अब करो !

अब करो !

प्रेषक : निखिल

दोस्तो, मेरे नाम निखिल है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। अन्तर्वासना.कॉम पर यह मेरी पहली कहानी है। यह मेरे जीवन अभी तक का पहला अनुभव है।

यह बात उस वक़्त की है जब मैं 18 साल का था, मेरे गली में एक नई भाभी रहने आई थी, उनकी उम्र 26 साल थी। वो बहुत ही खूबसूरत थी, उनकी बदनाकृति 30-28-30 की है।

मेरे पापा की परचून की दुकान है, हमारा घर दुकान के ऊपर ही है। तो वो हमारी दुकान पर सामान लेने आया करती थी। वो जब भी हमारी दुकान पर आती तो मैं पापा को किसी न किसी बहाने ऊपर भेज देता था और उनको सामान खुद ही देता था। सामान देते वक़्त उनका हाथ छू लेता था। वो प्रतिक्रिया में हंस देती थी। इस तरह हम दोनों में अच्छी जान-पहचान हो गई थी और इसी तरह से कई दिन बीत गये।

एक दिन वो मेरे दुकान पर सामान लेने आई और मुझसे कहा कि सामान उनके घर पहुँचा देना।

मैं तो कई दिनों से ऐसे ही मौके की तलाश में था। जाते वक़्त उन्होंने मुझसे कहा- सामान शाम को 5 बजे घर पहुँचाना।

उसके बाद मैं शाम होने की इंतजार करने लगा और जैसे ही चार बजे, मैं उनके घर पहुँच गया। मैंने दरवाजे की घंटी बजाई। भाभी ने दरवाजा जैसे ही खोला, मैं उनको देखता ही रह गया। उस वक़्त उन्होंने तंग सलवार-कुर्ता पहना था जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

उन्होंने मेरे नजर को पहचान लिया और मुझे अंदर आने को कहा। उनको देखकर मेरा लण्ड एकदम खड़ा हो चुका था जो पैंट में से बाहर आने को बेताब था। भाभी बार मेरे पैंट पर ही देख रही थी और मैं उनकी चूचियाँ देख रहा था। उन्होंने मेरे इस क्रिया को भांप लिया और मुझे बैठने को कहा।

मैंने बहाना बनाया कि मुझे घर पर कुछ काम है। लेकिन उनके बार बार कहने पर मैं वहीं पर रुक गया और सोफे पर बैठ गया। उसके बाद भाभी अंदर गई और मेरे लिए पानी लाई।

मैंने कहा कि मुझे देर हो रही है तो उन्होंने कहा- चाय पी कर जाना !

और भाभी चाय बनाने चली गई।

मैं वहीं पर बैठ गया और रिमोट उठा कर टी.वी चला दिया। टी.वी पर स्टार माक्स पर एक इंग्लिश मूवी आ रही थी उसमें हीरो हिरोइन को चूम रहा था। तभी भाभी आ गई, उनको देख कर मैंने एकदम टी.वी बन्द कर दिया लेकिन शायद उन्होंने यह दृश्य देख लिया था। वो मेरे पास बैठ गई और मुझे चाय दी।

जैसे ही मैंने हाथ आगे किया चाय लेने के लिये तो अचानक चाय मेरी पैंट पर पॉकेट के पास गिर गई और मुझे जलन होने लगी। तभी भाभी ने एकदम से पानी का गिलास उठ कर मेरी पैन्ट पर डाल दिया और मेरी जांघ मसलने लगी और और साथ साथ मेरे लण्ड को भी छू रही थी जिसके कारण मेरे लण्ड एकदम खड़ा हो गया। मैंने भी नाटक किया और कहा- भाभी, आप क्या कर रही हो? यह गलत है।

भाभी ने कहा- मैं कई दिनों से प्यासी हूँ, तुम्हारे भैया काम के लिए बाहर रहते हैं और कई कई दिनों में घर आते हैं। मुझे मना मत करो और मेरी प्यास बुझा दो।

