चूत एक पहेली -58 – Antarvasna
अब तक आपने पढ़ा..
अनुराधा- अच्छा अच्छा.. जाने दो.. आज मैं अपनी सहेली के यहाँ जा रही हूँ। वहाँ उन्होंने हवन रखवाया है.. तो रात को देर तक चलेगा। अभी मैं निकल जाऊँगी.. तो कल सुबह ही वापस आऊँगी। तब तक गुड्डी का ख्याल रखना और हाँ.. ऐसा कोई काम ना करना.. जिससे तुम्हारे बड़े पापा नाराज़ हो जाएँ.. बाहर जाना मगर ‘रात’ को जल्दी आ जाना.. समझ गए..
अनुराधा ने ‘रात’ पर कुछ ज़्यादा ज़ोर देकर कहा था.. क्योंकि वो जानती थी अक्सर ये रात को देर से आते हैं और आज घर में कोई नहीं रहेगा.. तो इनको घूमने का मौका मिल जाएगा.. इसलिए उसने ‘रात’ पर इतना ज़ोर दिया।
अब आगे..
रॉनी- अरे आप बेफिक्र रहो.. हम बाहर जाएँगे ही नहीं.. तो ऐसा कुछ होगा भी नहीं.. वैसे पुनीत और गुड्डी कहाँ हैं। अब तक उठे नहीं क्या?
अनुराधा- अरे कहाँ उठे हैं.. गुड्डी के कमरे का एसी कल वो ले गया था.. वापस लाया नहीं.. तो बेचारी को पुनीत के कमरे में सोना पड़ा। अब देखो कितना वक्त हो गया.. दोनों घोड़े बेच कर सोए हुए हैं।
रॉनी- आपने जगाया नहीं क्या उनको?
अनुराधा- अब जा ही रही थी कि तुम आ गए और मैं तुमसे बातें करने यहाँ रुक गई।
रॉनी- अच्छा मैं उठा देता हूँ.. आप रहने दो।
अनुराधा- हाँ.. ये सही रहेगा। तब तक मैं दूसरे काम देख लेती हूँ।
रॉनी सीधा ऊपर गया और कमरे पर ज़ोर से दो बार नॉक की।
अन्दर का नजारा तो आपको पता ही है, दोनों रात को लंबी चुदाई करके नंगे ही चिपक कर सो गए थे। रॉनी के दरवाजा पीटने से पायल की आँख खुल गई..
उस वक़्त पुनीत लगभग पूरा उसके चिपका हुआ था, उसका हाथ पायल के मम्मों पर और टाँगें उसकी जाँघों से लिपटी हुई थीं।
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पायल- भाई.. भाई.. उठो.. सुबह हो गई देखो बाहर रॉनी आवाज़ दे रहा है।
पुनीत- उनहह.. सोने दो ना यार.. कितनी अच्छी नींद आ रही है.. जाओ तुम जाकर दरवाजा खोल दो..
पायल- ओ भाई.. हम किस हालत में हैं ये तो देखो पहले..
पायल की बात सुनकर पुनीत को जैसे झटका सा लगा.. वो फ़ौरन उठ बैठा- ओह्ह शिट.. हम ऐसे ही सो गए.. त..त..तुम ऐसा करो.. ये चादर अपने ऊपर डाल कर सो जाओ.. मैं रॉनी को देखता हूँ.. ओके..!
पायल- ओके.. मगर आप कपड़े पहन कर जाना.. कहीं ऐसे ही दरवाजा मत खोल देना।
पुनीत थोड़ा अजीब सी नजरों से पायल को देखता है। फिर जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगता है। साथ ही साथ वो रॉनी को आवाज़ भी देता हैं दो मिनट सबर तो कर.. सारी नींद खराब कर दी.. आ रहा हूँ ना..
