परजाई जी की चुदाई – Sex Stories
मेरा नाम शमशेर हैं और मैं पंजाब का रहने वाला हूँ. यह कहानी मेरी और मेरे दोस्त की बीवी यानी मेरी परजाई प्रिती की हैं. प्रिती मेरे दोस्त सूरी की बीवी हैं और वो हर एंगल से एक परफेक्ट माल है. उसके बूब्स तक़रीबन 34” के हैं और उसकी कमर किसी का भी दिल डोलाने के लिए सशक्त हैं. प्रिती अपने हसबंड सूरी के साथ ही बिजनेस का काम देखती हैं और उसी सिलसिले में मेरी और उसकी काफी बातचीत होती रहती हैं. लेकिन उस शाम की बात कुछ और थी. उस शाम को मुझे पहली बार पता चला की यह प्रिती भाभी कितनी चुदासी हैं.
दरअसल प्रिती का एक एसएमएस गलती से मेरे पास आ गया था. पता नहीं उसने किसे भेजा था लेकिन गलती से वो मुझे मिला. उसने मेसेज में लिखा था, ““डार्लिंग, आज सूरी घर ही होंगा, आज नहीं मिल पाउंगी. कल होटल पे ही मिलती हूँ.”” अरे बाप रे, क्या प्रिती भाभी किसी से चुदने के लिए जाती थी. अगर ऐसा नहीं होता तो वो उसे डार्लिंग क्यूँ कहती, और इस बात को सूरी की हाजरी से क्यूँ जोडती. मैंने थोड़ी देर इसके बारे में सोचा और समझ गया की परजाई जी लंड की फिराक में हैं. तभी प्रिती भाभी के सेक्सी जिस्म की आकृति मेरे दिमाग में आई. मैं जैसे परजाई को खुली आँखों से नंगी देख रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे लगा की प्रिती परजाई को चोदने का इस से अच्छा मौका मिल नहीं सकता. मैं दो मिनिट सोचा और अपने फोन से उनका नंबर डायल किया.
मैं: हल्लो परजाई जी, शमशेर बोल रहा हूँ.
परजाई: हाँ कहें, शमशेर भाई.
मैं: कुछ देर पहले आप का मेसेज आया था. पर वो अधूरा था.
परजाई: लेकिन मैंने तो आप को कोई मेसेज नहीं भेजा आज.
मैं: वो होटल में मिलने वाला मेसेज … याद आया? आपने उसमे मिलने का टाइम नहीं लिखा.
परजाई: क्या? ओह..?
मैं: हां जी, मैं बस टाइम जानना चाहता हूं.
फोन पे एक मिनिट सन्नाटा छा गया. परजाई बोलती भी क्या. लेकिन फिर उसकी आवाज आई.
परजाई: अरे, वो तो मेरी सिस्टर के लिए था.
मैं: कोई नहीं जी, मैं सूरी को फॉरवर्ड कर देता हूँ उसे.
परजाई: अरे नहीं, उन्हें क्यूँ फॉरवर्ड करेंगे.
मैं: जी, हो सकता है कि वो भी होटल में अपनी साली से मिलना चाहे.
परजाई: ओह, लगता है आपको कुछ ग़लतफ़हमी हो गई है.
मैं: अब गलत हो या सही पर फहमी तो ये है कि आप सब को दे रही हैं मेरे सिवाय. मैंने क्या गुनाह किया हैं, परजाई जी? मैं भी आपका कद्रदान हूँ.
वो कुछ नहीं बोली. फिर मैंने अपनी बात जारी रखी: “आप मुझे शाम को केफे मोगाम्बो पे मिलें, वही बात करेंगे. सूरी को बोल देना की प्राइवेट बात करनी हैं.”
प्रिती: अरे भाई साहब, आप समझें तो ….
मैं: वहीँ समझा देना जी.
