रंगीली बहनों की चूत चुदाई का मज़ा -6

रंगीली बहनों की चूत चुदाई का मज़ा -6

मैं सुशान्त एक बार फिर आपके सामने उसी कहानी के आगे की घटना को लेकर हाज़िर हूँ।
लेकिन अपनी आपबीती आगे ले जाने से पहले मैं उन सब लोगों को धन्यवाद बोलना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी स्टोरी को पढ़ा और मुझे सराहा। उन सभी को बहुत शुक्रिया जिन्होंने मुझे ईमेल करके कहानी के अगले भाग को जल्दी से लिखने को बोला है।

उन लोगों की ही मांग पर पेश कर रहा हूँ आगे की आपबीती।
लेकिन जो लोग पहली बार मेरी कहानी पढ़ रहे हैं.. उनके लिए एक बार फिर से मैं पिछली कहानी का संक्षिप्त विवरण लिख देता हूँ।

पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी दोनों बहनों को चोद चुका हूँ.. कैसे चोदा.. क्यों चोदा.. ये जानने के लिए पढ़ें मेरी पिछली कहानी।

अब वो मेरी बहनें नहीं.. दो बीवियाँ बन गई हैं। अगले दिन मैं जैसे ही उठा.. मुझे मेरी बीवी बगल में नहीं दिखी.. तो मैंने आवाज़ दी.. तो दोनों एक साथ अपनी गाण्ड मटकाती हुई आईं।

मैं- हैलो स्वीटी.. कल रात मज़ा आया..
सोनाली और सुरभि एक साथ बोलीं- हाँ.. बहुत मजा आया.. वैसे भी अब तो आप हमारे पति बन गए हैं।
मैं- अभी नहीं.. आज हम लोग शादी करते हैं.. तब होंगे।

सुरभि- शादी.. वो कैसे करोगे?
मैं- मेरे पास एक आइडिया है।
सोनाली- क्या आइडिया है बताओ.. कोर्ट मैरिज करोगे क्या?

मैं- नहीं.. आज हम अपने फ्लैट में शादी करेंगे और सिर्फ़ हम तीनों ही होंगे.. मोमबत्ती जला कर फेरे लेंगे।
सुरभि और सोनाली एक साथ चहकीं- वाउ रोमाँटिक आइडिया है।
मैं- तो चलो रेडी हो जाओ।

सुरभि और सोनाली फिर एक साथ बोलीं- तो हम दोनों पहले पार्लर जाते हैं।
मैं- पार्लर क्यों?
सुरभि- अरे यार आज शादी है हमारी.. तो सजने तो जाना होगा ना..

मैं- हाँ ये भी सही है.. तो तुम दोनों पार्लर जाओ और मैं मार्केट से कुछ सामान लेकर आता हूँ।
वे दोनों एक साथ बोलीं- ओके..

मैं मार्केट से दुल्हन का सारा सामान ले आया और तब तक दोनों भी पार्लर के लिए रेडी होकर आ गई थीं।
मैंने दोनों को कपड़े दे दिए और बोला- शाम तक सब कुछ रेडी रखना..

मैं अपने काम से चला गया। शाम को जब मैं घर लौटा.. तो मैंने देखा कि मेरे घर के एक हॉल में दोनों सजी-धजी बैठी हुई थीं.. और हॉल पूरा सज़ा हुआ था।
मैं उनको इस रूप में देखकर मुस्कुराया और जल्दी से अपने कमरे में जाकर तैयार होकर आ गया।

अब मैं वापस हॉल में आ गया। मैंने जींस और कुर्ता पहन रखा था.. लेकिन वो दोनों भी लहंगा-चुन्नी में मस्त आइटम लग रही थीं।

सुरभि दीदी ने लाल लहंगा और डोरी वाली चोली पहनी हुई थी और सोनाली ने हल्के गुलाबी रंग का लहंगा और जरी के काम वाली चोली पहनी थी।

उन दोनों के चूतड़ों के उभार मस्त दिख रहे थे और चोलियाँ चूचियों तक ही थीं। चोली और लहंगे के अलावा बाकी का भाग नंगा था.. मतलब कमर.. पेट पूरा नंगा था.. मेरा तो फिर से लंड खड़ा हो गया।

मैं- दोनों हॉट और सेक्सी लग रही हो.. एकदम कंटाप माल लग रही हो।
सोनाली बोली- ऊऊहह.. तैयार भी तो इसी लिए हुए हैं।

मैं- मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है यार..
सुरभि- तो कंट्रोल करो.. अभी कुछ नहीं मिलने वाला है।
मैं- कुछ नहीं.. थोड़ा बहुत तो मिलना चाहिए ना यार..

