सेक्स की कोई भाषा नहीं
दोस्तो, मेरा नाम रवि है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ।
पर फिलहाल काम के सिलसिले में मुंबई में रहता हूँ। मैं 22 साल का पतला दुबला सा लड़का हूँ, एक कम्पनी में काम करता हूँ और साथ की साथ अपनी डिग्री की पढ़ाई भी कर रहा हूँ।
जहाँ मैं रहता हूँ वो एक 4 मंज़िला इमारत है और मैं सबसे ऊपर छत पर एक बरसाती में अकेला ही रहता हूँ।, 25000 तनख्वाह है जिस में से मकान की किराया और बाकी सब खर्चे निकाल कर जो भी बचता है, बाकी घर भेज देता हूँ ताकि पिताजी की हाथ बंटा सकूँ।
मेरी देर से सोने की आदत है क्योंकि देर रात तक मैं पढ़ता हूँ।
जिस इमारत में रहता हूँ वहाँ बहुत से परिवार रहते हैं, चाल टाइप की इमारत है और इसके साथ भी बिल्कुल ऐसी ही इमारत है।
आते जाते बहुत सी औरतों और लड़कियों से आँखें चार होती हैं, पर मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ तो बहुत बार तो उनकी आँखों की भाषा समझ कर भी मैं अनदेखा कर देता था।
एक बार तो एक आंटी ने मुझे आँख मार दी, मतलब साफ था, पर मैं सर झुका कर ऊपर अपने कमरे में आ गया।
जब काम ज़्यादा दिमाग में चढ़ता तो मुट्ठ मार लेता, पर कभी किसी से सेटिंग नहीं कर पाया।
एक दो लड़कियों ने भी लाइन दी मगर मैंने चाह कर भी कदम आगे नहीं बढ़ाए।
इसी तरह ज़िंदगी चल रही थी।
एक बार रात के करीब 12 या साढ़े 12 बजे का समय होगा, मैं अपने कमरे में बैठ कर पढ़ रहा था।
जब बोरियत सी महसूस होने लगी तो मैं उठ कर बाहर छत पर आ गया।
मैं वैसे ही इधर उधर घूम रहा था कि पड़ोस वाली बिल्डिंग की छत पर बने कमरे में रोशनी देखी तो ध्यान उधर चला गया।
मैंने देखा कि उस कमरे में खिड़की के पास खड़ी एक औरत अपनी साड़ी उतार रही थी।
मैं उत्सुकतावश उधर ही देखने लगा।
पहले उसने साड़ी खोली, फिर ब्लाउज़, पेटीकोट और ब्रा भी उतार दिया।
मैं तो भौंचक्का रह गया।
तभी पीछे से एक मर्द आया वो पहले से ही बिल्कुल नंगा था, उसने औरत को पीछे से बाहों में भर लिया और उसके स्तन दबाने लगा।
औरत ने पीछे को अपनी बाहें उस मर्द के गर्दन में डाल दी और अपना मुँह ऊपर उठा दिया, दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
मेरी तो जैसे लाटरी लग गयी हो।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और सहलाने लगा।
दोनों मर्द और औरत बेहद काले थे मगर दोनों के जिस्म बहुत तगड़े थे, दोनों अच्छे खाये पिये लगते थे।
चूमा चाटी के बाद आदमी ने औरत की कमर में हाथ डाल कर उसको हवा में ही उल्टा घुमा दिया।
अब मर्द खड़ा था और औरत उल्टी होकर उसके बदन से चिपकी हुई थी।
मर्द ने औरत की चूत में अपना मुँह घुसा दिया और औरत ने भी मर्द का लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
दोनों ने खूब चूसाचासी की, उसके बाद मर्द ने औरत को बेड पर लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर लेट गया।
बेड खिड़की से काफी नीचे था सो उसके बाद मैं कुछ नहीं देख पाया, बस मुट्ठ मार के ही खुद को शांत किया।
