हुए ढीली हो गई।
पर उसने मेरी कमर पकड़े रखी और अब उसने ज़ोर-जोर से झटके मारने शुरु किए, उसका लंड मेरे पानी में फिसलने लगा जिससे पच…पच…की आवाज़ आने लगी।
मुझे बहुत सालों बाद इतना आनन्द मिला होगा। मैं चरमोत्कर्ष के नशे में डूब गई थी और एकदम ढीली पड़ गई पर प्रथम मेरी कमर को पकड़ के झटके मारता रहा..
पाँच मिनट बाद उसने मुझे पेट से कस कर पकड़ किया और आअहह… अम्म.. मौसी… चिल्लाते हुए उसके लंड की पिचकारी निकल पड़ी जिससे बहुत सारा वीर्य निकला और मेरी चूत उससे पूरी भर गई।
वो ऐसा करते ही मुझे लेकर बिस्तर पर गिर गया और मेरे बगल में लेट गया। हम दोनों की सांस बहुत तेज़ चल रही थी, उसने मुझसे कहा- थैंकयू मौसी जी! आज आपने मुझे बहुत मज़ा दिया। उसका लंड मेरी जाँघों में ही पड़ा रहा और छोटा हो गया।
मेरी फ़ुद्दी से उसका वीर्य बह बह कर मेरी जाँघ पर जमने लगा।
कुछ देर बाद मैं उठी और अपनी सफ़ाई करने वाशरूम चली गई।
जब मैं लौट कर आई तो प्रथम मेरे दोनों चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए बोला- कल सुबह मैंने वापस जाना है!
उसने दोबारा आने का वादा किया और मुझसे गले लग कर लिपट गया।
दोपहर को उसने मेरे साथ न्यूड डान्स किया, मैंने नंगे बदन ही उसके लिए खाना बनाया, खाने में मैंने नूडल बनाए थे तो प्रथम को शरारत सूझी, उसने खड़े होकर अपने हाथ से सहला कर अपना लौड़ा खड़ा किया और कुछ लम्बे लम्बे नूडल पने लण्ड पर लटका कर बोला- लो मौसी जी, मैंने खाना परोस दिया है, खा लो!
मैं भी उसकी शरारत का माकूल जवाब देते हुए उसकी नीचे फ़र्श पर अपना मुंह खोल कर लेट गई और बोली- हाँ बेटा, खिला दे!
वो धीरे धीरे नीचे हुआ जब तक नूडल मेरे होंठों को छूने लगे। मैंने अपने होंठों से खींच खींच कर सारे नूडल खा लिए।
फ़िर हम दोनों नंगे ही साथ साथ सो गए। फिर शाम को उसने अपने कपड़े पहने और यह कह कर अपने दोस्त के घर चला गया कि रात को वो मेरे साथ ही रुकेगा।
पर फिर उसके बाद हम रात को चुदाई नहीं कर पाए क्योंकि रात को मेरे खाविन्द आ गए थे।
सुबह को प्रथम बड़ा मायूस होकर मेरे घर से गया क्योंकि रात को चुदाई की इसकी हसरत हसरत ही रह गई।
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