सोनाली- नो.. कुछ नहीं.. सब कुछ मिलेगा.. लेकिन कुछ देर बाद..
मैं- वही तो.. कुछ देर इंतज़ार नहीं हो रहा है.. मन हो रहा है कि बस शुरू हो जाऊं और खास करके तुम दोनों ने कपड़े भी इतने हॉट पहने हैं कि मैं तो क्या.. कोई बूढ़ा भी कंट्रोल नहीं कर पाएगा।

सुरभि और सोनाली एक साथ हंसने लगीं।

मैं- ह्म्म्म्म .. ओके.. जो करना है.. जल्दी करो।
सुरभि- हाँ बस अब शुरू ही कर देती हूँ।
मैं लण्ड पर हाथ फेरता हुआ बोला- हाँ जल्दी करो।
सोनाली- ओके आओ.. अब शुरू करते हैं।

इतना सुनते ही मैंने सीधा सुरभि को बांहों में लिया और चूमने लगा।

तभी सोनाली बीच में आई और हम दोनों को अलग करते हुए बोली- अभी रूको.. वो हम दोनों को हाथ पकड़ कर सामने एक जगह पर ले गई.. जहाँ एक मोटी मोमबत्ती रखी थी। उसने मोमबत्ती जलाई और मेरे कंधे पर एक धोती रख कर सुरभि की ओढ़नी से गाँठ बाँध दी और बोली- अब फेरे शुरू करो..

मैं बोला- मैं फेरा अलग स्टाइल में शुरू करूँगा।

मैंने सुरभि को गोद में उठा लिया.. मेरा एक हाथ उसकी नंगी कमर पर था और दूसरा नंगी पीठ पर कर घूमने लगा।

दो फेरे लेने के बाद मैंने सोनाली को भी बुला लिया और हम तीनों ने मिल कर फेरे पूरे किए। फेरे पूरे होने के बाद मैंने दोनों की माँग को भरा और मंगलसूत्र पहनाया।

इस तरह हम तीनों की शादी हो गई और आज मुझे एक नहीं दो-दो बीवियाँ चोदने को मिल गई थीं। मैंने दोनों को गले से लगाया।
मैं- अब तो तुम दोनों मेरी बीवियाँ बन गई हो.. चलो सुहागरात मनाते हैं।

सुरभि और सोनाली एक साथ बोलीं- हाँ हम दोनों कमरे में जा रही हैं.. ‘आप’ कुछ देर में आना।
मैं- आप?
सुरभि- हाँ.. पत्नियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती हैं।

मैं- ओहो.. तो चलो हम भी साथ चलते हैं।
सुरभि और सोनाली एक साथ बोलीं- नो कुछ देर बाद आना.. आप हमारे पतिदेव हैं।
मैं- अपने पति को तड़फा रही हो..
सुरभि- नहीं तड़फा नहीं रही हूँ.. बस कुछ देर बाद आ जाइएगा।

मैं- ठीक है.. जैसी आपकी इच्छा।
सोनाली- हाँ ये हुई ना हमारे पति जैसी बात..

दोनों गाण्ड मटकाती हुई कमरे में चली गईं और मैं लण्ड सहलाता हुए इंतज़ार करता रहा। कुछ देर इंतज़ार के बाद मुझे अन्दर बुलाया.. मैं जैसे ही अन्दर गया।

मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि ये मेरा ही कमरा है.. क्योंकि पूरा कमरा बड़े ढंग से सजाया हुआ था.. हल्की दूधिया रोशनी जल रही थी और उस लाइट में मुझे तो सिर्फ़ मेरी दोनों बीवियों के दूधिया गुंदाज बदन दिख रहे थे। मैं जैसे ही अन्दर गया.. उन दोनों ने मुझे एक कुर्सी पर बैठाया और बोलीं- आओ स्वामी आपका मुँह मीठा कराते हैं।

सुरभि एक रसगुल्ले को लेकर मेरी तरफ़ आई.. मैंने आधा रसगुल्ला अपने मुँह में दबा कर सुरभि को अपनी तरफ़ खींचा और बचा हुआ आधा रसगुल्ला उसको खिलाने लगा।