पायल को पुनीत की इस हरकत पर बहुत प्यार आया.. वो मुस्कुराती हुई चादर लेकर सो गई। पुनीत ने पायल की नाईटी को देखा.. तो जल्दी से चादर उठा कर अन्दर ही छुपा दिया। उसके बाद दरवाजा खोला तो रॉनी सीधा अन्दर आ गया।
पुनीत- अरे अरे रुक तो.. कहाँ घुसा आ रहा है.. सुबह-सुबह सारी नींद की ऐसी तैसी कर दी।
रॉनी- अरे भाई सुबह कहाँ.. वक्त देखो पहले.. और ये गुड्डी भी देखो.. कैसे घोड़े बेच कर सो रही है। मैंने कितनी ज़ोर से दरवाजा पीटा.. तब भी नहीं उठी। अब मुझे ही इसे उठाना पड़ेगा।
रॉनी जब पायल की तरफ़ जाने लगा पुनीत के पैरों तले ज़मीन निकल गई। उधर पायल भी डर गई.. उसको पता था रॉनी चादर को पकड़ कर खींचने वाला है।
पुनीत- अरे रॉनी क्यों उसकी नींद खराब कर रहा है। रात को बेचारी की तबियत खराब थी। बड़ी मुश्किल से सोई थी। अब उसको उठा मत.. सोने दे..
रॉनी- अरे क्या हुआ हमारी पायल को, यार डॉक्टर के पास ले जाएँ?
पुनीत- अरे अब सोने दे.. जब उठ जाएगी तब दिखा आएँगे.. चल अब तू यहाँ से निकल.. मैं रेडी होकर नीचे आता हूँ। यहाँ बातें करेंगे तो पायल की नींद खराब होगी।
रॉनी- हाँ.. ये ठीक कहा आपने.. अच्छा मैं नीचे जाता हूँ.. जल्दी रेडी होकर आप भी आ जाओ।
रॉनी के जाने के बाद दोनों की जान में जान आई, पायल ने चादर से मुँह बाहर निकाला और मुस्कुराती हुई पुनीत को देखने लगी।
पुनीत- ऐसे क्या देख रही हो.. अब उठो जल्दी से फ्रेश हो जाओ, उसका कुछ पता नहीं.. दोबारा भी आ सकता है।
पायल- मैंने कुछ नहीं पहना है.. आपके सामने कैसे उठ जाऊँ.. पहले आप फ्रेश हो जाओ, उसके बाद मेरे कमरे से मेरे कपड़े लाकर दो.. तब मैं उठूँगी.. समझे..
पुनीत- ओ हो.. अब कैसी शर्म.. रात को तो जलवे दिखा रही थी.. अब क्या हो गया.. जो मेरे सामने नंगी आने में शर्म आ रही है।
पायल- चुप करो भाई… आप कुछ भी बोल देते हो! रात की बात और थी.. वो एक नशा था.. अब उतर गया..
पुनीत- तुमने कौन सी ब्राण्डी पी हुई थी जो नशे में थी.. अब वो नशा उतर गया?
पायल- ओह.. अब ज़िद मत करो.. जाओ आप पहले फ्रेश हो जाओ और वैसे भी आपने रॉनी को कहा है कि मेरी तबियत ठीक नहीं है… तो मैं आराम से बाद में फ्रेश हो जाऊँगी। वैसे भी सच में मेरा सारा जिस्म दर्द कर रहा है.. मुझे हल्का सा बुखार भी है..
पुनीत- अरे ऐसा होता है.. पहली बार चुदी हो ना.. अब नास्ता करने के बाद में दवा दिलवा दूँगा.. सब ठीक हो जाएगा। ओके… मैं फ्रेश हो जाता हूँ।
पुनीत के जाने के बाद पायल ने नाईटी को देखा तो मुस्कुराते हुए उसे चूम लिया। उसके बाद नाईटी पहन कर वो वापस सो गई।
पुनीत जब बाहर आया तो उसने पायल को कहा- अब जाओ.. फ्रेश हो जाओ..
पायल- भाई मेरे कपड़े यहाँ नहीं हैं.. आप ऐसा करो.. नीचे देखो कोई ऊपर तो नहीं आ रहा ना… मैं जल्दी से अपने कमरे में चली जाऊँगी।
पुनीत को यह बात ठीक लगी.. तो उसने कमरे से निकल कर देखा कि नीचे कोई नहीं था। उसने पायल को इशारा किया कि जल्दी से निकल जाए।
पायल बिस्तर से उतरी और स्पीड से जाने लगी.. तो उसकी चूत में दर्द की लहर दौड़ गई.. उसके मुँह से ‘आहह..’ निकल गई।
पुनीत- आराम से मेरी जान.. अब तुम कुँवारी कली नहीं हो.. जो फुदकती हुई चलो.. रात को तुम्हारी सील टूटी है.. चूत में सूजन भी है.. आज का दिन तो आराम से चलो.. कल से भागती फिरना पहले की तरह हा हा हा हा..