केफे मोगाम्बो एरिया का एक महंगा कोफ़ी शॉप हैं. मैं अंदर बैठा और काउंटर पे बोला की प्रिती जी आये तो उसे भेज दे, बहार कोलेज के कपल्स बैठते हैं इसलिए ठीक से बात होना मुश्किल हैं. मैंने एक कोल्ड कोफ़ी ऑर्डर की और उसका इन्तजार करने लगा. कुछ 10 मिनिट के बाद वो आई अपने आसमानी रंग के पंजाबी सूट में. मैं भूखे कुत्ते की तरह उसकी बड़ी बड़ी चुंचियां देख रहा था. उसने सामने की चेयर को खिंचा और अपने चूतडों के गोल मटके उस पर रख दिये. उसने मेरी और देखा. मैं अभी भी परजाई जी की चूंचियों की गली में ही उलझा हुआ था.
उसने बैठ के सीधे पूछा: “यह सब क्या है, भाई साहब?”
मैं: आप ही कहिये कि क्या है यह सब … या सूरी भाई को ही बताएंगी? कौन हैं वो?
सूरी का नाम लेते ही परजाई की गांड में पसीना छुट गया. उसने मेरे हाथ पे हाथ रखा और धीमे से बोली: “अरे, उन्हें क्यूँ बीच में ला रहे हैं? प्लीज़…..जाने दीजिये, आज मैं यह सब निपटाने वाली हूं.”
मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा: “उस से पहले मुझे निपटा दीजिए ना.”
परजाई को जैसे सांप सूंघ गया. उसने मेरे सामने रोने वाली सूरत बनाई और बोली: “नहीं नहीं, ऐसा ना कहिए भाई साहब. मुझे यह मज़बूरी में करना पड़ रहा है … वो मेरा कोलेज का फ्रेंड है.”
मैं: “परजाई जी, वो आपका कोलेज का फ्रेंड है और मैं सूरी का. आप अपने फ्रेंड को निपटा रही हैं तो सूरी के फ्रेंड को भी निपटा दीजिए ना.
अब वो थोड़ी ढीली पड़ी. उसने आगे पीछे देख के कहा: “आप कहें तो मुंह से निपटा दूंगी. लेकिन प्लीज़, उस से आगे नहीं.”
मैंने सोचा कि ज्यादा लालच करने से काम बिगड भी सकता है. चूत न मिले तो क्या हुआ, परजाई जी का मुंह भी कम मज़ेदार नहीं होगा. मैंने बिल चुकाया और कहा: ठीक है परजाई जी, चलिए.
उसकी गाडी को वही छोड़ के हम दोनों मेरी गाडी में आ बैठे. गाड़ी को मैंने सीधे हमारी मीटिंग जहाँ होती थी उस होटल की और ले लिया. रस्ते में मैं कभी कभी उसकी जांघ पर भी हाथ फेरता रहा. होटल में हमारा कमरा फिक्सड था. परजाई ने ही रिसेप्शन वाली लड़की से चाबी ली और उसे कहा: “मेरे हसबंड आये तो उन्हें कहना की हम लोग उपर ही हैं. वो दसेक मिनिट में आ जायेंगे.”
मैंने सोचा कितनी चालबाज है परजाई जी. रिसेप्शन वाली को भी डाउट नहीं होने दिया. कमरे में घुसते ही मैंने पीछे से परजाई की गांड पे अपना लंड रख के घिसा. उसने पलट के मेरी और देखा और बोली: “अरे, कोई देख लेंगा…!”
जब तक उन्होंने दरवाजा बंद किया, मैंने अपनी पेंट उतार दी और खड़े लंड को ले के कुर्सी पे जा बैठा. इस हॉट पंजाबी भाभी ने मेरे लंड को देखा और वो उसकी लम्बाई देख के हैरान हो गई. मेरा हथियार आठ इंच लम्बा हैं. परजाई मेरे सामने अपने घुटनों पे आ बैठी और मेरे लंड को सहलाने लगी: “आप का तो काफी लंबा हैं … और मोटा भी!”