जैसे ही हम दोनों नजदीक आए.. हम रसगुल्ला खाने के साथ ही होंठों का चुम्बन करने लगे।
अभी तो रसगुल्ला दुगना मीठा लग रहा था। मीठा रसगुल्ला और ऊपर से सुरभि के रसीले होंठ.. आह्ह.. मजा आ गया।

कुछ देर बाद हम अलग हुए और मैं सोनाली को भी किस करने लगा.. कुछ देर चुम्बन करने के बाद हम अलग हुए।

सोनाली- अब आगे दीदी के साथ मजा करो.. मैं बाद में आऊंगी। वैसे भी मैं एक बार मना चुकी हूँ.. दीदी का इधर फर्स्ट-टाइम है।
मैं- तब तक तुम क्या करोगी?
सोनाली- लाइव शो का मजा लूँगी.. इतना सेंटी क्यों हो रहे हो.. इसके बाद मैं ही आने वाली हूँ।

मैं- ओके मेरी जान.. लव यू।
सोनाली- ओके.. एंजाय करो।

अब सोनाली सामने सोफे पर बैठ गई और सुरभि दूध का गिलास लेकर मेरे पास आई। मैंने थोड़ा दूध पिया और थोड़ा उसको भी पिलाया।

मैंने उसको गोद में उठा लिया और बोला- मुझे तुम्हारे ये वाले दूध पीना है।

मैं उसकी चोली के ऊपर की खुली जगह पर किस करने लगा.. तो उसके गहने मुझे दिक्कत करने लगे। मैंने उसको बिस्तर के पास बैठाया और एक-एक करके उसके सारे गहने उतार दिए।

फिर गर्दन और चूचियों के बीच की जगह पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था।

वो मुझे पकड़े हुए थी और मैं चोली के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूस रहा था। कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके पीछे गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा और आगे हाथ बढ़ा कर उसकी मस्त चूचियों को भी दबाने लगा।

उसकी गर्दन पर किस करते-करते मैं नीचे को बढ़ने लगा और उसकी नंगी पीठ पर किस करने लगा.. साथ ही मैं उसकी चूचियों को भी दबाता रहा।

कुछ देर किस करने के बाद उसकी चोली की कपड़े की चौड़ी पट्टी को अपने दांतों के बीच दबा कर खींच दिया.. चोली एकदम से खुल गई। मैंने चोली को हटा दिया और अब वो ऊपर सिर्फ़ रेड ब्रा में थी.. जो पीछे एक पतली सी डोर से बन्धी हुई थी। जिसकी वजह से नीचे से उसकी आधी चूचियों को ऊपर की तरफ़ उठी हुई थीं।

वैसे भी सुरभि की चूचियाँ मेरी जिन्दगी की अब तक की सबसे बेस्ट चूचियाँ थीं। एकदम गोल बॉल की तरह.. और दूध की तरह गोरी चूचियां.. एकदम टाइट.. अगर ब्रा नहीं भी पहने.. तब भी एकदम सामने को तनी रहें.. झूलने की कोई गुंजाइश नहीं।

मैं उसकी अधखुली चूचियों को ही चूमने लगा।
कुछ देर किस करने के बाद मैं उसकी ब्रा के अन्दर उंगली डाल कर निप्पल को ढूँढने लगा।
वैसे ढूँढने की ज़रूरत नहीं थी.. निप्पल खुद इतना कड़क था.. जो कि दूर से ही ब्रा के ऊपर दिख रहा था।

मैंने उसके निप्पल को पकड़ कर ब्रा से बाहर निकाल लिया। गुलाबी निप्पल को देख कर लग रहा था कि वो बाहर निकलने का इंतज़ार ही कर रहा था.. मानो बुला रहा हो कि आओ और चूसो मुझे..

मैं कौन सा पीछे रहने वाला था मैं भी टूट पड़ा उस पर.. मैं उसके एक निप्पल को मसलने लगा और दूसरे को होंठ के बीच दबाने और चूसने लगा।

कुछ देर बाद मैंने अधखुली चूचियों के ऊपर चिपकी ब्रा भी खोल दिया.. जैसे ही ब्रा को खोला.. उसकी दोनों चूचियाँ छलकते हुए बाहर आ गईं।

साथियो, मेरी बहनों की चूत चुदाई की यह रसधार बहती रहेगी, बस आपकी मुझे ईमेल आने का इन्तजार रहता है।

आपको स्टोरी कैसी लग रही है.. मुझे ईमेल या फ़ेसबुक पर ज़रूर बताइएगा।
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