पायल- आप बहुत बदमाश हो गए हो भाई.. जाओ मैं आपसे बात नहीं करती।
पायल मुँह फुला कर वहाँ से निकल गई और सीधे अपने कमरे में चली गई।
पुनीत सीधा नीचे गया.. जहाँ रॉनी पहले से बैठा हुआ चाय की चुस्कियाँ ले रहा था।
पुनीत- हाय रॉनी.. आज बड़ी जल्दी रेडी हो गए.. कहीं जाना है क्या?
रॉनी- जाना तो है.. मगर अब सोच रहा हूँ.. ना जाऊँ..
पुनीत- अरे कहाँ जाना था.. जो अब नहीं जा रहा.. ठीक से बता ना..
रॉनी- अरे वो हमारे शर्मा जी हैं ना.. उनके यहाँ जाना था। रात को उनका फ़ोन आया था.. बड़े पापा के कुछ पेपर हैं उनके पास.. वही लेकर आना था, मगर अब मूड नहीं कर रहा जाने का.. सोच रहा हूँ.. लंच के बाद ही जाऊँगा।
पुनीत- जैसी तेरी मर्ज़ी.. मगर पापा का कोई फ़ोन तो नहीं आया ना.. ऐसा ना हो कोई जरूरी काम के पेपर हों..
रॉनी- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. उन्होंने कहा था सुबह 10 बजे तक ना आ पाओ.. तो लंच के बाद ही आना। वो निकल जाएँगे.. अब जाकर कोई फायदा भी नहीं है।
पुनीत- अच्छा ठीक है.. मगर याद से ले आना.. नहीं तो पापा हम दोनों को सुना देंगे।
रॉनी- डोंट वरी भाई.. ले आऊँगा.. अच्छा पायल को उठाया क्या आपने.. देखो तो सही.. उसको क्या हुआ है.. कहीं कोई गड़बड़ हो गई तो हमारी शामत आ जाएगी। आंटी को पता है रात को हम साथ थे और देर से आए थे.. समझे..
पुनीत- अरे कुछ नहीं.. थोड़ा सा बुखार है.. मैंने उठा दिया, अभी आती होगी बस..
रॉनी- वैसे रात को भी पायल की तबियत ठीक नहीं थी.. कुछ अजीब सी घबराहट सी हो रही थी उसको..
पुनीत- अरे कभी बाहर घूमती तो है नहीं.. तो कल थोड़ा अजीब लगा उसको.. अब रोज फ़िरेगी.. तो आदत हो जाएगी।
रॉनी- वो तो ठीक है.. मगर भाई बड़े पापा को अगर इन सब बातों का पता चल गया.. तो क्या होगा?
पुनीत- तू डरा मत यार.. उनको कैसे पता चलेगा.. चल अब चुप बैठ.. कोई सुन लेगा तो गड़बड़ होगी।
रॉनी ने हँस कर बात ख़त्म कर दी। दोनों दूसरी बातें करने लगे।
उधर पायल बाथरूम में गर्म पानी से चूत की सिकाई के बाद नहाकर बाहर निकली.. उसकी चाल में थोड़ा फरक था.. यानि देखने वाला समझ सकता था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ तो जरूर है।
पायल- ओ माय गॉड.. मेरे पैर ठीक से ज़मीन पर नहीं टिक रहे.. कहीं किसी को पता ना लग जाए कि रात को क्या हुआ था.. अब क्या करूँ.. क्या करूँ?!
पायल सोच में डूबी थी.. तभी उसको आइडिया आया। उसने जल्दी से एक टी-शर्ट और बरमूडा पहना.. बाथरूम के पास जाकर ज़मीन पर पैर पकड़ कर बैठ गई और ज़ोर से चिल्लाई!
रॉनी- यह तो पायल की आवाज़ है.. क्या हुआ उसको.. चलो भाई?
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कहानी जारी है।
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