और मेरे सामने रोने लगी। मैं तो कब से इसी की इंतजार में था, मैं सोफे से उठा और उनका चेहरा हाथ में लेकर उनके आँसू पौंछने लगा और उनके माथे पर चूम लिया।

भाभी ने भी देर न की और मुझे चूमने लगी जिससे मैं बहुत गर्म हो गया। एकदम मैंने भाभी को पीछे किया और उनके मम्मों को दबाने लगा, भाभी सिसकारने लगी और मुझ से एकदम अगल होकर कहा- यहाँ नहीं ! अंदर चल कर करते हैं !

और हम दोनों उनके बेडरूम में गये। वहाँ आकर मैंने भाभी की सलवार उतार दी, उनका कमीज भी उतार दिया और उनके मम्मों को दबाने लगा। भाभी भी मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को दबाने लगी।

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया।

दोस्तो, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत से पानी निकल रहा था। मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाल दी जिससे उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गई।

अब उन्होंने मुझसे कहा- मुझे अपना लण्ड चूसने दो !

और उन्होंने मेरे पैंट-शर्ट उतार दी, मेरे अन्डरवीयर को भी उतार दिया। मेरा लण्ड तीन इंच मोटा, सात इंच लम्बा है। उसको देख कर भाभी एकदम खुश हो गई और मेरे लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।

मैंने भी कहा- मैं भी आपकी चूत को चाटना चाहता हूँ।

और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गये। वो लण्ड को चाट रही थी और मैं उनकी चूत चाट रहा था।

कुछ ही देर मे उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और उसके कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया। काफ़ी देर हम दोनों उसी अवस्था में लेटे रहे।

उसके बाद भाभी ने कहा- अब और नहीं सह सकती, मेरी प्यास बुझा !

मैंने कहा- मेरा लण्ड तो शांत हो गया है।

इस पर उन्होंने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया।

अब मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और उनके घुटने ऊपर करके अपना लण्ड उनकी चूत पर रख दिया जिससे भाभी एकदम मचल उठी और कहने लगी- अब देर मत कर और अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दे !

मैंने भी इस देर न करते हुए लण्ड उनकी चूत में सरका दिया और एक ही झटके में अपना आधा लण्ड उनकी चूत में उतार दिया जिसके कारण भाभी की चीख निकल गई।

मैंने एकदम से उनके मुँह पर हाथ रख दिया और उनके मम्मों को दबाने लगा उससे उनको थोड़ा आराम मिला। और तभी मैंने दूसरे झटके में अपना पूरा लण्ड उनकी चूत में उतार दिया। इस बार उनकी चूत में से थोड़ा खून भी निकला और भाभी के आँसू निकलने लगे पर भाभी ने बिलकुल भी आवाज़ नहीं की, बस थोड़ा रुकने को कहा।

मैं वैसे ही उनके ऊपर लेट गया और उनके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा, कुछ देर बाद जब भाभी सामान्य हुई तो उन्होंने कहा- अब करो !

और मैंने झटके लगाने शुरु कर दिए। इस बार भाभी और तेज तेज सिसकारियाँ लेने लगी। इस बार हमारी चुदाई पूरे बीस मिनट चली। इस दौरान भाभी तीन बार झड़ चुकी थी और तभी भाभी का शरीर ऐंठने लगा और वो एक तेज चीख के साथ झड़ने लगी। कुछ ही पल में मैं भी करीब पहुँच गया और उनकी चूत में झड़ गया और उनके ऊपर निढाल होकर लेट गया। करीब दस मिनट बाद हम दोनों उठे और एक दूसरे को चूमा।

मैं अपने कपड़े पहन कर भाभी को चूम कर घर चला आया।

दोस्तो, मुझे मेल करें और बताएँ कि मेरी कहानी कैसी लगी।

मैं अगली कहानी में आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने भाभी की गांड मारी।

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