उसके बाद मैं अक्सर इस बात का ख्याल रखता के वो दोनों फिर कब सेक्स करेंगे ताकि मैं देख सकूँ।
अब तो मैं थोड़ा दिलेर भी हो गया था, जब वो बेड पे लेट जाते तो मैं दीवार फांद के उनकी खिड़की के पास चला जाता और बड़े करीब से उनकी चुदाई देखता।
शायद दोनों की नई नई शादी हुई थी। जब वो सेक्स कर लेते तो अक्सर वो औरत बाहर छत पर बिल्कुल नंगी ही आ जाती और नाली पे बैठ के पेशाब करके जाती।
नाली मेरी दीवार के बिल्कुल पास थी सो मैं दीवार के साथ लग उसके पेशाब करने की आवाज़ सुनता और मन ही मन खुश होता।
धीरे धीरे अब तो मुझे भी उस काली कलूटी औरत से प्यार होने लगा था। मैं भी उसको वैसे ही चोदना चाहता था, जैसे उसका पति उसे चोदता था।
पर मैंने ये भी देखा था, के जितना टाईम उसका पति उसको चोदने में लगाता है, मेरा तो उस से आधे समय में पानी छूट जाता है।
मुझे बड़ी शर्म सी आई के मान लो अगर कभी इसे चोदने का मौका मिल गया तो मैं तो इस औरत को संतुष्ट नहीं कर पाऊँगा।
खैर रात को जब पड़ोसियों ने अपनी काम लीला शुरू की तो मैं उनकी खिड़की के साथ लगा उनको देख रहा था और मुट्ठ भी मार रहा था।
जब मेरा हो गया तो मैं अपनी छत पे आ गया। आज मैंने थोड़ी बेशर्मी दिखाने की सोची हुई थी।
जब उनकी काम लीला खत्म हुई तो वो औरत वैसे ही नंगी हालत में कमरे से बाहर आई और नाली पे बैठ के पेशाब करने लगी।
मैं सामने अपनी छत पे सैर कर रहा था।
बेशक उसने मुझे देखा पर अनदेखा कर दिया, उसे इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि मैं उसे बिल्कुल नंगी हालत में देख रहा हूँ।
अगले दिन संडे की छुट्टी थी।
मैं वैसे ही नाश्ता करने के लिए कमरे से बाहर निकला, तो वही काली सी औरत बाहर छत पे खड़ी थी, उसने मुझे पास बुलाया और कुछ अपनी ज़ुबान में कहा, मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि वो क्या बोल रही है।
न मुझे उसकी बात समझ में आई न मेरी बात वो समझ पाई।
पर इतना मुझे लगा के जैसे वो कह रही हो कि छुप छुप के क्यों देखते हो।
अब मैंने बेशर्मी का सहारा नहीं छोड़ा। जब भी वो अपने पति से सेक्स करके पेशाब करने आती तो मैं बड़े इत्मिनान से बिना खुद को छुपाए उसे देखता।
वो भी पूरी बेशर्मी से मेरे सामने ही मूतती और गांड मटकाती चल के जाती।
अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा था।
एक दिन जब वो दोनों सेक्स कर रहे थे तो मैं खिड़की के बिल्कुल सामने खड़ा था, अब मर्द की मेरी तरफ पीठ थी सो उसे तो पता नहीं चला पर उस औरत ने मुझे देख लिया।
वो चुद अपने पति से रही थी पर उसकी आँखें मुझ पर ही गड़ी थी।
जब वो चुद चुकी तो मैं वापिस नहीं आया बल्कि वहीं खड़ा रहा।
उस दिन मैंने मुट्ठ नहीं मारी, सिर्फ लण्ड को सहलाता रहा सो मेरा लण्ड अब भी तना हुआ था।
जब उसका मर्द उस से नीचे उतरा और सीधा हो कर लेट गया तो मैं खिड़की से थोड़ा पीछे हो गया। वो औरत उठी और उठ कर बाहर आई, आज मैं उसकी ही छत पर था।
जब वो कमरे से बाहर आई तो नाली पे जाने के बजाए मेरे पास आई।