“मैंने उसके मुहं को लंड की और खींचते हुए कहा: अब चूसना शुरू कीजिये. बातों में क्यों टाइम वेस्ट करें.”
उसने अपना मुहं खोला और मैंने देखा की उसकी गुलाबी लिपस्टिक मेरे लौड़े के ऊपर आ चिपकी. उसने मुहं में आधा लंड लिया और उसके उपर अपनी जबान चलाने लगी. मैं उसके सिर को अपनी तरफ खींचा और बाकी के आधे लंड को अंदर डालने की कोशिश की. लेकिन किसी भी सूरत में वो पूरा तो नहीं ले सकती थी. आधा उसके मुहं में था और बाकी को परजाई अपने हाथ से मजे दे रही थी. परजाई लंड चूसने में एक्सपर्ट निकली. वोह चूसने के साथ अपनी जीभ मेरे सुपाडे के चारों तरफ घुमा रही थी. मुझे लग रहा था कि मेरा लंड परजाई के मुंह में है और मैं जन्नत में हूं. मैंने अब उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ा और अपने लंड से उसके मुंह में धक्के लगाने लगा.
जब मेरी रफ़्तार तेज हुई तो परजाई ने लौड़े को मुहं से निकाल कर कहा: “भाई साहब, पानी मुंह में मत निकालना!”
मैंने कहा: ठीक है. आप कहती हैं तो गांड में निकाल देता हूं.”
परजाई: नहीं नहीं, उस में मैंने कभी नहीं करवाया!
मैं: परजाई जी, फिर कौन सी जगह बची है? चूत आप दे नहीं रही हैं और मुंह में निकालने नहीं देंगी तो फिर गांड में ही निकालूंगा ना.
परजाई: प्लीज़, … मैं हाथ से निकल देती हूं!
मैं: बाहर नहीं, परजाई जी. निकलेगा तो अंदर ही, आप चाहे मुंह में लो या चूत में या गांड में.
परजाई: ठीक है, मैं चूत में ले लूंगी!
मैं: यह हुई ना बात. अब आप जल्दी से कपडे उतार दीजिए.
परजाई ने धीरे से अपने सूट को खोलना चालू किया. पहले उसने ऊपर का ड्रेस उतारा. बाप रे, उनके चुंचे जैसे ब्रा से लड़ रहे थे कि हमें इस कैद से निकालो. भाभी ने फिर शरमाते हुए अपनी सलवार उतारी. काली पेंटी के पीछे उसकी गोरी चूत छिपी हुई थी. वो अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी. मैंने नजदीक जा के उसके कसे हुए बूब्स को आजाद किया. परजाई ने अपनी पेंटी उतारी और बोली: भाई साहब, “जल्दी निकाल दो. मुझे जाना भी हैं.”
मैं: “पहले मैं यह बड़े बड़े चुंचे चोदूंगा और फिर आपकी चूत में लंड को खाली करूंगा.”
परजाई मेरे सामने बैठ गई और मैंने अपने लंड को उसके चुंचो के बीच में रख दिया. परजाई ने अपने दोनों चुंचो को साइड से दबा कर लंड को बीच में जकड़ लिया. मैंने उसके चूंचियों के बीचोंबीच थूक कर उन्हें चिकना किया और अपने लौड़े को आगे पीछे करने लगा. परजाई ने चूंचियों को और कस के दबा लिया. मैंने कोई पांच मिनिट तक उसके मम्मो को चोदने का मज़ा लिया. फिर परजाई मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बिस्तर की तरफ ले गई. बेड पर लेट कर उसने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत पर जमाया और मुझे इशारा किया. मै आगे झुका – एक झटका और आधा लंड चूत के अंदर! परजाई ने आह भरी और अपनी बाहें फैला कर मुझे गले से लगा लिया.