मेरा लण्ड मैंने हाथ में पकड़ा हुआ था।
वो धीरे से कुछ फुसफुसाई और मुझे थोड़ा साइड में ले गई।
साइड में जाते ही वो नीचे बैठी और झट से मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैंने तो ऐसी कल्पना भी नहीं की थी मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उसके बदन को सहलाने लगा, उसके काले काले विशाल स्तनो से खेलने लगा।
दो मिनट नहीं लगे और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
आज मेरा पहली बार किसी औरत के साथ कामुक सम्बन्ध बना था।
वो पेशाब करके अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में आ गया।
अपने कमरे में आकर मैंने फिर से मुट्ठ मारी लेकिन अब आगे का रास्ता खुल चुका था।
दिन में मैंने अपने एक दोस्त से बात की जो अक्सर ऐसी वैसे औरतों के पास जाता रहता था, उसने मुझे 2 गोलियाँ दी और बोला- करने से घंटा दो घंटा पहले एक गोली खा लेना और फिर इसका असर देखना पूरे तीन दिन इसका असर रहता है, जब कहेगा तभी खड़ा कर देगी, इतनी जानदार गोली है है यह!
मैं जब घर आया तो शाम को ही मैंने एक गोली खा ली। मगर उस दिन रात को उन दोनों ने सेक्स नहीं किया, मैं कितनी देर छत पर टहलता रहा।
करीब सवा ग्यारह बजे वो औरत बाहर छत पे आई। उसने नाइटी पहन रखी थी।
मैं झट से दीवार के पास गया। वो दीवार फांद के मेरी तरफ आ गई और मैं उसे अपने कमरे में ले गया।
कमरे में घुसते ही उसने अपनी नाइटी खुद ही उतार के नीचे फेंक दी।
जब मैं दरवाजा बंद करके उसकी तरफ पलटा तो देखा कि वो तो बिल्कुल नंगी खड़ी है।
अब मुझे पता था कि उसको हिन्दी नहीं आती और मुझे उसकी भाषा नहीं आती।
मैंने पूछा- साली रांड, यह बता, तेरा घरवाला तेरी कस के चूत चोदता है तो फिर मेरे पास क्या माँ चुदवाने आई है?
उसने मेरी तरफ देखा और अपनी ही भाषा में कुछ कहा- [email protected]#$%^&*()(&^%$#@#$%^&*(*&^%$#”।
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने समझ कर लेना भी क्या था।
मैंने भी अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया।
वो मेरे पास आई और मैंने उसके काले काले मोटे मोटे होंठ अपने होंठों में पकड़ लिये और चूसने लगा, उसने भी मेरा लण्ड पकड़ा और सहलाने लगी।
उसके सहलाने से मेरा लण्ड तो एकदम कड़क हो गया, मैंने उसके मोटे मोटे काले काले चुच्चे भी चूसे।
उसके बाद वो खुद ही जाकर बेड पे लेट गई।
मैं भी उसके ऊपर जा कर लेट गया, और फिर से चूसा-चुसाई शुरू की।
उसने खुद ही अपनी टांगे चौड़ी करके मेरा लण्ड अपनी चूत पे सेट किया तो मैंने भी धक्का सा मार के अंदर को घुसा दिया।
बस फिर तो चल सो चल।
मैंने दोनों हाथों से उसके दोनों विशाल स्तन पकड़ लिए और उन्हे दबाते हुये उसे चोदने लगा।
वो भी नीचे से अपना पूरा ज़ोर लगा रही थी।
मैं यह देख कर हैरान था कि जो गोली मैंने खाई थी उसका तो असर ही बड़ा ज़बरदस्त था। न तो मैं झड़ रहा था और न ही मेरा लण्ड ढीला पड़ रहा था।
मेरे हर धक्के से उसके मुँह से हल्की सी आह निकल रही थी।
वो कराहती रही और मैं पेलता रहा।
फिर उसने मुझे हटाया और खुद ही घोड़ी बन गई।
मैं उसके पीछे गया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा तो उसने मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत से हटा कर गाण्ड पर रख लिया। मुझे तो इस एहसास से ही मज़ा आ गया कि चूत तो चोदी, साली गाण्ड भी खुद ही मरवाना चाहती है।
मैंने उसकी गाण्ड पर काफी सारा थूक लगाया और लण्ड घुसेड़ा तो वो तो बिलबिला उठी।
उसके मुँह से जैसा दर्द के मारे चीख निकल गई।
मगर मैं ठेलता रहा और सारा लण्ड उसकी गाण्ड में समा गया, मतलब कभी कभी वो गाण्ड मरवाती रही होगी, नहीं तो इतनी आसानी से कहाँ अंदर जाता है।
जब पूरा लण्ड अंदर घुस गया तो मैंने आगे पीछे करना शुरू किया, यह तो काम ही बड़ा मज़ेदार था।
एकदम से ड्राई और टाइट सुराख।
मेरे लण्ड को तो जैसे उसने जकड़ लिया हो। टाइट होने के वजह से चुदाई बड़े धीरे धीरे हो रही थी।
उसकी गाण्ड को चिकना करने के लिए मुझे बार बार थूकना पड़ रहा था, मगर चूत चुदाई से यह चुदाई ज़्यादा बढ़िया लगी मुझे।
उसके मुँह से निकलने वाली आवाज़ें उसे होने वाली तकलीफ को ज़ाहिर कर रही थी।
मैं भी सोच रहा था कि अगर उसे दर्द हो रहा है तो वो गाण्ड क्यों मरवा रही है।
खैर थोड़ी देर बाद वो खुद ही नीचे लेट गई, और कुछ बोली, मगर मैं समझ गया कि उसे दर्द हो रहा था।
जब वो सीधी हो कर लेटी तो मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और फिर से उसकी चूत चोदने लगा।
मगर यह तो बिरयानी खाने के बाद उबले चावल खाने जैसा था।
15-20 मिनट मैंने उसे चोदा, मगर अब मुझे मज़ा नहीं आ रहा था।
वैसे भी उसे चोदते हुए मुझे घंटे भर से ऊपर हो गया था और मैं भी अब झड़ना चाहता था। तो मैंने फिर से उसे गाण्ड में डालने की बात समझाने की कोशिश की।
थोड़ी सी मान मनौवल के बाद वो मान गई।
इस बार मैं नारियल का तेल उठा लाया। मैंने अपने लण्ड पे और उसकी गाण्ड पे ढेर सा तेल लगाया, और जब डाला तो पिचक से अंदर घुस गया।
बस फिर तो समझो, नज़ारा ही आ गया।
मैं उसे धड़ाधड़ चोद रहा था और वो भी अब ज़्यादा मज़े ले ले कर गाण्ड मरवा रही थी।
मैं थोड़ी थोड़ी देर बाद तेल टपका रहा था के चिकनाहट कम न हो।
करीब 5 मिनट जोरदार गाण्ड चुदाई चली और फिर मैं उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।
हम दोनों शांत हो कर लेटे रहे। हमारे कमरे की बत्ती जल रही थी। मैंने थोड़ी देर बाद फिर उसको सहलाया तो वो फिर से तैयार हो गई।
इस बार उसने ऊपर बैठ कर मुझे चोदा। करीब 2-3 घंटे हम ऐसे ही एक दूसरे को चोदते रहे।
सुबह साढ़े तीन बजे वो वापिस अपने कमरे में चली गई।
उसके बाद मैं उसको अब तक कोई 10-12 बार चोद चुका हूँ और आज तक न मैं उसकी भाषा समझता हूँ न वो मेरी।
पर सेक्स की भाषा हम दोनों समझते है, वो क्यों मुझ से चुदी मैं नहीं जानता, पर उसके मिलने के बाद अब मेरी औरतों से शर्माने की आदत खत्म हो चुकी है।
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