परजाई को बाँहों में भरे हुए मैंने एक झटका और दिया. अब की बार लंड जैसे समंदर के तल में गोता लगा आया. मुझे परजाई की चूत की गरमी अपने लंड के ऊपर महसूस हो रही थी. उसने अपनी चूत को टाईट करने के लिए शायद मसल्स खींचे थे. अब मैंने धीरे धीरे लंड को चूत में आगे पीछे करना चालू कर दिया. बड़े लंड से चुदाई करवाने में औरत को भी मजा आता हैं. परजाई के मुहं से आह आह ओह ओह की आवाजें निकलने लगी. वो मुझे कस के अपनी बाहों में भरे हुए थी. मैंने चुदाई की स्पीड बढाई और परजाई को कस के पेलने लगा. मेरे झटकों से उस का पूरा जिस्म हिल रहा था. परजाई ने मुझे और जोर से कस लिया और बोली: भाई साहब, बड़ा मस्त लौड़ा हैं आप का. काश आप मुझे पहले मिलें होते!
मैंने उसको चोदते हुए कहा: “पहले मिला होता तो आप मेरी बीवी होतीं और आज सूरी आपको चोद रहा होता!
परजाई: नहीं जी, जिसे आप जैसा हस्बैंड मिल जाये वो किसी और के पास क्यों जायेगी?
मैं: परजाई जी, मैं आपका हस्बैंड न सही पर आपकी चूत की सेवा करने के लिए हमेशा तैयार हूँ.
परजाई अब चूतड़ उठा-उठा कर चुदवा रही थी और मेरे धक्के भी पुरजोर हो चले थे. ऐसे ही चुदाई करते हुए पांच मिनिट बीत गये. मैंने लंड को चूत से निकाला और कहा: “परजाई जी, अब थोडा कुत्ता-कुत्ती स्टाइल में चुदाई हो जाये!
परजाई पलट कर कुत्ती बन गई. मैंने उसके चूतडों को अपने हाथों से फैलाया. दो-दो दिलकश छेद मेरे सामने थे. एक हाथ को फ्री कर के मैंने लंड को निशाने पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा. लंड चूत में घुसते ही परजाई की आह निकल गई पर जल्दी ही उसके चूतड़ आगे पीछे होने लगी. परजाई की चुदाई अब कुतिया वाली स्टाइल में हो रही थी. वो अपनी चूत को लंड से लड़ा रही थी और मैं भी अपने लंड से उसकी चूत का सामना कर रहा था. आह आह ओह ओह की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं. कोई 10 मिनट बाद मुझे लगा कि अब होने वाला हैं.
मैं: परजाई जी, तैयार हो जाओ. मैं झड़ने वाला हूं.
परजाई: निकाल दो शमशेर भाई, मैं भी झड़ने वाली हूं.
मैं अंधाधुंध धक्के मारने लगा और फिर मेरे लंड ने चूत की सिंचाई कर दी. जब पानी निकलना बंद हुआ तो परजाई ने मेरी ओर देख के कहा: मज़ा आ गया, शमशेर भाई. आगे से आप मेरे मैसेज का इंतज़ार ना करें. जब मन करे मुझे यहाँ ले आया करें.
मैं: और आपके उस फ्रेंड का क्या होगा जिसे आप मैसेज भेजना चाहती थी?
परजाई: मेरा ऐसा कोई फ्रेंड नहीं है. और मैसेज आपके पास गलती से नहीं पहुंचा था.
रिसेप्शन पर फिर से परजाई ने उस लड़की को चूतिया बनाया. चाबी देते हुए उसने कहा कि मेरे हसबैंड को अचानक कुछ काम आ गया इसलिए मीटिंग केंसल हो गई है. उस दिन के बाद तो जैसे मुझे परजाई की चुदाई का लाइसेंस मिल गया है. मीटिंग के बहाने कभी भी मैं परजाई को चोद लेता हूँ. कभी-कभी तो मैं उसकी गांड भी बजा देता हूं.
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